दिल्ली की अदालत ने ‘पिंजरा तोड़’ समूह से जुड़ी दो छात्राओं को उत्तर पूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़े मामले में गुरुवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ‘पिंजरा तोड़’ समूह दिल्ली में विश्वविद्यालयों व उनके कालेजों की छात्राओं एवं पूर्व छात्रों का एक समूह है। ‘पिंजरा तोड़’ की स्थापना 2015 में छात्रावास से जुड़ी छात्राओं की समस्याओं को लेकर की गई थी। 2015 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने एक नोटिस जारी किया था, जिसमें छात्राओं के रात आठ बजे के बाद बाहर रहने पर पाबंदी लगायी गई थी। जब दिल्ली महिला आयोग ने इसको लेकर जामिया प्रशासन से सवाल किया तो छात्राओं के एक समूह ने पाबंदी के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला किया। यह प्रदर्शन उन्होंने न केवल जामिया में बल्कि दिल्ली में अन्य विश्वविद्यालयों में भी करने का निर्णय किया। बाद में समूह ने ‘पिंजरा तोड़’ ने छात्रावास में महिलाओं की आजादी को लेकर जागरूक करना शुरू किया और तमाम प्रदर्शन भी होने लगे।
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पिंजरा तोड़ से जुड़ी जेएनयू की छात्राओं नताशा नरवाल और देवंगाना कलिता को इससे पहले पुलिस ने फरवरी में जाफराबाद में सीएए (संशोधित नागरिकता कानून) के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन के सिलसिले में गत शनिवार को गिरफ्तार किया गया था। गत रविवार को दोनों को अदालत ने मामले में जमानत दे दी थी। अदालत द्वारा आदेश पारित करने के कुछ ही समय बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक अर्जी दायर करके उनसे पूछताछ का अनुरोध किया और हिंसा से जुड़े एक अन्य मामले में उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद जज ने दोनों छात्राओं को 2 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। हालांकि अदालत से अपराध शाखा ने आरोपियों की 14 दिन की हिरासत मांगी थी, लेकिन अदालत ने दोनों को यह कहते हुए दो दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया था कि जांच प्रारंभिक चरण में है।
शनिवार को जिस मामले में गिरफ्तारी की थी उसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 186, 188, 283, 109, 341, 353 के तहत मामला दर्ज किया गया था। वहीं रविवार को गिरफ्तार करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 149, 353, 283, 323, 332, 307, 302, 427, 120-बी, 188 के साथ ही हथियार कानून और सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान रोकथाम कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया था।
अब मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कपिल कुमार ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया क्योंकि पुलिस ने कहा कि जांच के लिए उनकी और हिरासत की जरूरत नहीं है। नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, दोनों वर्तमान में मंडोली जेल में बंद हैं।
छात्राओं के लिए पेश हुए अधिवक्ता अदित एस पुजारी ने अदालत को बताया कि इन छात्राओं को ‘‘दुर्भावनापूर्ण’’ इरादे से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी को लेकर कन्हैया कुमार सहित तमाम पूर्व छात्र नेताओं ने जताया विरोध
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों की हाल ही में हुई गिरफ्तारी पर सीपीआई के नेता कन्हैया कुमार, जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनएसयू की अध्यक्ष आईशी घोष समेत कई अन्य लोगों ने जूम एप के जरिए केंद्र सरकार पर लॉकडाउन की आड़ में बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया।
कन्हैया ने कहा, ‘अगर हम अभी कुछ करेंगे तो लॉकडाउन तोड़ने का आरोप लगाकर नेहरू की तरह हर आफत का ठीकरा हमारे ऊपर फोड़ दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘सरकार को लगता है कि छात्रों को जेल में डालेंगे तो बाकी छात्र डर जाएंगे। लॉकडाउन और कोरोना महामारी अपनी जगह है। सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का तरीका खोजना होगा।’
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हाल ही में की गई गिरफ्तारियों के विरोध में सोशल मीडिया पर भी 27 मई को लोगों ने विरोध जताया। सरकार के इस फैसले के खिलाफ डीयू, जेएनयू, जामिया के छात्र और छात्र संगठन भी शामिल हुए। उनका कहना है कि सीएए, एनआरसी, एनपीआर के विरोध में प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं, शिक्षकों व छात्रों को विभिन्न धाराओं के अंतर्गत गिरफ्तार किया जा रहा है या हिरासत में लिया जा रहा है। कई कार्यकर्ताओं पर यूएपीए तक लगाया गया है। इसी क्रम में 23 मई को पिंजरातोड़ की दो सदस्यों पर भी यूएपीए लगाया गया है।
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इसके विरोध में एसएफआई ने सोशल मीडिया मंच ट्विटर पर प्रदर्शन किया। छात्रों ने #ReleaseAllPoliticalPrisoners और #StopArrestingStudents हैशटैग के तहत अपनी बातों को रखा और ट्वीट किये।
इससे पहले जेएनयू छात्र संगठन के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने ट्वीट करके कहा था कि ये सरकार जब से सत्ता में आई है, इसने अपने ही नागरिकों के खिलाफ़ एक जंग छेड़ रखी है। सरकार से सवाल को देशद्रोह और विरोध को आतंकी गतिविधि मान लिया गया है। जब दुनियां कोरोना से लड़ रही है तब भी सरकार अपनी ही यूनिवर्सिटी और विद्यार्थियों पर हमले कर रही है। शर्मनाक!
ये सरकार जब से सत्ता में आई है, इसने अपने ही नागरिकों के खिलाफ़ एक जंग छेड़ रखी है। सरकार से सवाल को देशद्रोह और विरोध को आतंकी गतिविधि मान लिया गया है। जब दुनियां कोरोना से लड़ रही है तब भी सरकार अपनी ही युनिवर्सिटी और विद्यार्थियों पर हमले कर रही है। शर्मनाक!#StandWithJamia
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) May 23, 2020
एसएफआई के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सुमित कटारिया ने कहा कि लॉकडाउन की आड़ में विभिन्न कार्यकर्ताओं शिक्षकों, छात्रों को दिल्ली में हुए दंगो की संलिप्तता के साथ जोड़कर मुकदमें दर्ज किए जा रहे है। यह बहुत गलत है सीएए, एनआरसी, एनपीआर के दौरान सक्रिय कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और छात्रों को तुरंत रिहा किया जाए। शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक व संविधान सम्मत है।
Dissent Is Not Crime, Silence Is!
Government and it’s police are arresting the students in fabricated cases and silence on that is a crime.
Speak Up!#ReleaseAllPoliticalPrisoners #StopArrestingStudents pic.twitter.com/YSgTuLl1EZ
— Sukumar Sumit Kataria (@sumitktr2) May 27, 2020
जेएनयूएसयू ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा है कि ऐसा लगता है कि सरकार ने कोरोनोवायरस के बीच लोकतंत्र को दांव पर लगाने का मन बना लिया है। वह महामारी से निपटने के बजाय छात्रों को कैद करने में लगा है।
ऐसा लगता है कि सरकार ने कोरोनोवायरस के बीच लोकतंत्र को दांव पर लगाने का मन बना लिया है। वह महामारी से निपटने के बजाय छात्रों को कैद करने में लगा है।@DelhiPolice@AmitShah@narendramodi#ReleaseAllPoliticalPrisoners#StopArrestingStudents
— JNUSU (@JNUSUofficial) May 27, 2020
छात्रों ने प्रदर्शन जारी रखने की कही बात
छात्रों ने आरोप लगाया कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा समेत अन्य भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषणों के बाद दिल्ली में दंगे हुए। इससे पहले सभी प्रदर्शनकारी शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे। इनके बढ़काऊ भाषणों के सभी सबूत मौजूद है। लेकिन, जिन पर सरकार और गृहमंत्रालय के अंतर्गत आने वाली पुलिस को कार्यवाही करनी चाहिए थी उन पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई।
एसएफआई जैसे तमाम छात्र संगठनों ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा है कि सरकार एवं पुलिस वास्तविक गुनहगारों पर कार्यवाही नहीं करती है तो एसएफआई द्वारा भविष्य में लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए खुले में शारीरिक दूरी बनाकर प्रदर्शन और आंदोलन किया जाएगा। एसएफआई लोकतांत्रिक समाजवादी मूल्यों के लिए लगातार आवाज़ बुलंद करता रहेगा।
Kapil Mishra, Anurag Thakur & Pravesh Verma (BJP) delivered hate speeches and Incited the riot turned into pogrom in Delhi. Everything available in public domain. Delhi Police Act on it & release innocent activists & students.#ReleaseAllPoliticalPrisoners #StopArrestingStudents
— SFI Delhi (@SfiDelhi) May 27, 2020
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