SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

हवा का झोंका

स्रोत- hindi.momspresso.com

तुम कहाँ हो

आकाश सूना हो उठा

काले बादल

दूर दिशाओं से

उड़ते आ रहे

अँधेरा रास्ते का

मन के आँगन में

बरस रहा पानी

जंगल में झूमते पेड़

हिलोरे ले रहा सागर

हर तरफ छलक रहा

किसके मन का गागर

खुद को अकेला

आज पास पाकर तुमने बुलाया

हवा का झोंका कहाँ से आया

देखता हूँ रंग और नूर का

तुम्हारी आँखों में

रात का फैला नजारा

एक नदी हँसकर बुलाती

सावन की घटा

किसको सुहाती

ओ प्रिये तुम किस

सुरभित समय की धार

यह पुष्पहार

बीत गयी आधी रात

शायद सो गयी हो

अब बाहर उमड़ी नदी को

कैसे करोगी पार

सुंदर स्वप्न का संसार

किसने रचा

जो कुछ भी साहस

सुबह में बाकी बचा

उसी रात का साया

कितने सुंदर फूलों को

सुबह सूरज

धूप भरी नगरी से चुनकर लाया

उसके तन मन की खिली माया

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

राजीव कुमार झा
बिहार के लखीसराय जिले के बड़हिया के इंदुपुर के रहने वाले राजीव कुमार झा स्कूल अध्यापक हैं। हिंदी और मास कॉम से एमए कर चुके राजीव लेखक, कवि और समीक्षाकार भी हैं।

Be the first to comment on "हवा का झोंका"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*