मेरी कलम की गुस्ताखी- “मुट्ठीभर खुशी”
अलसाई धुंधली सुबह के बाद बड़े दिन हुए चमकीली धूप निकली। लग रहा था कि कितने दिनों की नींद से ये कूनो का जंगल सोकर उठा है। ओस ने नहला के इसे राजा बेटे सा…
अलसाई धुंधली सुबह के बाद बड़े दिन हुए चमकीली धूप निकली। लग रहा था कि कितने दिनों की नींद से ये कूनो का जंगल सोकर उठा है। ओस ने नहला के इसे राजा बेटे सा…
दौर था जो थम गया जल था जो जम गया दौर बदलने दो सफ़र फिर से शुरू होगा जल को जमने दो आसमां से बारिश बनके हमको आने दो सपना था जो बन गया अपना…
क्या सच होने वाला है जो मैंने अभी है देखा सपना था पर क्यों डरा रहा जैसे हो हकीकत जैसा छिपकली जो कूदती है इधर से उधर कल यही तो बोल रही थी मैं मम्मा…
मैत्रेयी कॉलेज में 17 दिसम्बर, 2018 से “डिसेबिलिटीज स्टडीज: पर्स्पेक्टिव एण्ड इमरजिंग ट्रेंड्स” विषय पर चल रहे इंटरडिस्प्लिनरी साप्ताहिक फ़ैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन हो गया। इस कार्यक्रम के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के…