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यूजीसी ने विश्वविद्यालयों में जातीय भेदभाव रोकने के दिए निर्देश, कहा उठाए जाएं सख्त कदम

दिल्ली विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, डॉ आंबेडकर विश्वविद्यालय ,बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, इग्नू, एमडीयू समेत देशभर के विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की अवर सचिव मधु मेहरा ने परिपत्र (सर्कुलर) जारी करते हुए कहा है कि यूजीसी उच्च शिक्षण संस्थानों में जाति आधारित किसी भी भेदभाव की निगरानी कर रहा है।

यूजीसी ने यह परिपत्र 958 उन विश्वविद्यालयों/संस्थानों को भेजा है जो यूजीसी की लिस्ट में हैं और जो उससे अनुदान राशि लेती है। उन्हें यूजीसी के द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना अनिवार्य है। दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद के सदस्य प्रो.हंसराज सुमन ने बताया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में दलित छात्रों के साथ जातीय भेदभाव की शिकायतों को लेकर वर्ष -2015 में भी चर्चा हुई थी। सरकार चाहती है कि अन्य विश्वविद्यालयों में भी हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में शोधरत दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या की तरह कुछ पुनरावृत्ति न हो। इसके लिए इन विश्वविद्यालयों में एससी/एसटी ग्रीवेंस सेल की स्थापना हो। यूजीसी के इस परिपत्र पर विश्वविद्यालयों/संस्थानों/कॉलेजों को वर्कशॉप करानी चाहिए, जिससे जातीय भेदभाव के विषय में छात्रों, कर्मचारियों और शिक्षकों को अवगत कराया जा सके। उन्होंने दलित छात्रों के साथ विश्वविद्यालयों और कॉलेजों/कैम्पस में भेदभाव को समाप्त करने को लेकर केंद्र सरकार को भी इस पर विशेष ध्यान देने को कहा है।

गौरतलब है कि यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों में जातीय भेदभाव को लेकर 19 जुलाई 2011को भी सभी विश्वविद्यालों के कुलसचिव को पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि किसी भी संकाय/विश्वविद्यालय/संस्थान के कर्मचारी/अधिकारी दलित विद्यार्थियों के साथ हो रहे भेदभाव का आधार उनका दलित परिवार में जन्म लेना न बनाए।

शिकायतों के लिए वेबसाइट पर पेज निर्मित करें

यूजीसी की ओर से भेजे गए परिपत्र में यह कहा गया है कि कर्मचारी, शिक्षक और एससी, एसटी के छात्रों के प्रति सामाजिक आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव करने से बचें। उन्होंने आगे लिखा है कि विश्वविद्यालय/संस्थान/कॉलेज एससी/एसटी के छात्रों के भेदभाव संबंधी शिकायतें दर्ज करने के लिए अपनी वेबसाइटों पर पेज निर्मित करे और साथ ही इसी उद्देश्य के लिए रजिस्ट्रार व प्राचार्यों के दफ्तर में एक शिकायती रजिस्टर रखें। यदि इस तरह की कोई भी घटना अधिकारियों की नजर में आए तो तुरंत कर्मचारियों और शिक्षकों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए।

यूजीसी परिपत्र के साथ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और संस्थांनों को एक एक्शन टेकन रिपोर्ट के लिए फॉर्मेट भी भेजा गया है, जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी के खिलाफ हुए भेदभाव संबंधी शिकायत दर्ज करने हेतु वेबसाइट और साथ ही 2017-2018 के दौरान हुई शिकायतों में संख्या दर्ज करने के लिए कहा गया है। दर्ज हुई शिकायतों में से कितनी समस्याओं को सुलझाया गया और कितनी को नहीं उनकी संख्या भी मांगी गई है। साथ ही यदि कोई आत्महत्या जैसा कार्य होने पर कार्यवाही हुई या शिकायत हुई है तो उसकी संख्या दर्ज हो। इसमें कर्मचारियों और शिक्षकों द्वारा हुए भेदभाव के संदर्भ में की गई कार्यवाही की सूचना भी देना है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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