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डीयूः गेस्ट फैकल्टी का मानदेय बढ़ा, अब 1000 की जगह 1500 रुपये प्रति लेक्चर मिलेगा

तस्वीरः गूगल साभार

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने डीन, विभागाध्यक्ष, निदेशक, संकाय, विभागों सेंटर्स और कॉलेजों के प्राचार्यो को गेस्ट टीचर्स का बढ़ा हुआ मानदेय के संदर्भ में पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि यूजीसी के पत्र संख्या एफ – 25 -1/2018 दिनांक 28 जनवरी 2019  को जारी दिशानिर्देश के अनुसार मानदेय देना है। पत्र में कहा गया है कि गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति के लिए चयन दिशानिर्देश के अनुसार किया जाए।

सर्कुलर को तुरंत प्रभाव से कॉलेजों में लागू करने को कहा गया है। लागू होने के बाद कॉलेजों को यूजीसी दिशाननिर्देश के अनुसार ही नियुक्ति करने को कहा है। विश्वविद्यालयों को यूजीसी 29 जनवरी 2019 को गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति संबंधी दिशानिर्देश भेज चुकी है। इसी आधार पर अब कॉलेजों/विभागों, एसओएल, एनसीवेब में नियुक्ति होगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि गेस्ट टीचर्स का मानदेय बढ़ाने संबंधी पत्र गुरुवार को सभी कॉलेजों के प्राचार्यों को भेज दिया गया है। उन्होंने बताया है कि इस पत्र के पहुंचने के बाद गेस्ट टीचर्स में खुशी का माहौल है क्योंकि तीन महीने पूर्व यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को सर्कुलर जारी कर इसे तुरंत लागू करने के लिए कहा था जिसे डीयू ने अपने यहां लागू कर इससे हजारों शिक्षकों को फायदा होगा।

प्रो. सुमन ने आगे बताया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव ने देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य, मानद विश्वविद्यालयों के अलावा वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों के कुलसचिव को 28 जनवरी 2019 को सर्कुलर भेजा था। सर्कुलर में गेस्ट शिक्षकों को दिए जाने वाले मानदेय को 50 फीसद की बढ़ोतरी की गई थी। इन्हें पहले अधिकतम 25 हजार रुपये दिए जा सकते थे जो बढ़कर 50 हजार रुपये किए हैं।

प्रो ‘सुमन’ ने बताया है कि उन्होंने यूजीसी के चेयरमैन को गेस्ट टीचर्स के मानदेय बढ़ाने के लिए दो बार पत्र लिखा था, जिसमें उनका कहना था कि सातवें वेतन आयोग में स्थायी शिक्षकों का वेतन बढ़ा दिया गया है, लेकिन गेस्ट टीचर्स के मानदेय में आयोग ने किसी तरह बढ़ोतरी नहीं की। यूजीसी ने 10 दिसम्बर 2018 को अपनी बैठक में गेस्ट फैकल्टी के मानदेय में संशोधन करते हुए बढ़ोतरी का फैसला किया। उनका कहना है कि यूजीसी ने गेस्ट शिक्षकों के मानदेय की बढ़ोतरी के संदर्भ में पुनः संशोधित दिशानिर्देश 28 जनवरी 2019 को जारी कर लागू करने के निर्देश दिए हैं।

प्रो. सुमन ने आगे बताया है कि यूजीसी द्वारा भेजे गए सर्कुलर में कहा गया है कि सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अंतर्गत विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में कार्यरत्त गेस्ट फैकल्टी के मानदेय में बढ़ोतरी के संदर्भ में यूजीसी ने जो फैसला किया है वे इस प्रकार है-

गेस्ट फैकल्टी के मानदेय को प्रति लेक्चर 1000 से बढ़ाकर 1500 करते हुए प्रति माह अधिकतम 50,000 कर दिया गया है।

उनका कहना है कि गेस्ट टीचर्स को पहले 25,000 हजार रुपये मिलते थे और प्रति लेक्चर 1000 दिए जाते थे, लेकिन यूजीसी के पत्र जारी होने के बाद उन्हें 1500 रुपये प्रति लेक्चर के हिसाब से मानदेय दिया जाएगा।

प्रो. सुमन ने यह भी बताया है कि गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति के लिए  यूजीसी ने नए नियम बनाएं हैं। उन्हीं नियमों को लागू करते हुए गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति विभाग में स्वीकृत पदों के आधार पर की जाएगी। हालांकि विश्वविद्यालयों में जहां स्वीकृत पद शैक्षिक वर्कलोड को ध्यान में रखते हुए अपर्याप्त है वहां गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति स्वीकृत पदों के 20 फीसद या उससे अधिक हो सकती है। साथ ही गेस्ट टीचर्स की योग्यता का निर्धारण विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में यूजीसी के अनुसार नियुक्त नियमित शिक्षकों के बराबर ही होगी। गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति की प्रक्रिया उसी तरह होगी जिस प्रकार से नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए होती है।

क्या होंगे गेस्ट टीचर्स की चयन समिति के नियम

प्रो. सुमन के अनुसार गेस्ट टीचर्स की सलेक्शन कमेटी में कुलपति या उसके द्वारा नियुक्त नॉमिनी चयन समिति का चेयरपर्सन होगा। इसमें विषय से संबंधित विषय विशेषज्ञ जोकि कुलपति द्वारा नामित होगा। इसके अतिरिक्त विभाग से संबंधित डीन, जहां आवश्यक हो। उन्होंने बताया है कि चयन समिति में विभाग प्रभारी/इंचार्ज भी होगा। इस समिति में एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक/महिला/अन्य रूप से सक्षम श्रेणियों के संदर्भ में एक प्रतिनिधि नामित अकादमिक अधिकारी जोकि कुलपति या कार्यकारी कुलपति की ओर से नामित होगा। यदि इन सदस्यों में कोई अभ्यर्थी हो तो वह इस श्रेणी में नहीं आयेगा। इस संदर्भ में कुल चार सदस्य होंगे जिनमे बाहरी विषय एक्सपर्ट कोरम की पूर्ति करेगा।

70 साल तक रखा जा सकता है गेस्ट टीचर्स को

प्रो. सुमन ने बताया है कि वयोवृद्ध शिक्षकों को भी सेवानिवृत्ति के बाद 70 साल की उम्र सीमा के भीतर गेस्ट फैकल्टी के रूप में ही समझा जायेगा। उन्होंने बताया है कि गेस्ट फैकल्टी को किसी प्रकार के भत्ते का लाभ नहीं होगा, न ही पेंशन, ग्रेच्युटी या छुट्टी दी जाएगी जैसाकि नियमित शिक्षकों के लिए लागू है। उनका कहना है कि ये तमाम दिशानिर्देश यूजीसी ने अपने सर्कुलर में जारी किए हैं और इस सर्कुलर के जारी होने की तिथि से ही मान्य और लागू होंगे।

स्थायी की तरह गेस्ट टीचर्स का भी इंटरव्यू

प्रो. सुमन का कहना है कि जब विश्वविद्यालय/कॉलेज गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति में विश्वविद्यालय व यूजीसी के नियमों के अनुसार क्राइटेरिया पूरा कर रहा है तो उसके स्थान पर स्थायी नियुक्ति के लिए साक्षात्कार क्यों नहीं कराना चाहते। ऐसे में गेस्ट फैकल्टी का नया शिगूफा क्यों लाया जा रहा है।

एसओएल/एनसीवेब पर भी लागू

प्रो. सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के एसओएल के अंतर्गत लगभग 5000 टीचर्स कक्षाएं ले रहे हैं, एनसीवेब में 1200 टीचर्स शनिवार और रविवार को कक्षाएं लेते हैं। इनके मानदेय में भी बढ़ोतरी होने से अब अगले शैक्षिक सत्र से शिक्षकों के आवेदन करने की भीड़ बढ़ जाएगी।

उनका कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालयने देर से ही सही लेकिन, गेस्ट टीचर्स के हक में मानदेय बढ़ाने का जो फैसला लिया है वह शिक्षकों को राहत देने वाला है। उन्होंने डीयू कुलसचिव को इसके लिए बधाई देते हुए कहा कि विभाग/कॉलेजों में लंबे समय से गेस्ट पदों पर नियुक्ति ना होने से शिक्षकों में तनाव बढ़ता जा रहा है। अगले शैक्षिक सत्र से एडहॉक टीचर्स की तरह इंटरव्यू कई दिनों तक चलेगा। विभागों में पैनल बनाने के लिए उन्हें अभी से तैयारी करनी होगी।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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