200 पॉइंट पोस्ट बेस्ड रोस्टर बहाल करने की मांग सरकार से की, एमएचआरडी मंत्री को लिखा अध्यादेश लाने को पत्र
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में एससी, एसटी, ओबीसी शिक्षक विश्वविद्यालय/कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्तियों में 200 पॉइंट पोस्ट बेस्ड रोस्टर की बहाली की मांग को लेकर पहले शिक्षक आर्ट्स फैकल्टी, नार्थ कैम्पस के गेट नम्बर-4 पर एकत्रित हुए। लगभग एक घन्टे तक इन शिक्षकों ने सरकार विरोधी नारेबाजी की और सरकार के उस निर्णय की कटु आलोचना की जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर पर सही से अपना पक्ष नहीं रखा, जिससे उनकी ओर से दायर एसएलपी को कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके विरोध में पिछले चार दिनों से शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं।
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इस कड़ी में शिक्षकों ने 25 जनवरी को कैंडल मार्च निकाला, यह मार्च आर्ट्स फैकल्टी से होते हुए रामजस कॉलेज, दौलतराम कॉलेज, श्रीराम कॉलेज, मिरांडा हाउस, पटेलचेस्ट होते हुए साइंस ब्लॉक के बाद अंत में आर्ट्स फैकल्टी पर समाप्त कर दिया।
इस कैंडल मार्च में सैकड़ों की संख्या में दूसरे विश्वविद्यालयों से शिक्षकों ने भाग लिया। इसमें जेएनयू, इग्नू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, आईपी, आम्बेडकर यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने अपना सहयोग देने का वायदा किया।
दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि यदि कोर्ट के निर्णय को यूजीसी/एमएचआरडी लागू करती है तो इससे लंबे समय से पढ़ा रहे आरक्षित श्रेणी के एडहॉक शिक्षक सिस्टम से बाहर हो जाएंगे। उनका कहना है कि विभागवार रोस्टर के लागू होने से जो छोटे विभाग हैं और उनमें 200 पॉइंट रोस्टर से आज जो शिक्षक पढ़ा रहे हैं वे बाहर हो जाएंगे।
निर्णय लागू ना किया जाये
प्रो. सुमन ने उच्चतम न्यायालय का निर्णय लागू न हो इसके लिए उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें मांग की है कि पहले कोर्ट के निर्णय की समीक्षा हो। समीक्षा करते वक्त सभी राजनैतिक पार्टियों के सांसदों को बुलाया जाना चाहिए ताकि पता चले कि रोस्टर व आरक्षण पर उनकी पार्टी की क्या सोच है वे रोस्टर के मसले पर कितने संवेदनशील हैं।
उनका कहना है कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद से एससी, एसटी, ओबीसी शिक्षकों में भय का माहौल बना हुआ है, उन्हें यह भय सता रहा है कि कहीं सरकार कोर्ट का निर्णय लागू ना कर दे,और जो लंबे समय से 200 पॉइंट पोस्ट बेस्ड रोस्टर व अपनी आरक्षित सीटों पर पढ़ा रहे हैं, बाहर न कर दे।
इस संदर्भ में शिक्षक संघ ने एमएचआरडी मंत्री को लिखे पत्र में शिक्षकों की नियुक्तियों में 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर की बहाली की मांग को लेकर पत्र लिखा है जिसमें उनसे मांग की गई है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे 4500 एडहॉक शिक्षकों को सिस्टम से बाहर नहीं किया जाए और आगामी बजट सत्र में आरक्षण व रोस्टर पर अध्यादेश लेकर आएं। यदि सरकार इस संदर्भ में अध्यादेश लेकर नहीं आती हैं तो एससी, एसटी के 50 फीसदी शिक्षक बाहर हो जाएंगे, इसमें सबसे ज्यादा मार अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों पर पड़ेगी, जहां छोटे विभाग हैं और उनकी पोस्ट 200 पॉइंट रोस्टर लागू होने पर बनी थी लेकिन, जैसे ही विभागवार या विषयवार रोस्टर लागू होता है सबसे पहले उन्हें बाहर निकाल दिया जाएगा। उनका कहना है कि लंबे समय से वैसे ही कॉलेजों तो /विश्वविद्यालय में स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। इस पर 2013 से पहले के रोस्टर पर लगे ये शिक्षक बाहर हो जाएंगे।
जेएनयू में प्रोफेसर राजेश पासवान ने अपने विचार रखते हुए कहा है कि हमें इस लड़ाई को दिल्ली से बाहर दूसरे प्रदेशों तक लेकर जाना है और उन शिक्षकों/शोधार्थियों को बताना है कि विभागवार रोस्टर के आने से आपकी नौकरी खतरे में है। साथ ही उन्होंने दलित, बहुजन व आदिवासियों को एक साथ लेकर चलने का आह्वान किया।
श्यामलाल कॉलेज से आएं डॉ. सुरेश कुमार ढांडा ने कहा कि विभागवार रोस्टर एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के उम्मीदवारों को उच्च शिक्षा में आने से रोकता है। इस रोस्टर के कारण लंबे समय से इंतजार कर रहे लाखों उम्मीदवार अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनके कॉलेज में 50 फीसदी शिक्षक जो अभी 200 पॉइंट रोस्टर पर लगे हैं वे उच्चतम न्यायालय के निर्णय आने के बाद अध्यापन कार्य से बाहर हो जाएंगे। उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार पूरी तरह आरक्षण विरोधी है।
कैंडल मार्च से पूर्व डॉ. रतनलाल, डॉ. ज्ञानप्रकाश, डॉ. मुलायम सिंह यादव, डॉ. सुधांशु कुमार, डॉ. राजेश कुमार ,डॉ लक्ष्मण यादव, सुरेंद्र कुमार, आदि ने संबोधित किया। सभी शिक्षकों ने कहा है कि जब तक सरकार आरक्षण पर अध्यादेश लेकर नहीं आती हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
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