अध्धा, पऊवा और खम्भा। ये शब्द आधुनिकता में बदले नहीं। कोल्ड ड्रिंक, चखना और चिकेन का जायका लेने का तरीका भी नहीं बदला। बदला बस यही कि किशोरावस्था, वयस्क व वृद्धावस्था तक का सफर। बदला तो बस देशी दारू, शराब, बीयर, व्हिस्की और उसका अंदाज। पीने की अवस्था। एक खुशखबरी में और दूसरी अवसादग्रस्त औऱ पागलपन से छुटकारा पाने के लिए।
शादी में एक तरफ दूल्हा सज रहा होता है तो दूसरी ओर कुछ नवयुवक और युवतियां छुपकर शराब और कोल्डड्रिंक का तालमेल बना रही होती हैं। वहीं कुछ देशी लोग देशी दारू और कुछ तथाकथित विदेशी लोग बीयर की बोतल को लहरा लहरा के हाथों को फैलाकर कमर को घुमाकर थिरकने की कोशिश कर रहे होते हैं। कुछ लोग तो इसका सेवन अपने शरीर को सड़क पर ढमलाने के लिए करते हैं तो कुछ थकान से छुटकारा और किसी को भुलाने को पीकर सोने के लिए कर रहे होते हैं। कहीं पर घूमने जाना हो या किसी से बहुत दिन बाद मिलना हो तो इसका सेवन नितांत आवश्यक बन जाता है। वरना वो खुशी मुकम्मल होती ही नहीं है। हफ्ते में एक बार अगर न मिले तो पागलपन और बेचैनी में शरीर का तापमान बढ़ जाता है। किसी के काम करने का अंदाज भी इससे बदलता ही नहीं है बल्कि दोगुना हो जाता है। आधुनिक जीवनशैली में यह सब्जी रोटी के तरीके से एक जरूरी भाग है। इसके सकारात्मक पहलू पर चर्चा सुननी हो तो युवा पीढ़ी के पास पहुंच जाइए, आपकी खांसी ठीक हो जाएगी आपकी बीपी ठीक हो जाएगी आपका पागलपन ठीक हो जाएगा। आप दोगुना आनंद उठा सकेंगे………..आदि आदि। इसलिए आप भी सेवन करेंगे क्योंकि सरकार भी तो इसको इसीलिए प्रोत्साहित करती है औऱ भीड़ तो है ही आपके साथ।
किसी कवि ने सही ही कहा है-
किसी ओर मैं आँखें फेरूँ, दिखलाई देती हाला
किसी ओर मैं आँखें फेरूँ, दिखलाई देता प्याला,
किसी ओर मैं देखूं, मुझको दिखलाई देता साकी
किसी ओर देखूं, दिखलाई पड़ती मुझको मधुशाला।
खैर दुःखद खबर यह है कि हरिद्वार में किसी की तेरहवी में आए कुछ लोगों ने जहरीली शराब का सेवन कर लिया इसकी वजह से अब उनकी तेरहवीं की तैयारी होने लगी है।
ताजा खबर के अनुसार उत्तर प्रदेश के दो ज़िलों और उत्तराखंड के रुड़की में ज़हरीली शराब से अब तक दर्जनों लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं और सौ से ज़्यादा विभिन्न अस्पतालों में ज़िंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। सहारनपुर में ज़हरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा 46 तक पहुंच गया है। वहीं उत्तराखंड के रुड़की में भी ज़हरीली शराब से अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है।
इस पर पुलिस अधिकारियों का निलंबन जारी है। जाहिर है दोषियों के खिलाफ कार्यवाही भी की जाएगी। लेकिन एक सवाल हमेशा बना रहेगा क्या इस तरह की कार्यवाही से ये धंधा बंद हो जाएगा या शराब पीने से होने वाली मौतों में कमी आएगी…
आखिर जिम्मेदार कौन
सरकार, पुलिस, दुकानदार और आप। निलंबन तो होगा ही पुलिस अधिकारियों का और इसके लिए सजा भी काटेंगे दोषी कुछ अधिकारी। मगर आप भी इसके लिए जिम्मेदार तो हैं ही।
पहले ये आंकड़ें पढ़िए, जहरीली शराब से मरने वाले पुरुषों की संख्या कुल मरने वालों की संख्या का 79 प्रतिशत
जहरीली शराब ने इससे पहले भी 2009 मे सहारनपुर में 49 लोगों की जान ले ली थी। हर साल ऐसी घटनाएं तो होती ही हैं। पिछले साल मई में कानपुर के सचेंडी और कानपुर देहात में ज़हरीली शराब पीने से एक दर्जन से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी जबकि जनवरी में बाराबंकी में क़रीब एक दर्जन लोग ज़हरीली शराब पीने से मर गए थे। जबकि जुलाई 2017 में आजमगढ़ में अवैध शराब पीने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। पूरे उत्तर प्रदेश में ऐसा कारोबार चलता रहता है जिसमें ऐसे शराबों का सेवन भी लोग टूटकर करते हैं और कारोबार भी।
जाहिर है कि ऐसे धंधे के बारे में पुलिस को तो पता ही चलता रहता है। आम लोगों को भी पता होता है। लेकिन एक सवाल जरूर उठता है कि आखिर फिर क्यों ऐसी घटनाएं होती हैं…
न्यूज18 के आंकड़ों के अनुसार साल 2008 में जहरीली शराब पीने से 16 लोगों की जान गई थी। साल 2009 में 53, साल 2010 में 62, साल 2011 में 13, साल 2012-18, साल 2013-52, साल 2014-5, साल 2015-59, साल 2016-41, साल 2017-18, साल 2018-17 लोगों की मौत इसी वजह से हुई थी। जिन 12 हजार लोगों की 2005 से 2015 तक मौत हुई है उसमें सबसे ज्यादा पुरुष शामिल हैं। जहरीली शराब से मरने वाले पुरुषों की संख्या कुल मरने वालों की संख्यां का 79 प्रतिशत है। वहीं महिलाओं की जान जहरीली शराब से पिछले इस समयअवधि में गई है जो कि मरनेवालों के संख्या का 21 प्रतिशत है।
एक अन्य आंकड़े के मुताबिक भारत में शराब पीने के प्रभावों से प्रतिदिन 15 लोगों या हर 96 मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो रही है।
जहरीली शराब नहीं, शराब है मौत का कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार शराब की वजह से दुनिया भर में प्रतिवर्ष 30 लाख लोगों की मौत होती है। यह एड्स, हिंसा और सड़क हादसों में होने वाली मौतों को मिलाने से प्राप्त आंकड़े से भी ज्यादा है। दुनियाभर में हर साल होने वाली 20 में से एक मौत शराब की वजह से होती है। इनमें शराब पीकर गाड़ी चलाने, शराब पीकर हिंसा, बीमारी और इससे जुड़ी दूसरी विकृतियों की वजह से होने वाली मौतें शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार शराब की वजह से होने वाली मौतों में से तीन चौथाई से ज्यादा के शिकार पुरुष होते हैं।
हर साल अगर 20 में से 1 मौत शराब की वजह से होती है तो क्या उसके लिए जहरीली शराब से हुई मौत का कारण ही सबसे ज्यादा मुसीबत का सवाल है नहीं न। बात यह है कि ये शराब ही मौत का कारण है। आखिर शराब से ही तो ये मौतें हो रही हैं और इसका सेवन करने के लिए आप भी जिम्मेदार हैं औऱ सरकार खुद भी जो इस पर रोक नहीं लगाती।
है न कितनी जरूरी बात अगर आपने इस खबर को पढ़ लिया तो सोचिएगा जरूर…….
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