दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी लगभग बनकर तैयार है। एक तरफ जहां इसका अनावरण प्रधानमंत्री मोदी 31 अक्टूबर को करेंगे। वहीं दूसरी तरफ आदिवासियों का कहना है कि ये प्रोजेक्ट उनके लिए विनाशकारी है। इसके विरोध में 72 गांवों के किसी घर में चूल्हा तक नहीं जलेगा।
बता दें कि भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति का उद्घाटन उनकी जयंती पर किया जाएगा। इस मूर्ति को दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति कहा जा रहा है जिसकी लंबाई 182 मीटर होगी। इस मूर्ति के आगे अमेरिका की स्टैचू ऑफ लिबर्टी भी छोटी नजर आएगी। इस मूर्ति के आसपास के गांवों के हजारों आदिवासी इसके विरोध में भारी प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं।
आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय आदिवासी संगठनों ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रोजेक्ट की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित करीब 75,000 आदिवासी प्रधानमंत्री और नर्मदा जिले के केवड़िया में प्रतिमा के अनावरण का विरोध करेंगे।
आदिवासी नेता प्रफुल्ल वसावा ने कहा, ‘72 गांवों में कोई खाना नहीं पकेगा। हम उस दिन शोक मनाएंगे क्योंकि इस प्रोजेक्ट की वजह से हमारा जीवन बर्बाद हो गया।’ पारंपरिक तौर पर आदिवासी समुदाय में उस दिन भोजन नहीं पकाया जाता है जब वे किसी मृतक के लिए शोक मना रहे होते हैं।
वसावा ने आईएएनएस को बताया कि ‘आदिवासी के रूप में हमारे अधिकारों का सरकार ने उल्लंघन किया है। हम गुजरात के महान पुत्र सरदार पटेल के खिलाफ नहीं हैं। उनका सम्मान किया जाना चाहिए। हम विकास के भी खिलाफ नहीं हैं लेकिन इस सरकार का विकास का विचार एकतरफा है और आदिवासियों के खिलाफ है।’
आदिवासियों की है कि उनकी जमीन सरदार सरोवर नर्मदा परियोजना के साथ मूर्ति और अन्य सभी पर्यटन गतिविधियों के लिए ले ली गई है।
आदिवासियों के इस असहयोग आंदोलन को राज्य के 100 छोटे और बड़े आदिवासी संगठन समर्थन दे रहे हैं। वसावा के अनुसार ‘उत्तरी गुजरात के बनासकांठा से लेकर दक्षिण गुजरात के नौ आदिवासी जिले के लोग हमारे विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।’
उन्होंने आगे कहा, ‘ये बंद स्कूल, ऑफिस या वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि 31 अक्टूबर को किसी भी घर में खाना नहीं बनेगा।’
इस स्टैच्यू से प्रभावित आदिवासी पार्ची बोंडु ने कहा कि ‘सरकार ने सरदार सरोवर प्रोजेक्ट के नाम पर मेरी उपजाऊ जमीन ले ली और बदले में मुझे एक हेक्टेयर की जमीन दी है जो कि बंजर और उपजाऊ नहीं है। ऐसे जमीन का मैं क्या करूं?’
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रोजेक्ट की वजह से प्रभावित हुए 72 गांवों में से 32 गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इनमें से 19 गांवों में तथाकथित रूप से पुनर्वास नहीं हुआ है। केवड़िया कॉलोनी के छह गांव और गरुदेश्वर ब्लॉक के सात गांवों में सिर्फ मुआवज़ा दिया गया है। जमीन और नौकरी जैसे वादों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है।
गरुदेश्वर के रमेशभाई ने कहा, ‘सरकार ने हमारी जमीन ले ली और अभी तक हमें सिर्फ पैसा ही दिया है। सरकार ने जो अन्य वादे किए थे जैसे कि जमीन, प्रभावितों को नौकरी जैसी चीजें नहीं दी गई हैं। कुछ प्रभावित लोगों ने भूमि अधिग्रहण के विरोध में पैसे भी नहीं लिए।’वहीं जितने लोगों को जमीन दी गई है उनमें से अधिकतर का कहना है कि वे इससे संतुष्ट नहीं हैं।
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