मेरी कलम की गुस्ताखी- “मुट्ठीभर खुशी”
अलसाई धुंधली सुबह के बाद बड़े दिन हुए चमकीली धूप निकली। लग रहा था कि कितने दिनों की नींद से ये कूनो का जंगल सोकर उठा है। ओस ने नहला के इसे राजा बेटे सा…
अलसाई धुंधली सुबह के बाद बड़े दिन हुए चमकीली धूप निकली। लग रहा था कि कितने दिनों की नींद से ये कूनो का जंगल सोकर उठा है। ओस ने नहला के इसे राजा बेटे सा…
-डॉ. अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ‘मंटो’ बायोपिक फिल्म की बहुत समय से प्रतीक्षा कर रहा था। समय-समय पर आने वाले ट्रेलर या वीडियो के टुकड़े इंतिजार को अ-धीरज में बदल रहे थे। आज वह दिन हाथ…
-संजय भास्कर हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष और नामचीन कवि विष्णु खरे (78) का बुधवार को दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में निधन हो गया। बीते 12 सितंबर को ब्रेन हेमरेज के बाद उन्हें यहां भर्ती…
-सुकृति गुप्ता दीवारों पर सीलन हैं दरारे हैं चीखती चिल्लाती दर्द से कराहती कुछ दरारें दीवारों के अंदर भी हैं…. कमलेश्वर अपनी कहानी ‘आज़ादी मुबारक’ में मंटो के साथ आज़ादी का जश्न मनाते हैं। जश्न…