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prabhat

एक महाभारत होने से बचा, मगर क्रांति का रास्ता प्रशस्त हो चला है?

दमन, शोषण और हिंसा के समर्थक इतने नीच कैसे हो सकते हैं? आंखों पर पर्दा डालकर अमानवीय हरकत कैसे कर सकते हैं? उपद्रव का सहारा लेकर किसी शांतिपूर्ण आंदोलन में विघ्न कैसे डाल सकते हैं?…


…और कितनी लाशें बिछाई जायेंगी सरकार!

मैं एक पत्रकार की हैसियत से कभी रिपोर्टिंग तो कर लेता हूँ मगर सबसे पहले मैं इंसान हूँ। सही गलत की चादर ओढ़ने का फर्क मुझे पता लगाना काफी आसान सा लगता है। मैं जानता…


कोविड-19 के मामले बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन चर्चा कम होती जा रही है क्यों?

कोविड का दौर और मजदूर अपने काम में, किसान अपने काम में, ड्राइवर, चिकित्सक, पत्रकार सब अपने अपने कामों में मशगूल हैं। लेकिन इनमें से एक वो है जो काफी एहतियात बरत रहा है यहां…


आखिर! हफ्ते भर बाद दर्ज हुआ एनसीआर, लेकिन पुलिस ने संज्ञेय अपराध क्यों नहीं माना?

दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में फोरम4 के संपादक प्रभात से स्टाफ ने 7 जून को बदसलूकी और मारपीट की थी। इस संबंध में नॉर्थ एवन्यू, नई दिल्ली थाना की पुलिस ने काफी टालमटोल के बाद…