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दिल्ली विश्वविद्यालय एस्मा के दायरे से बाहर, केंद्रीय मंत्री ने दिए समिति भंग करने के आदेश

तस्वीरः गूगल साभार

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को एस्मा के दायरे से बाहर कर दिया है। उन्होंने एस्मा के दायरे में लाने की संभावना पर विचार करने वाली समिति को ही भंग करने का आदेश दे दिया है। यह कदम सरकार की ओर से डीयू के शिक्षकों के भारी विरोध के बाद उठाया गया है।

जावेड़कर ने डीयू में एस्मा लगाने के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा है कि सरकार का इरादा शिक्षकों की अभिव्यक्ति की आजादी को रोकने का नहीं है। उन्होंने शनिवार को ट्वीट करके कहा कि सरकार दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) या किसी अन्य विश्वविद्यालय में शिक्षकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोकना नहीं चाहती है।


उच्च शिक्षा सचिव ने डीयू में एस्मा पर ट्वीट करके दी सफाई

उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम ने भी ट्वीट करके कहा कि डीयू में एस्मा लगाने का हमारा कोई प्रस्ताव नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटूा) की हड़ताल के दौरान छात्रों का सुझाव था कि हड़ताल को प्रतिबंधित किया जाए। हमने इसकी जांच की लेकिन, सुझाव को आगे नहीं बढ़ाया।


केंद्रीय कर्मचारी सेवा नियमावली को भी सरकार ले वापिस

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संगठन के नेता एके भागी ने भी एस्मा लगाने के प्रस्ताव का विरोध किया है।  शिक्षकों का कहना है कि शिक्षकों के दबाव में सरकार ने यह कदम वापस ले लिया  जिसका वे स्वागत करते हैं लेकिन, सरकार को केन्द्रीय कर्मचारी सेवा नियमावाली को भी वापस ले लेना चाहिए। अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी तो  उनका आंदोलन जारी रहेगा।

हिंदुस्तान के पोर्टल पर प्रकाशित खबर के अनुसार भागी ने शनिवार को जावड़ेकर को पत्र लिखकर एस्मा लगाने के प्रयास का विरोध किया। भागी के अनुसार, जावड़ेकर ने इंद्र मोहन कपाही को भेजे ईमेल में जानकारी दी है कि उन्होंने यूजीसी की समिति को भंग करने का आदेश दे दिया है।

आपको बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय कानून 1922 में संधोधन करके एस्मा कानून के दायरे में लाने की संभावना तलाशने पर विचार के लिए चार अक्टूबर को एक समिति गठित की थी जिसे एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी थी।

क्या है एस्मा और क्या मंशा थी

मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिल्ली यूनिवर्सिटी एक्ट में संशोधन करके वहां कुछ गतिविधियों को एस्मा के दायरे में लाने के प्रयास में थी। इसके अंतर्गत परीक्षा, उत्तरपुस्तिकाओं की जांच और पढ़ने-पढ़ाने की गतिविधि को आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम (एस्मा) के अधीन लाया जा सकता था। मंत्रालय ने दिल्ली विवि एक्ट के अध्ययन के लिए एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया था। इन गतिविधियों को एस्मा के अधीन लाने का मकसद था कि शैक्षिक, गैरशैक्षिक और छात्रों की आजादी कुछ हद तक प्रभावित होगी। वे उन कामों में संलिप्त नहीं हो सकते जिससे विवि किसी की गतिविधियां किसी तरह से प्रभावित हों।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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