क्या हारना इतना आसान है?
कि उस पर आंसू न निकले
आगे बढ़ने का प्रयास तक न करें
क्या हमारी असफलता में
सिर्फ हमारा दोष होता है?
चाह कर भी कुछ ना कर पाने पर
रोकने वालों का नहीं
तुम्हारी सुरक्षा के नाम पर
कदमों को समेट देने वालों का नहीं?
तुम चाह कर भी
पर नहीं फैला सकती
तुम लड़की हो
नाच -गा नहीं सकती
सपने भूल जाओ
परीक्षाओं के दिनों में भी
घर के 8 लोगों की रोटी पकाओ
करो तुम सब कुछ
किसने रोका है
कह देने वाले अक्सर
हर कदम पर रास्ते बंद कर दिया करते हैं
शायद वह तुम्हें बस मां, बहन, बेटी के सिवा
सिर्फ बहू, पत्नी के रूप में ही देख सकते हैं
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