भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) कैम्पस में स्थित छात्रावास में रहने वाले कुछ छात्र कोरोना वायरस संक्रमण की स्थित को देखते हुए अपने घर चले गये थे। देशव्यापी लॉकडाउन के बाद जब इसमें अब ढिलाई दी जा रही है तो दो छात्रों ने शैक्षणिक कार्यों में आ रही बाधाओं को देखते हुए अपने छात्रावास में लौटने का फैसला किया। ये छात्र जब आज सोमवार सुबह आईआईएमसी कैम्पस गेट पर पहुँचे तो इन्हें अंदर प्रवेश देने से मना कर दिया गया और पत्रकारिता सीखने आये छात्र अपनी ही व्यथा लिए बेबस और बेसहारा हो गये। उन्हें अपने ही घर (होस्टल) में नहीं घुसने दिया जा रहा है जिसके लिए उन्होंने बकायदा फीस दी है।
इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली का तापमान भी काफी बढ़ गया है और इस चिलचिलाती धूप और गर्मी के बीच आईआईएमसी के छात्र दिन भर संस्थान गेट के सामने सड़को पर बैठने के लिए मजबूर हुए। सरकारी नियमावली की अनदेखी करते हुए न इनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था की गई और न ही इन्हें अपने कमरे में जाने दिया गया। इनको टॉयलेट-बाथरूम तक भी इस्तेमाल करने से मना कर दिया गया है।
घर से वापस लौटे छात्र ऋषिकेश कहते हैं “हम लोग लॉकडाउन शुरू होने के पहले घर चले गये थे और लॉकडाउन ख़त्म होने का इन्तिजार कर रहे थे,अभी हमारा कोर्स भी कम्पलीट नहीं हुआ है और आईआईएमसी प्रशासन ने हमें इन्टर्नशिप और बाकी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए बोला है लेकिन घर में लैपटॉप-इंटरनेट जैसी सुविधा न होने के कारण घर से काम करने में बहुत दिक्कत आ रही थी तो हमने लॉकडाउन में ढील दिये जाने पर हॉस्टल पहुँचकर सारा काम पूरा करने का फैसला लिया लेकिन, प्रशासन का यह अमानीय व्यवहार मुझे दु:खी कर रहा है।
भारत में लॉकडाउन का आज 62वॉ दिन है। दिल्ली सरकार का सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करने और आम लोगों को बिना कष्ट के हर सुविधा और मदद पहुँचाने का वायदा है ऐसे मे शैक्षणिक संस्थानों द्वारा इस तरह की संवेदनहीनता बरती जा रही है । इसे सरकारी मिशन और जागरूकता फेल होने के बड़े उदाहरण के रूप में भी देखा जा सकता है।
अरे केवल 2 छात्र दिख रहें हैं फोटु में । आए ये जो लड़का है ये तो सस्पेंड हुआ है। इस वापिस घर भेज दो ।