दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को आंदोलन करते हुए 53 दिन हो चुके हैं। इन 53 दिनों में सरकार और किसानों के बीच 10 वार्ताएं हो चुकी हैं और वो सभी बेनतीजा रहीं। आपको बता दें कि देश में पहली बार 26 जनवरी को किसान परेड निकाली जाएगी। किसान नेताओं की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी आगे की रणनीति बताई गई। उनकी ओर से कहा गया है कि 26 जनवरी को किसान गणतंत्र दिवस का आयोजन दिल्ली में किया जाएगा। जवान के साथ किसान भी गणतंत्र दिवस मनायेगा और सभी किसान टैक्टर मार्च निकालेंगे। ये परेड आउटर रिंग रोड की तरफ की जाएगी। पिरागड़ी से धौला कुआं, आईआईटी, चिराग दिल्ली से होते हुए नेहरू प्लेस, औखला, मजनू का टीला, बुराड़ी, रोहिणी तक ये ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। योगेंद्र यादव की ओर से ये भी कहा कि दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस इस आयोजन में कोई बाधा न पहुंचाए। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये भी कहा गया कि किसानों की ओर से होने वाली परेड पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगी। गणतंत्र दिवस परेड में कोई बाधा नहीं डाली जाएगी। जैसे आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है उसी तरह आगे भी जारी रहेगा।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया और इस पर 18 जनवरी को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ये तय कर सकती है कि किसानों को 26 जनवरी पर मार्च निकालने की इजाजत होगी या नहीं। ये तो सुनवाई के बाद ही पता चलेगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक कमेटी बनाई गई जो किसानों की समस्या सुनेगी और उसका समाधान निकालने का प्रयास करेगी लेकिन कमेटी बनते ही टूट गई। कमेटी के सदस्य भूपिंदर सिंह ने खुद को इस कमेटी से अलग कर लिया। जब सरकार और किसानों नेताओं के साथ इतनी वार्ताएं हो चुकी हैं इसमें कोई समाधान नहीं निकला तो क्या एक कमेटी बना देने से किसानों की समस्या का समाधान हो जाएगा? सवाल बहुत सारे हैं पर सरकार के पास जवाब एक भी नहीं है।
किसानों में तीनों कृषि बिलों को लेकर बहुत सारी शंकाएं हैं जिन्हें सरकार दूर नहीं कर पा रही है। किसानों को लगता है कि ये तीनों कृषि कानून उन्हें बर्बाद कर देंगे। अगर सरकार चाहती तो किसानों को इस बिल के फायदे उन्हें बता सकती थी या फिर उन्हें लागू करने से पहले किसान नेताओं की राय भी ले सकती थी। पर सरकार ने इन कानूनों को समझाने की बजाय किसानों पर बल का प्रयोग किया। उन्हें दिल्ली आने से रोका गया, लाठीचार्ज किया गया। अभी भी यूपी के किसानों को दिल्ली नहीं आने दिया जा रहा है। ये सब बातें उन सभी प्रश्नों का जवाब है जो हम सभी ढूंढ रहे हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने तो ये भी कह दिया कि वो 2024 के आम चुनावों तक इसी तरह दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन करते रहेंगे पर कानून वापस करा कर ही घर जाएंगे।
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