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डीयूः अब कॉलेजों में प्राचार्य पदों पर विज्ञापन निकला, बिना प्राचार्य के चल रहे हैं दर्जन भर कॉलेज

दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध विभागों में सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति किए जाने को लेकर विज्ञापन निकाले गए थे। इसी कड़ी में अब दो कॉलेजों ने अपने यहां प्राचार्य पदों के विज्ञापन निकाले है। इन कॉलेजों में श्री अरबिंदो कॉलेज (सांध्य) और मिरांडा हाउस कॉलेज है। लंबे समय से प्राचार्य पदों पर नियुक्तियां ना होने से लगभग एक दर्जन कॉलेजों के प्राचार्यों के पद खाली पड़े हुए हैं। इन कॉलेजों में सबसे ज्यादा दिल्ली सरकार के कॉलेज है जो पिछले 6 महीनों से बिना गवर्निंग बॉडी के चल रहे हैं, हालांकि इनमें से कुछ में काम चलाऊं ट्रेंकेटिड गवर्निग बॉडी है, कुछ में तो दोनों ही नहीं।

दिल्ली सरकार के अंतर्गत 28 कॉलेज आते हैं, यहां भी एक दर्जन से अधिक ऐसे कॉलेज हैं जो अस्थायी रूप से या ओएसडी प्राचार्यों के सहारे चल रहे हैं। इन कॉलेजों में पहले भी प्राचार्य पदों के विज्ञापन निकाले गए थे जिसमें कुछ में स्थायी नियुक्ति हुई। जिन कॉलेजों में प्राचार्य पदों पर इंटरव्यू नहीं हुए उन विज्ञापनों की समय सीमा दिसम्बर 2018 में समाप्त हो गई। इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के ना होने से प्राचार्य पदों पर नियुक्तियां ना हो पाईं और न ही पद निकाले गए।

दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि डीयू कॉलेजों में दिसंबर-2018 से स्थायी प्राचार्यों की नियुक्तियां के ना होने से एडहॉक टीचर्स की स्थायी नियुक्ति नहीं हो रही और ना ही स्थायी शिक्षकों की पदोन्नति ही।

हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वे कॉलेज जिनमें स्थायी प्राचार्य नहीं है उनमे श्री अरबिंदो कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज (सांध्य), मोतीलाल नेहरू कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज( सांध्य),  शहीद भगत सिंह कॉलेज, शहीद भगत सिंह कॉलेज (सांध्य ) सत्यवती सह शिक्षा कॉलेज, सत्यवती सह शिक्षा कॉलेज (सांध्य), राजधानी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, भारती कॉलेज, गार्गी कॉलेज , मैत्रेयी कॉलेज, इंदिरा ग़ांधी फिजिकल एजुकेशन, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज आदि कॉलेजों में दो से पांच वर्षों से प्राचार्यों के पद खाली पड़े हैं।

दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स का मामला कोर्ट में विचाराधीन है, वहीं कालिंदी कॉलेज की प्राचार्य के कुलपति बनने के बाद प्राचार्य का पद खाली हो गया है।

उनका कहना है कि दिल्ली सरकार के अधिकांश कॉलेजों में लंबे समय से कुछ तो 5 साल या उससे अधिक से प्राचार्यों के पद खाली पड़े हुए हैं। इसी तरह से प्राचार्यों के पदों पर भी नियुक्ति ना होने से टीचिंग व नॉन टीचिंग की परमानेंट वेकेंसी नहीं निकाली गई, कुछ ने निकाली है तो पूरा आरक्षण नहीं दिया गया है। लाइब्रेरियन व प्राचार्यों के कारण लाइब्रेरी में नॉन टीचिंग की नियुक्तियां भी नहीं हो पा रही है। उन्होंने जल्द से जल्द लाइब्रेरियन व कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति हो इसके लिए दिल्ली सरकार से गवर्निंग बॉडी के लोगों की लिस्ट भेजने की मांग दिल्ली के मुख्यमंत्री से की है ताकि नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू की जा सके। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार को डीयू कुलपति से अपने कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी के संदर्भ में बात करनी चाहिए। बिना गवर्निंग बॉडी के प्राचार्य मनमानी कर रहे हैं।

प्रो. सुमन ने बताया है कि जब श्री अरबिंदो कॉलेज में दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी नहीं है और न ही कोई चेयरमैन बनाया गया है तो ऐसी स्थिति में श्री अरबिंदो कॉलेज (सांध्य) में निकाले गए प्राचार्य पद का विज्ञापन संदेह के घेरे में आ रहा है।

दिल्ली सरकार के कॉलेजों में 6 महीनों से नहीं गवर्निंग बॉडी

प्रो. सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में 7 मार्च 2019 से गवर्निंग बॉडी नहीं है। डीयू की सुप्रीम बॉडी ईसी में दो बार गवर्निंग बॉडी का मामला आ चुका है, लेकिन सरकार और विश्वविद्यालय के बीच खींचतान के कारण पिछले 6 महीनों से इन कॉलेजों में सरकार की गवर्निंग बॉडी नहीं है। गवर्निंग बॉडी के लोगों के नाम भेजने के लिए इस संदर्भ में डूटा भी दिल्ली के मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से मिल चुका है लेकिन समाधान कोई नहीं? अभी तक बिना गवर्निंग बॉडी के कॉलेज चल रहे हैं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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