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हफ़्ते दर हफ़्ते

शिक्षक दिवस विशेषः एक छात्रा की डायरी

-पूजा कुमारी “गुरु गोवन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय ।।”  – कबीर कबीर का यह दोहा बहुत ही प्रसिद्ध एवं बहुश्रूत है। हम सभी बचपन से ही इसे पढ़ते,…


दुष्यंत की जयंती पर विशेष “मैं किसी पुल सा थरथराता हूं”

– संजय भास्कर  तू किसी रेल सी गुज़रती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूं – दुष्यंत कुमार कवि और हिंदी के पहले गज़लकार स्व. दुष्यंत कुमार आज 1 सितंबर, 1933 के दिन ही पैदा हुए…


शेक्सपियर बनने की चाहत में लक्ष्मण फुटपाथ पर चलाते हैं कलम और बनाते हैं चाय

-प्रभात जब इंसान किसी लक्ष्य को हासिल करने का मन बना ले तो प्रेरणा प्रदान करने के लिए कोई वस्तु या व्यक्ति अपने आप सामने आ जाता है। सपना उसकी हकीकत को दिखाने के लिए…


लहू की दीवार के चश्मदीद सूबेदार मेजर अमरनाथ शर्मा के साथ गुफ़्तगू जो विभाजन के समय पाकिस्तान से आए थे

-सुकृति गुप्ता दीवारों पर सीलन हैं दरारे हैं चीखती चिल्लाती दर्द से कराहती कुछ दरारें दीवारों के अंदर भी हैं…. कमलेश्वर अपनी कहानी ‘आज़ादी मुबारक’ में मंटो के साथ आज़ादी का जश्न मनाते हैं। जश्न…