SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

किताब समीक्षाः अंकित कुंवर  की “नजरिया- एक युवा सोच”

देश को आजाद कराने के लिए न जाने कितने युवाओं ने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया था। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्याटोपे, मंगलपाण्डे युवा ही थे। रानी लक्ष्मीबाई तो तब मात्र 26 वर्ष की थीं। स्वाधीनता की बलिवेदी पर स्वयं का सर्वस्व लुटाने वाले बाल गंगाधर तिलक, गोपालकृष्ण गोखले, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू आदि ने अपने यौवन के प्रथम पग के साथ ही इस क्रान्ति पथ पर पांव रखे थे। युवाओं के महान प्रेरक स्वामी विवेकानन्द ने देश के युवाओं से कहा था- ”हे वीर हृदय! भारत मां की युवा संतानों! तुम यह विश्वास रखो कि अनेक महान कार्य करने के लिए ही तुम लोगों का जन्म हुआ है। किसी के भी धमकाने से न डरो, यहां तक कि आकाश से प्रबल वज्रपात हो तो भी न डरो।” स्वामी जी का यह अग्निमंत्र सार्वकालिक है। संभवत: इसी से प्रेरित होकर युवा लेखक अंकित कुंवर ने अपनी सोच को एक रचनात्मक दिशा दी है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।

लेखक के बारे में

लेखक अंकित कुंवर दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट काॅलेज से राजनीति विज्ञान (आनर्स) में स्नातक की उपाधि ग्रहण कर रहे हैं।  पिछले काफी वक्त से देश के विभिन्न समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में लिखते रहे हैं। उनका प्रयास नया है और माना जा सकता है कि नई पीढ़ी इस संग्रह में कुछ नया पाएगी।

क्या कहती है पुस्तक

“नजरिया- एक युवा सोच” युवाओं पर आधारित पुस्तक है। हमारे देश में भी युवाओं की अच्छी खासी आबादी है। युवाओं में असीम ऊर्जा होती है। वह कुछ भी कर गुजरने में सक्षम होते हैं। जिसने भी युवाओं को पहचान लिया, समझो उसने भविष्य पहचान लिया। इसके बावजूद आज युवाओं के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। सरकार की नीतियां भी युवाओं का केन्द्र में रखकर बनती हैं। युवा पीढ़ी ताकतवर रहेगी तो हम ताकतवर रहेंगे। युवा शिक्षित होंगे तो देश शिक्षित होगा। युवाओं के कंधे पर ही सब कुछ टिका है। लेखक अंकित कुंवर स्वयं एक युवा हैं और जाहिर है कि उन्होंने इस सोच को जागरूक करने के लिए अपने लेखों का ताना-बाना बुना है।

पुस्तक चार खंड में है विभाजित

चार खंडों में विभक्त इस संग्रह में लेखक ने अपने लेखों को शामिल किया है। इन लेखों में समाज में फैली विसंगतियों को जहां रेखांकित किया गया है, वहीं एक राह दिखाने का भी प्रयास किया गया है।

पहला खंड

इस खंड में लेखक ने समसामयिक विषयों को अपने एक अलग अंदाज में पेश करने की कोशिश की है। इसमें विश्व में हिंदी की दशा और दिशा में यह बताने प्रयास किया है कि युवा वर्ग को बताया जाए कि हिंदी अब ऐसी भाषा नहीं है जिसे किसी देश में गंभीरता से न लिया जाए। अब हिंदी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसी खंड में जहां सप्तक के सिद्ध कवि के बारे में युवा पीढ़ी को बताने का प्रयास किया गया है, वहीं जम्मू-कश्मीर की अनूठी संस्कृति को भी रेखांकित किया गया है। भारत की विदेश नीति में भारत-इजरायल के संबंधों का उल्लेख करते हुए यह अवगत कराने का प्रयास लेखक ने किया है कि युवा पीढ़ी को अपने देश की विदेश नीति से भी अवगत रहना चाहिए।

दूसरा खंड

राजनीतिक परिदृश्य पर आधारित इस खंड में राजनीति में हो रहे बदलाव, संविधान के अनुच्छेद ३५-ए, कामयाबी के शिखर पर मोदी लहर, दलित समुदाय और संसद की गरिमा को रेखांकित करते हुए यह बताने का प्रयास किया गया है कि युवा पीढ़ी को अपने देश के बारे में जानकारी रखनी ही चाहिए।

तीसरा खंड

यह खंड मुद्दों पर आधारित है, जिसमें देश के सामने खड़े मुद्दों को रेखांकित किया गया है। इसमें भ्रष्टाचार, भुखमरी, जलवायु, सृष्टि के लिए आवश्यक लैंगिक असमानता की बढ़ती खाई, जल संरक्षण ओर किसानों की समस्याओं को रेखांकित किया गया है।

चौथा खंड

व्यंग्यात्मक निबंध के माध्यम से इसमें बताया गया है कि लेखों के माध्यम से संग्रह में गंभीरता को हल्का करने का प्रयास किया गया और सामाजिक मुद्दों को हलके-फुलके ढंग से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।

आडवाणी ने बताया पुस्तक को युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत

युवा लेखक अंकित कुंवर द्वारा लिखित पुस्तक ‘नज़रिया-एक युवा सोच’ का लोकार्पण लालकृष्ण आडवाणी जी के द्वारा किया गया। लेखक ने अपने पुस्तक की पहली प्रति लालकृष्ण आडवाणी जी को भेंट की। लालकृष्ण आडवाणी जी ने लेखक अंकित कुंवर को शुभकामनाएं दी तथा युवाओं के लिए इस पुस्तक को प्रेरणा का स्रोत बताया।

पुस्तक का विवरण

प्रकाशन : गुटेनबर्ग आईएनसी पब्लिशर्स

लेखक  : अंकित कुंवर

मूल्य  : 200 रुपये

संस्करण : प्रथम, अगस्त 2017

 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

8 Comments on "किताब समीक्षाः अंकित कुंवर  की “नजरिया- एक युवा सोच”"

  1. वाह बहुत ही बढ़िया समीक्षा …. बधाई सहित शुभकामनाएं

  2. bahut hi achhi samiksha hai ????waao good??????????????????

  3. अनिता | June 10, 2018 at 5:01 PM | Reply

    इसी प्रकार की पुस्तकों की महती आवश्यकता आज हमारे युवाओ को हैं

  4. Ramesh Kunwar | June 17, 2018 at 8:40 AM | Reply

    बधाई… ऐसी पुस्तकें युवाओं के लिए जरूरी हैं….

  5. आपको बधाई

  6. आपकी लिखी रचना “पांच लिंकों का आनन्द में” शनिवार 12 जनवरी 2019 को लिंक की जाएगी ….http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा … धन्यवाद!

Leave a comment

Your email address will not be published.


*