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poet

कविताः विरासत

-रचना दीक्षित बचपन,सपने, यादें, विरासत छोड़ आई थी,रख आई थी, सहेज आई थी अपने घर की दहलीज़ के भीतर कभी ढूंढती हूँ, खोजती हूँ, टटोलती हूँ, तलाशती हूँ कहीं भी कुछ भी जब तब पूंछते…


मेले में पान बीड़ी की दुकान लगाए, कवि “लिखे जो खत तुझे”, मुझको याद किया जाएगा

-सुकृति गुप्ता  (महान कवि की यादों पर विशेष) “स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे। कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते…


विशेषः जनकवि, जिन्होंने प्रधानमंत्री तक के खिलाफ लिखा, जानिए जिन्हें मारने की योजना भी बनी थी

-सुकृति गुप्ता “जनकवि हूँ, मैं साफ़ कहूंगा, क्यों हकलाऊं” आज उस आदमी का जन्मदिन है, जिसे घूम-घूम कर कविता लिखने का शौक था। घूमने का इतना शौक फ़रमाते थे कि बीवी के पास भी नहीं…