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डीयू दाखिले में पंजीकरण शुल्क में असमानता के विरोध में छात्रों ने कुलपति का पुतला जलाया

दिल्ली विश्वविद्यालय दाखिले को लेकर इस बार विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। एक ओर दिल्ली हाई कोर्ट ने तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पंजीकरण की तिथि बढ़ाने के आदेश दिए तो वहीं पंजीकरण शुल्क में आरक्षित वर्गों के साथ भेदभाव और असमान रवैया अपनाने के विरोध में विभिन्न छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। इस विरोध का ताजा रूप शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में तब देखने को मिला जब जनसभा में उपस्थित छात्रों को हिरासत में ले लिया गया हालांकि बाद में पुलिस ने सभी को छोड़ दिया। बाद में डीयू के कुलपति योगेश त्यागी का पुतला दहन किया गया।

स्फेटूडेंस फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) जैसे तमाम छात्न संगठन के बैनर तले दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय के बाहर ओबीसी छात्रों के लिए पंजीकरण शुल्क में विसंगति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 124 वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संसद ने सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस से संबंधित लोगों के लिए उच्च शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण लागू किया है। जिस मानदंड पर ओबीसी और ईडब्ल्यूएस दोनों आरक्षण आधारित है, वह आर्थिक है, और दोनों के लिए आय की सीमा 8 लाख रुपये निर्धारित की गई है। फिर भी दिल्ली विश्वविद्यालय ने जानबूझकर ओबीसी और जनरल श्रेणी के लिए पंजीकरण शुल्क समान रूप से 750 रुपये रखा, जबकि ईडब्ल्यूएस से संबंधित छात्रों के लिए 300 रुपये।

दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले में ईडब्ल्यूएस कोटा छात्रों के लिए बना आफत

इस संबंध में एसएफआई ने डीन को ज्ञापन भी सौंपा। क्योंकि प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है, प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद भी इस पर उसने कोई कदम नहीं उठाया। ओबीसी छात्रों के साथ हुए अन्याय और इस प्रकार भेदभाव का विरोध करने के लिए, एसएफआई ने प्रशासन से जवाब मांगने के लिए नॉर्थ कैंपस में शुक्रवार को एक शांतिपूर्ण रैली और जनसभा की। रैली शुरू होने से पहले, पुलिस ने एसएफआई कार्यकर्ताओं को मारना शुरू कर दिया और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।

छात्र समुदाय से बढ़ते दबाव को देखते हुए, पुलिस ने तुरंत हिरासत में लिए छात्रों को रिहा कर दिया। छात्रों ने डीयू कुलपति के विरोध में जनसभा पूरी करने के बाद पुतला दहन भी किया।

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इस संबंध में एसएफआई के उपाध्य़क्ष सुमित ने फोरम4 से बातचीत में बताया कि “डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर और अन्य अधिकारियों से मिलने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा गार्डों ने एक ही पुराने बहाने का हवाला देते हुए रोक दिया कि कोई भी अधिकारी उपलब्ध नहीं है। आम छात्रों के प्रति प्रशासन का यह असंगत और उदासीन रवैया और उनकी मांग अनिश्चित काल तक नहीं चल सकती। हम इस मुद्दे का पालन करेंगे और अपने संघर्ष को आगे बढ़ाते रहेंगे और अधिक आक्रामक तरीके से हमारी सभी मांगों को पूरा करेंगे।”

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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