आईआईएसमी इस समय गलत खबरों की वजह से चर्चा में बना हुआ है। कोरोना काल में आईआईएमसी प्रशासन वर्तमान विद्यार्थियों के लिए आफ़त बने हुए हैं। कोरोना महामारी के चलते कई छात्र अपने घर लौट गए थे। कुछ लॉकडाउन की वजह से आ नहीं पाए। आईआईएमसी छात्रावास में जो रह रहे थे। उन्हे भी नोटिस निकालकर घर जाने को कहा जा रहा है। प्रशासन ने नोटिस वेबसाइट पर अपलोड किया है और उसमें लिखा है कि जो छात्र घर चले गए हैं वे अपना सामान ले जा सकते हैं। साथ ही जो यहां पर हैं वे 3 जून तक घर चले जाएं। छात्र इस नोटिस को लेकर विरोध जता रहे हैं। और आईआईएमसी प्रशासन की संवेदनहीनता को देखते हुए सोशल मीडिया पर प्रशासन के छात्र विरोधी मानसिकता को उजागर कर रहे हैं।
आईआईएमसी के छात्र राहुल का कहना है कि हाल ही में एक विद्यार्थी को 48 घंटे के अंदर हॉस्टल खाली करने का निर्देश इसलिए दिया गया क्योंकि उन्होंने अपने ही दो साथी को खाने के लिए कुछ खाना और पीने के लिए पानी दे दिया। मतलब आईआईएमसी प्रशासन के अनुसार किसी साथी पत्रकार को भोजन-पानी देना अपराध है। हॉस्टल में रह रहे छात्रों को 3 जून तक हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया गया है। कोरोना काल में यह निर्णय दिमागी दिवालियापन ही लगता है।
बता दें इससे पहले दो छात्र लॉकडाउन में ढील देने की वजह से पढ़ाई की दृष्टि से घर से वापिस दिल्ली लौट आये। इसके बाद प्रशासन ने उन्हें छात्रावास में घुसने से मना कर दिया।
छात्र ऋषिकेश का कहना है कि इतना ही नहीं आईआईएमसी प्रशासन गुंडा बुलाकर छात्र को पिटवाने की धमकी दिलवा रहा है। इसे शैक्षणिक संस्थान का अपराधीकरण नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे आप? संस्थान को कागज, कलम और तार्किक आवाज़ पर विश्वास होना चाहिए, ना कि गुंडागर्दी और डंडा पर। उनका कहना है कि उन्हें मुख्य गेट पर रोककर उनपे हाथ छोड़ा गया। और यहाँ तक बोला गया कि आईआईएमसी तुम्हारे बाप का नहीं है। छात्रों ने इस संबंध में पुलिस से शिकायत की है।
आईआईएमसी प्रशासन के कड़े और आक्रामक रवैये के बाद छात्रों ने पत्र लिखकर मांगी सहायता
आईआईएमसी छात्रों ने अपने एक साथी के लिए पत्र लिखकर सोशल मीडिया पर लोगों से सहायता मांगी है। पत्र में लिखा है कि
आईआईएमसी प्रशासन ने 27 मई को 48 घंटे पूरे होने पर केयरटेकर के जरिये विश्वजीत को आज सुबह ये मैसेज भिजवाया है कि किसी भी हाल में आज इसे हॉस्टल खाली करना ही होगा। साथ ही इनका सख्त आदेश ये है कि कोई भी सामान छोड़कर न जाए क्योंकि दोबारा यहाँ लौटने की अनुमति नहीं मिलेगी।
छात्रों की तरफ से कहा जा रहा है कि प्रिंसिपल ऑफ नेचुरल जस्टिस के तहत इसे अपना पक्ष रखने का भी एक मौका नहीं दिया गया। विश्वजीत जालंधर का है और वर्तमान में वहां के लिए न तो बस, न ट्रेन और न ही फ्लाइट की कोई सुविधा है। ऐसी स्थिति में अपने घर के लिए पैदल निकलना ही एकमात्र विकल्प है उसके पास। विश्वजीत ने हाल ही में BYJU’S जॉइन किया है जहाँ उसकी जॉब ट्रेनिंग चल रही है। सुबह से शाम तक ऑफिस से उसे ऑनलाइन जुड़ा रहना पड़ता है।
कंपनी का यह सख्त निर्देश है कि ट्रेनिंग के दौरान अगर उसने कोई भी लापरवाही बरती तो बिना कारण जाने उसकी नौकरी जा सकती है। छात्रों का कहना है कि जो आईआईएमसी जो ढंग की एक नौकरी नहीं दिला पा रही है, किसी के खुद की काबिलियत से मिली नौकरी छीनने पर तुली हुई है। बहुत गलत हो रहा है उसके साथ। कैंपस में फ़िलहाल बहुत कम लोग हैं इसलिये प्रशासन इसे जबर्दस्ती भी बाहर कर सकता है। कृपया सहायता कीजिये।
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