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dr sanjay

मौन संवाद का रिश्ता

बरसों से तेरे मेरे बीच नहीं है कोई वार्तालाप मगर बन गया है एक रिश्ता तेरे मेरे दरमियान मौन, मौन हाँ…मौन संवाद का जिसमें तुम कुछ कहती भी नहीं हो फिर भी सब मालूम हो…


तो माला प्यार की तोड़ देना, वक्त की मांग है

जब प्रयास विनम्रता के सारे असफल हो जाएं द्वार देवताओं के प्रार्थनाएं सारी अनसुनी हो जाएं तो बंधन मनुहार के तोड़ देना, वक़्त की मांग है निभाते रहे हम ही रीत सदा प्रीत की हारकर…


पितृ दिवस पर कविताः पिता से अमीर शख्स इस दुनिया में कहीं और कहां मिलता है

तपती दोपहरी में जो सुकून उस बरगद के पेड़ की छांव में मिलता है ढूंढ़ने भर से पूरे ज़माने में वो फिर और कही कहां मिलता है   कितनी भी कमा लूं दौलत कितने भी…