SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

डीयू तदर्थ शिक्षकों को नए शैक्षिक सत्र में ज्वाइन कराने की करेगा कोशिश

credit: google

दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण को लेकर लगातार शिक्षक संघ की ओर से प्रयास जारी हैं। 05 मार्च 2018 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से आरक्षण को लेकर विश्वविद्यालयों को जारी किए गए पत्र के संबंध में लगातार तदर्थ शिक्षकों (एडहॉक टीचर्स) के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) आंदोलन कर रही है। शिक्षकों की ओर से लगभग 36 दिनों के उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के बहिष्कार के बावजूद इस पत्र को वापस लेने के लिए सरकार ने भी कोई संज्ञान नहीं लिया है कि आरक्षण विरोधी इस पत्र को वापिस लिया जाए।

शिक्षकों की समस्याओं को लेकर प्रो वीसी से की मुलाकात

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध कॉलेजों में पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षक की शैक्षिक सत्र 2018-19 में रिज्वाइनिंग की मांग को लेकर डीयू विद्वत परिषद के सदस्य प्रो .हंसराज सुमन ने प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर जेपी खुराना और रजिस्ट्रार प्रो तरुण दास से उनके कार्यालय में जाकर मुलाकात की। प्रो सुमन ने उनसे आग्रह किया कि कॉलेजों में तदर्थ शिक्षक के रूप में पढ़ा रहे लगभग 4500 शिक्षकों को कॉलेजों द्वारा पास कराए गए पुराने 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर पर ही शैक्षिक सत्र के पहले दिन सबको रिज्वाइनिंग कराया जायें ताकि उसे समर सैलरी और सर्विस में लाभ मिल सके।

प्रो सुमन ने उनके सामने यह भी प्रस्ताव रखा है कि जिन कॉलेजों ने  5 मार्च 2018 से पूर्व अपना रोस्टर 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर बनाकर डीयू के एससी, एसटी और ओबीसी के लायजन ऑफिसर से पास कराकर उन पदों का विज्ञापन निकाला जा चुका है, इन पदों को भरने के लिए लगभग 4.5 लाख आवेदन पत्र आए थे और उन आवेदन पत्रों की विश्वविद्यालय व कॉलेज स्क्रीनिंग और स्कुटनी करा चुके हैं। उन पदों पर जल्द से जल्द विश्वविद्यालय स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।

उन्होंने बताया है कि 4500 पदों के लिए उम्मीदवारों द्वारा 5 से 8 बार अप्लाई किया जा चुका है, लेकिन एक बार भी इन पदों पर साक्षात्कार नहीं हुए हैं। इससे बार-बार उम्मीदवारों और कॉलेजों का पैसा विज्ञापन पर खर्च होता है। इसलिए बिना देर किए इन पदों को भरने के लिए सलेक्शन कमेटी और डिपार्टमेंट से एक्सपर्ट पैनल बनवाकर नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

शिक्षकों के हित को ध्यान में रखने का दिया आश्वासन

प्रो वीसी ने आश्वासन दिया है कि वे 5 मार्च के यूजीसी सर्कुलर पर ही कार्य कर रहे हैं। उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि कॉलेजों में पढ़ा रहे लंबे समय से तदर्थ शिक्षकों का किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा। साथ ही उनकी यह भी कोशिश है कि जिन पदों के विज्ञापन आ चुके हैं, उन पदों को भरने के लिए क्या ऐसी नीति बनाएं ताकि कोई तदर्थ शिक्षक सिस्टम से बाहर न हो।उन्होंने यह भी मांग रखी कि छात्रों के भविष्य को देखते हुए उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार वापिस लें और जल्द उनकी जांचने का काम शुरू करें।

पत्र का क्या होगा असर

05 मार्च 2018 को जारी किए गए पत्र का सीधा असर आरक्षित पदों पर होगा। क्योंकि मुख्यतः इस पत्र में कॉलेज/विश्वविद्यालय को एक इकाई मानने की बजाय विभाग को इकाई मानने का आदेश जारी किया गया है जिससे सामाजिक न्याय की एक लंबे समय की मुहिम को बड़ा झटका लगेगा। खासतौर पर दलित, आदिवासी और पिछड़े समूह के पदों में रोस्टर के बदलाव से भारी कटौती होगी ।

इस पत्र का नुकसान यह भी है कि कोर्ट के दखल से विश्वविद्यालय में स्थायी नियुक्ति की जो प्रक्रिया शुरू हो रही थी वह रुक गई। इसका सीधा प्रभाव तदर्थ शिक्षकों और अनुसंधान कर रहे छात्रों पर पड़ेगा। इतना ही नहीं अगर यह पत्र तुरंत वापस नहीं होता है तो आने वाले जुलाई सत्र में विश्वविद्यालय/महाविद्यालयों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों की बड़ी मात्रा में नौकरियां चली जाएंगी।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

Be the first to comment on "डीयू तदर्थ शिक्षकों को नए शैक्षिक सत्र में ज्वाइन कराने की करेगा कोशिश"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*