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विश्व योग दिवसः इन योगासनों को अपनाने से आरोग्यमय रह सकते हैं

-आशुतोष मिश्रा

समत्वं योग उच्यते।

योग भारतीय परंपरा का एक अभिन्न अंग है। सदियों से हमारे ऋषि मुनियों ने वैदिक पद्धति के आधार पर योग के नए नए आयामों को खोजा है। हम भारतवासियों ने इस परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी सहेज कर आगे बढ़ाया है ताकि सारी मनुष्य जाति योग से लाभान्वित हो सके। अगर बात जीवन शैली की हो तो उसमें योग का अपना महत्व है। परंतु वर्तमान समय में दिनचर्या और खानपान की गड़बडियों के चलते लोगों को काफी शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। योग इन सभी तरह की बीमारियों और रोगों के उपचार में बहुत लाभदायक साबित हुआ है। व्यक्ति प्रतिदिन 20 मिनट का समय निकालकर भी योग अभ्यास करे तो वह स्वस्थ रह सकता है।

आज अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस( 21 जून) पर हम बात कर रहे है कुछ ऐसे योग अभ्यास आसनों, प्राणायाम की जिनका प्रतिदिन अभ्यास करके आप शारीरिक और मानसिक स्तर और स्वस्थ रह सकते है। आइए जानते हैं योगासनों के बारे में

सूर्य नमस्कार
यह योगासनों में सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। ‘सूर्य नमस्कार’ स्त्री, पुरुष, बाल, युवा तथा वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास बारह स्थितियों में किया जाता है।

प्रतिदिन प्रातः काल 7 से 12 बार तक क्षमता अनुसार सूर्य नमस्कार का अभ्यास आपके शरीर को ऊर्जा और आरोग्य प्रदान करता है।

कपालभाति

कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास हमारे मस्तिष्क को मजबूती प्रदान करता है और पेट की चर्बी को कम कर फेफड़ों को शक्तिशाली बनाता है। इसके लिए पहले लंबी गहरी सांस भरते है। फिर हल्के से झटके के साथ सांस को धीरे धीरे नाक से बाहर की और छोड़ते है।
पेट अंदर बाहर अंदर बाहर होता है। ध्यान साँसों पर रखें। ज्यादा जोर नहीं लगाना है। कमर और गर्दन सीधी रखें। एक सांस भरके क्षमता अनुसार बाहर की और सांस को 25 बार छोड़ना है।

अनुलोम विलोम

अनुलोम विलोम का अभ्यास करने से मन और मस्तिष्क के बीच तालमेल बनता है और शरीर में रक्त संचार व्यवस्थित रहता है।

अनुलोम विलोम कैसे करें 

सुखासन मैं बैठ जाएं। कमर गर्दन सीधी रखें। दोनों हाथ की हथेली घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में हो। अब दाएं नासिका को बंद करते हुए बाएं नासिका से सांस भरें। कुछ देर रुके। 5 सेकेंड और फिर दाईं नासिका से सांस छोड़ दें। अब पुनः दाईं नासिक से सांस भरें और उसे बन्द कर के बाई नासिक से सांस को छोड़ दें। इस प्रकार पूरा हुआ एक चक्र। 5 बार पूरे पूरे चक्रों को अच्छे से करें।
ध्यान दें नासिका द्वार बंद करने के लिए अंगूठे और तर्जनी उंगली का प्रयोग करेंगे। एक-एक करके नासिका को बंद करें। क्रमशः।

भुजंग आसन

रीढ़ की हड्डी जितनी लचीली होगी व्यक्ति का शरीर उतना ही बुढ़ापे से दूर रहता है। उसे लचीला बनाने के लिए भुजंग आसन का अभ्यास सर्वोत्तम है।

भुजंग आसन कैसे करें

सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। हाथ की हथेली जमीन की और कंधों के पास रखे। अब हाथ की कोहनी से ऊपर उठाते हुए नाभि तक के भाग को ऊपर की और उठा दे। साँसों की स्थिति सामान्य रखें। सांस भरते हुए शरीर को ऊपर उठाएंगे और 10 सेकेंड ऊपर रहकर वापिस नीचे आ जाएंगे। यह प्रकिया 3 से 4 बार दोहराएं और फिर विश्राम करें।

इसी प्रकार ताड़ासन,वक्रासन, पादहस्तासन आदि कई आसनों को कर के शरीर को आरोग्यमय बनाया जा सकता है।

इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन कुछ समय प्रातः काल या शाम को योग कर अपने और अपने आस पास के लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाया जा सकता है। एक स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ मन का वास होता है और स्वस्थ मनुष्य अपना, अपने समाज का अपने राष्ट्र का और पूरी पृथ्वी का कल्याण कर सकता है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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