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तदर्थ की जगह कॉलेज लगा रहे हैं अतिथि शिक्षक, यूजीसी नियमों की सरेआम अवहेलना

तस्वीरः गूगल साभार

जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज ने 27 अतिथि शिक्षक के पदों का निकाला विज्ञापन, अतिथि शिक्षक नहीं बन सकेंगे डूटा के सदस्य

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से सम्बद्ध कॉलेजों की ओर से अपने यहां तदर्थ शिक्षक की जगह अतिथि शिक्षक लगाने का प्रचलन शुरू कर दिया है। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस ने तदर्थ शिक्षकों के पदों को समाप्त कर उन्हें अतिथि फैकल्टी में तब्दील करने की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि हाल ही में जारी किए गए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर यूजीसी सर्कुलर की सरेआम अवेहलना की गई है। इतना ही नहीं दिल्ली विश्वविद्यालय ने गेस्ट फैकल्टी के नियमों को एसी/ईसी में पास नहीं किया है और न ही डीयू प्रशासन की ओर से कोई ऐसा सर्कुलर जारी हुआ है जिस पर यूजीसी के सर्कुलर को मानते हुए तदर्थ (एडहॉक) के स्थान पर अतिथि शिक्षकों को रखा जाए। विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं चाहता कि यहां पर स्थायी नियुक्ति हो। वह गेस्ट फैकल्टी से काम निकालना चाहता है।

फोरम के चेयरमैन प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि हाल ही में जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज ने अपने यहां विभिन्न विभागों में 27 पदों पर अतिथि शिक्षकों के विज्ञापन निकाले गए हैं।

विज्ञापन के अनुसार इनवायरमेंटल साइंस 4 पद (सामान्य वर्ग-1, एससी-1, एसटी-1, ओबीसी-1) के लिए आरक्षित है। इसी तरह इतिहास में 1 पद सामान्य श्रेणी के लिए, इकोनॉमिक्स- (ओबीसी-1, बंगाली-3,सामान्य-3) इलेक्ट्रॉनिक-2 पद (सामान्य-2) इंग्लिश-3 पद (सामान्य-1, एससी-1, ओबीसी-1), हिंदी-2 पद (सामान्य-1, ओबीसी-1) मैथमेटिक्स-4 पद (सामान्य-2, एससी-1, ओबीसी-1) साइकॉलोजी-1 पद (सामान्य-1), संस्कृत-3 पद (सामान्य-1, एससी-1, ओबीसी-1) पॉलिटिकल साइंस-1 (ओबीसी-1) उर्दू-2 पद (सामान्य-1, एसटी-1) के लिए पद विज्ञापित हुए।

इस तरह से सामान्य के लिए 14, एससी-4, एसटी-2 और ओबीसी-7 पदों को आरक्षित किया है।

प्रो. सुमन ने आगे बताया है कि पिछले सप्ताह भीमराव आम्बेडकर कॉलेज ने अपने यहां तदर्थ शिक्षकों के पदों का विज्ञापन निकाला। विज्ञापन के अनुसार हिंदी के 4, एससी के 2, एसटी के 1, ओबीसी के 1के अलावा 1 पद अतिथि शिक्षक के लिए था। इसी तरह से साइकोलॉजी विभाग में एसटी के 1 और 5 पदों पर अतिथि शिक्षकों का विज्ञापन निकाला गया था।

कॉलेज ने साक्षात्कार एडहॉक के लिए लिया लेकिन, उसके बाद इन पदों को अतिथि शिक्षकों में तब्दील कर दिया गया। जिन शिक्षकों को लगाया गया है उन्होंने बताया है कि जिन पदों पर तदर्थ का साक्षात्कार हुआ था वहां जब नियुक्ति पत्र की बात आई तो उन्हें अतिथि शिक्षकों का टाइम टेबल दे दिया गया।

प्रो. सुमन का कहना है कि कॉलेज सरेआम यूजीसी नियमों की अवहेलना करते हुए तदर्थ शिक्षकों के स्थान पर अतिथि शिक्षकों को रख रहे हैं। यूजीसी ने नियुक्ति संबंधी जो नियम बनाए थे उन्हें दरकिनार करते हुए पुराने नियमों के आधार पर गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति की जा रही है।

यूजीसी ने अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बनाए नये नियमों की सरेआम अवहेलना

प्रो. सुमन ने बताया है कि गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति विभाग/कॉलेजों में स्वीकृत पदों के आधार पर की जाएगी, हालांकि विश्वविद्यालयों में जहां स्वीकृत पद शैक्षिक वर्कलोड को ध्यान में रखते हुए अपर्याप्त हैं वहां गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति स्वीकृत पदों के 20 फीसद या उससे अधिक हो सकती है। साथ ही अतिथि शिक्षकों की योग्यता का निर्धारण विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में यूजीसी के अनुसार नियुक्त नियमित शिक्षकों के बराबर ही होगी। उनका कहना है कि नए नियमों को अभी तक एसी/ईसी में पारित नहीं किया गया है। पुराने नियमों के आधार पर ही कॉलेज अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर रहे हैं। गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति की प्रक्रिया उसी तरह होगी जिस प्रकार से नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए होती है जबकि नियुक्तियों के लिए निर्मित चयन समिति बैठेगी लेकिन, उसकी सरेआम अवहेलना हो रही है।

अतिथि शिक्षकों की चयन समिति

यूजीसी ने अतिथि शिक्षकों की चयन समिति में कुलपति/या उसके द्वारा नियुक्त नॉमिनी चयन समिति का चेयरपर्सन होगा। इसमें विषय से संबंधित विषय विशेषज्ञ कुलपति द्वारा नामित होगा। इसके अतिरिक्त विभाग से संबंधित डीन, जहां आवश्यक हों। चयन समिति में विभाग प्रभारी/इंचार्ज भी होगा। समिति में एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक/महिला/अन्य रूप से सक्षम श्रेणियों के संदर्भ में एक प्रतिनिधि नामित अकादमिक अधिकारी जो कि कुलपति या कार्यकारी कुलपति द्वारा नामित होगा। यदि इन सदस्यों में कोई अभ्यर्थी हो तो वह इस श्रेणी में नहीं आयेगा। इस संदर्भ में कुल चार सदस्य होंगे जिनमे बाहरी विषय एक्सपर्ट कोरम की पूर्ति करेगा। कॉलेज अभी यूजीसी नियमों को धता बताते हुए पुराने नियमों के आधार पर अतिथि शिक्षक रख ले रहे हैं।

डूटा व एसी/ईसी के चुनाव का नहीं होगा अधिकार

प्रो. सुमन का कहना है कि कॉलेजों द्वारा तदर्थ शिक्षक की जगह अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर लेने से डूटा, एसी/ईसी चुनाव के अधिकार के अंतर्गत गेस्ट फैकल्टी को नियमित शिक्षक के रूप में नहीं माना जायेगा न ही वह विश्वविद्यालय की किसी विधायी समिति या किसी समिति के लिए नियुक्त किया जा सकेगा।

प्रो. सुमन ने यह चिंता जताई है कि जिस तरह से कॉलेज जल्दबाजी में गेस्ट फैकल्टी के लिए दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। इससे लगता है कि एडहॉक /टेम्परेरी सिस्टम को समाप्त कर उसके स्थान पर गेस्ट टीचर्स लगाकर विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति नहीं करना चाहते। उनका कहना है कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियों के खिलाफ वह नहीं हैं, लेकिन जिस कॉलेज/विभाग में जहां तदर्थ शिक्षकों की पोस्ट बन रही है। उसके स्थान पर दो गेस्ट फैकल्टी में तब्दील कर जिस तरह से पदों की कमी की जा रही है, इससे लगता है आने वाले समय में तदर्थ पदों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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