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प्रेम क्या है?

प्रेम खुद को खुद से पहचानने का एक नजरिया है प्रेम आपके अंदर का विश्वास जगाने का जरिया है सन्तान जो अपने माँ – बाप से प्रेम करता है, ऊपर वाला उसका जीवन खुशियों से…


मेरी कलम की गुस्ताखी- “मुट्ठीभर खुशी”

अलसाई धुंधली सुबह के बाद बड़े दिन हुए चमकीली धूप निकली। लग रहा था कि कितने दिनों की नींद से ये कूनो का जंगल सोकर उठा है। ओस ने नहला के इसे राजा बेटे सा…


अनूप जलोटा की आशिकी में भक्त सराबोर!

-धनंजय ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन । वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी। हाँ जी आजकल उन्हीं मीरा के गुण गाने में लगे हैं। भजन सम्राट अनूप जलोटा ने अपने प्यार का…


इश्क ऐसा जैसे फूल का खिलना (कविता)

-मीनाक्षी गिरी  हमारे इश्क़ के बारे में क्या पूछते हो जनाब, हमारा इश्क़ ऐसा है जैसे फूल का खिलना। कोमल पत्तियों जैसे एहसासों का जाल, रात के गहरे अन्धकार में जुगनुओं का चमकना। जैसे चाँद…