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क्या 2024 में बीजेपी को हरा पाएगा विपक्ष, कौन होगा विपक्ष से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार?

2024 के चुनाव नजदीक है,पक्ष और विपक्ष अपनी अपनी तैयारियों में लग चुका है। इसी बीच 23 जून को बिहार के पटना में एक बहुत बड़ी विपक्षी दल की बैठक हुई। जिसमें करीब 15 राजनैतिक पार्टियां एक साथ आयी। विपक्ष की 2024 के चुनाव से पहले एक जुटता और सत्ता परिवर्तन को लेकर चर्चा हुई। विपक्षी एकता बैठक के चलते सियासी पारा भी बढ़ा हुआ है,वही दूसरी तरफ बीजेपी में खूब खलबली मची हुई है। इसी बीच गृहमंत्री अमित शाह से लेकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी विपक्षी बैठक पर बयान देते नजर आ रहें हैं।

हालांकि इस मीटिंग में  दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, उद्धव ठाकरे, एम के स्टालिन, मल्लिकार्जुन खड़गे, दीपांकर भट्टाचार्य, लालू यादव, तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार, केसी वेणुगोपाल, ललन सिंह, सीताराम येचुरी, उमर अब्बदुल्ला, मनोज कुमार झा समेत कई बड़े नेता शामिल हुए। विपक्षी दलों के नेता बार-बार ये दावे कर रहे हैं कि अगर सभी दल एकजुट हो गए तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हराया जा सकता है। आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव कई मुद्दे अहम बताये जा रहे है जिनको लेकर विपक्ष एक साथ आ रही है ।

कुछ मुद्दे ऐसे भी है जिन्हें लेकर जनता में आक्रोश है जैसे मणिपुर में हो रही हिंसा का मुद्दा ,पहलवानों के साथ हुए शोषण का मुद्दा, किसानों के मुद्दे, बेरोजगारी का मुद्दा, बढ़ती गरीबी से लेकर अपराधों के मुद्दे ऐसे और कई मुद्दे है जिनके आधार पर अब सरकार चुनी जायेगी और पिछली सरकार का आकलन किया जायेगा। हालांकि विपक्ष की एकजुटता पर भी  काफी सवाल उठाये जा रहे, बीजेपी की तरफ से भी बयान आ रहे हैं। बताया जा रहा है की विपक्षी दलों की बैठक से पहले ही मतभेद के स्वर गूंजने लगे हैं। जहां एक तरफ कांग्रेस और आप के बीच अध्यादेश को लेकर मतभेद है वहीं दूसरी तरफ लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीररंजन चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को विपक्षी एकता की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बता रहे है। इन सारी बातों के चलते देखना यह होगा की यह विपक्षी एकजुटता 2024 के चुनाव तक कितना एकजुट रह पाती है।

अमित शाह का दावा, फिर बीजेपी 300 पार

2024 से भाजपा को सरकार में रहे 10 साल पूरे हो जायेंगे। 2014 में कई दावों के दम पर चुनाव जीतने वाली भाजपा कितना अपने दावों में खरी उतरी है यह तो आकड़े बता पायेंगे। हालांकि 2024 के चुनाव को लेकर गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से यह दावे किये जा रहे है कि 300 से ज्यादा सीटों के साथ बीजेपी का दोबारा सत्ता मे आना तय है। दिल्ली से लेकर झारखंड तक बीजेपी नेता सभी लोकसभा सीटो पर जीत दर्ज करने की बात कर रहें हैं। हालांकि अब भाजपा भी कमर कसकर चुनाव के लिए तैयार हो रही हैं,मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने के बाद बीजेपी अपनी उपलब्धियों को गिनाने के साथ- साथ जनसंपर्क अभियान चला रही है। बीजेपी आभी 2024 के चुनावों के लिए अपने सहयोगियों पर ध्यान केंद्रित केरेगी।

2024 में विपक्षी दल एक साथ लड़ेंगे चुनाव

अब भाजपा को बहुमत से हटाने के लिए विपक्ष भी पुरजोर ताकत लगा रहा है, समान विचारधारा वाली इन पार्टियों की एकजुटता 2024 में एनडीए को एक कड़ी टक्कर देती हुई नजर आ सकती हैं। 23 जून को हुई इस विपक्षी बैठक में करीब छह राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल रहे हैं। बिहार के अलावा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली, पंजाब और झारखंड के मुख्यमंत्री भी थे। इन छह प्रदेशों को मिलाकर कुल 155 लोकसभा सीटें हैं। वहीं विपक्षी एकता की बैठक में चार पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल थे और ये सभी अपने-अपने राज्यों की राजनीति में एक अहम किरदार निभाते हैं। महबूबा मुफ्ती और फारुख अब्दुल्ला का जम्मू-कश्मीर में काफी प्रभाव रहा है। इन दोनों के साथ कांग्रेस के आने से यह गठबंधन भाजपा को बराबरी का टक्कर देगा।

जिन राज्यों के प्रमुख नेता इस बैठक में शामिल रहें है, उसमें बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, झारखंड, पंजाब और दिल्ली को मिलाकर कुल 283 लोकसभा सीटें हैं। वहीं कांग्रेस शासित चार राज्यों में 68 सीटें हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार, उद्धव ठाकरे पहले से ही कांग्रेस के साथ महाअघाड़ी गठबंधन में हैं। इस प्रदेश में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं। इसमें भाजपा 41 जबकि यूपीए 5 सीटों पर काबिज है। 2019 में शिवसेना एनडीए के साथ थी। अब शिवसेना (बाला साहेब) भी विपक्षी गठबंधन में है। कांग्रेस सात राज सरकार में है। बिहार, झारखंड और तमिलनाडु में वह सत्ता के साथ  गठबंधन में शामिल है, जबकि हिमाचल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में कांग्रेस की  सरकार है। इन चार राज्य को मिलाकर कुल 68 सीटें हैं। यूपी में पहले भी विपक्ष में सपा और कांग्रेस साथ आयी है। और सबसे अधिक सीटें भी यहीं हैं। दिल्ली पंजाब में आप और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ कांग्रेस, वाम दल और अन्य गैर भाजपा दल साथ आयेंगे तो एक बड़ी जीत मिल सकती हैं।

एक तरफ बीजेपी के कई सदस्य विपक्ष की बैठक से परेशान नजर आ रहे है तो कई बेफिक्र भी दिख रहे हैं। कारण है प्रमुख राज्यों की सीट, उत्तर प्रदेश(70), राजस्थान(25), दिल्ली(7), हिमांचल प्रदेश(4),गुजरात(26),उत्तराखंड(5)। यह राज्य ऐसे जहां पर बीजेपी 2019 में बहुमत से जीत हासिल की है।

हालांकि आज की बैठक में इस बात की सहमति बन गई है कि सभी लोग एक साथ चुनाव लड़ेंगे और अब विपक्षी दलों की अगली बैठक शिमला में होगी ।

अब देखना यह होगा कि आपसी मतभेद भूल कर एकजुट हुआ यह विपक्षी दल 2024 के चुनावों क्या सत्ता परिवर्तन कर पायेगा?

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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