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मैत्रेयी महाविद्यालय में 27 अप्रैल को संस्कृत छन्दों पर अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से सम्बद्ध मैत्रेयी महाविद्यालय में आगामी 27 अप्रैल को संस्कृत छन्दों का भाषावैज्ञानिक एवं सांगीतिक पक्ष विषय पर एक अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है। वेबिनार के संयोजक डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि इसमें भारत के विभिन्न भागों के संस्कृत विद्वानों, प्रोफ़ेसरों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के अलावा अमेरिका के धर्मशास्त्री एवं संस्कृतप्रेमी भी भाग ले रहे है। इन विद्वानों में प्रसिद्ध वैदिक विदुषी एवं वेब्स इंडिया की अध्यक्षा डॉ. शशि तिवारी, जेएनयू के संस्कृत प्रोफेसर डॉ. सत्यमूर्ति, अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया स्टेट से धर्मशास्त्री श्री मृत्यंजय मणि त्रिवेदी, डॉ. अवनीन्द्र कुमार पाण्डेय, डॉ. सूर्य प्रकाश शुक्ल अपने विचार रखेंगे। साथ ही इसमें भारत एवं अमेरिका में संस्कृत की दशा एवं दिशा विषय पर एक समूह चर्चा भी होनी है। इसमें भाग लेने के लिए जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा बिहार से आशुतोश द्विवेदी, काशी हिन्दू विश्वविद्याल की संस्कृत प्राध्यापिका डॉ. प्रीति वर्मा के साथ डीएवी कानपुर के समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिलकुमार मिश्र, यूपी के बाराबंकी जिले के संस्कृत विद्वान डॉ. शिवाकान्त शुक्ल, गणितज्ञ हरि मोहन त्रिपाठी एवं प्रयागराज में संस्कृत की अध्यापिका डॉ. अवन्तिका त्रिपाठी को आमन्त्रित किया गया है।

विस्तृत विवरण के लिए इस लिंक पर जाएं-

Brochure of International Webinar on The linguistic and musical aspects of Sanskrit Meters

वर्तमान जटिल परिप्रेक्ष्य में विद्यार्थियों की अध्ययन–आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वेबिनार एक सशक्त माध्यम के रूप में सामने आ रहे हैं। इसके द्वारा विश्व के किसी भी हिस्से में विराजमान विद्वानों को एक पटल पर लाकर उनके अपार अनुभव एवं ज्ञान से लाभान्वित हो सकते हैं। साथ ही इस मुश्किल घड़ी में विद्यार्थियों की अध्ययन सम्बन्धी विभिन्न समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है। उपरोक्त विषय पर आयोजित हो रहे प्रस्तुत वेबिनार के द्वारा वैदिक छन्दों की वैज्ञानिक मीमांसा एवं संस्कृत छन्दों के भाषावैज्ञानिक तथा सांगीतिक पक्ष पर गंभीरतम दृष्टिपात किया जाएगा। और इसके गायन की विभिन्न प्रविधियों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही भारत एवं अमेरिका में संस्कृत की दशा एवं दिशा पर भी प्रकाश डाला जाएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय के द्वारा उपरोक्त विषयोपेत प्रश्नपत्र को सीबीसीएस एवं एलओसीएफ के विभिन्न पाठ्यक्रमों में निर्धारित किया गया है। संस्कृत छन्द एवं उसकी गान-प्रक्रिया देशभर के प्रायः उन सभी विश्वविद्यालयों में जहाँ संस्कृत पढ़ायी जाती है, वहाँ किसी न किसी रूप में इसका पाठन भी अवश्य ही होता है। अतः प्रस्तुत प्रश्नपत्र से जुड़े विद्यार्थियों, अध्यापकों के अलावा संस्कृत श्लोकों के गायन में रुचि रखने वाले सभी संस्कृतानुरागियों के लिए निःसन्देह यह एक उपादेय विषय है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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