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अगले सत्र में छात्रों व शिक्षकों की सीटें बढ़ेंगी, यूजीसी ने डीयू को भेजा सर्कुलर

आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए दिए गए आरक्षण का सर्कुलर डीयू के रजिस्ट्रार और कॉलेजों के प्राचार्यों को यूजीसी ने भेजा। हर वर्गों के छात्रों की बढ़ेंगी सीटें। विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को सीटों के बारे में 31 जनवरी से पहले यूजीसी को सूचित करना होगा। छात्रों की सीटें बढ़ने से शिक्षकों व कर्मचारियों के पदों पर होगी ज्यादा नियुक्ति।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के संयुक्त सचिव ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलसचिव और कॉलेजों के प्राचार्यों को एक सर्कुलर भेजा है जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के छात्र-छात्राओं के प्रवेश के संदर्भ में लिखा है।

यूजीसी द्वारा भेजे गए सर्कुलर में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को देश के सभी विश्वविद्यालयों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, पूर्ण वित्त पोषित, मानद विश्वविद्यालयों व दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचार्यों को संबोधित करते हुए कहा गया है कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को सभी केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में संविधान के 103 वें संशोधन के अनुसार आरक्षण देते हुए उनके प्रवेश को सुनिश्चित करने के लिए यह नीति त्वरित गति से लागू करें।

डीयू अकादमिक परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि यूजीसी के इस सर्कुलर के आने के बाद से कॉलेजों के प्राचार्यों द्वारा आगामी शैक्षिक सत्र में छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की कितनी सीटों की बढ़ोतरी होंगी, इसके लिए कर्मचारियों को आंकड़े एकत्रित कर सीटों का ब्यौरा तैयार कराया जा रहा है। उनका कहना है कि आगामी शैक्षिक सत्र से लागू करने के लिए छात्रों के प्रवेश के साथ ही यह कहा गया है कि उस कॉलेज/संस्थान की वेबसाइट पर इस आरक्षण की नीति को लागू करने के संदर्भ में स्पष्ट रूप से उल्लेख करे। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के अनुसार सीटों के आंकड़े तय करें और संभावित वित्तीय आवश्यकताओं के बारे में 31 जनवरी 2019 से पहले यूजीसी को सूचित करें।

उनका कहना है कि यूजीसी के इस सर्कुलर आ जाने के बाद से शैक्षिक सत्र 2019-20 से विभिन्न विभागों/विषयों में 25 फीसदी सीटें बढ़ जाएंगी। इन सीटों के बढ़ने से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के साथ-साथ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, ओबीसी के अलावा सामान्य वर्गों के विद्यार्थियों की सीटों में इजाफा होगा। उन्होंने बताया है कि डीयू में यह दूसरा अवसर है जब विद्यार्थियों की सीटों में बढ़ोतरी हो रही है। इससे पहले 2007 में ओबीसी आरक्षण लागू होने पर छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की सीटें बढ़ी थीं और केंद्र सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति के पहले ट्रेंच में लगभग 1300 पद दिए थे। इसी तरह से ओबीसी कर्मचारियों की सीटों में इजाफा हुआ था।

प्रो. सुमन ने बताया है कि पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय की स्नातक स्तर में मान्य सीटें -58598 थी जिनमें से प्रवेश दिया गए छात्रों की संख्या 70637 थी। इसमें सामान्य के 41514 छात्र, ओबीसी के16134, एससी के 9474, एसटी के 2714, पीडब्ल्यूडी 801 छात्रों को प्रवेश दिया गया। उनके अनुसार यदि आगामी शैक्षिक सत्र से सीटें बढ़ती हैं तो सामान्य वर्गों के छात्र–35671, ओबीसी के 19072 ,एससी के 10596, एसटी के 5298 आदि सीटों का इजाफा होगा।

प्रो. सुमन ने श्री अरबिंदो कॉलेज का उदाहरण देते हुए बताया है कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की सीटों के बढ़ने से उनके कॉलेज में कितनी सीटें बढ़ेंगी। इस प्रकार श्री अरबिंदो कॉलेज में स्वीकृत सीटें 970 हैं जब आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की सीटों की बढ़ोतरी होंगी तो बढ़कर 1215 सीटें होंगी।

स्वीकृत सीटें                                                बढ़ने पर सीटोंं की संख्या     

बीए प्रोग्राम -308                                             385

बीए ऑनर्स इंग्लिश- 46                                    58

बीए ऑनर्स में हिंदी -46                                    58

बीए ऑनर्स पॉलिटिकल साइंस-62                    78

बीकॉम प्रोग्राम -277                                         346

बीकॉम ऑनर्स -62                                            78

बीएससी फिजिकल साइंस- 92                         115

बीएससी लाइफ साइंस-46                               58

बीएससी इलेक्ट्रॉनिक ऑनर्स-31                       39

प्रो. सुमन का कहना है कि जिस प्रकार से विभागों और कॉलेजों में छात्रों के प्रवेश की सीटें बढ़ेंगी ठीक उसी तरह से विभागों में जहां 2000 शिक्षक हैं इसके बाद 25 फीसद सीट बढ़ने पर 500 शिक्षकों का इजाफा होगा। इसी तरह से कॉलेजों में जहां 10,000 शिक्षक हैं, 25 फीसदी सीटें बढ़ने के बाद 2500 पदों पर नये शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए।

उन्होंने बताया है कि यूजीसी के सर्कुलर आने के बाद से दिल्ली विश्वविद्यालय के तीनों सेक्शन में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की सीटों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सभी प्राचार्य 31 जनवरी से पहले यूजीसी को छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों से संबंधित आंकड़े भेजने के लिए लगे हुए हैं। साथ ही अभी से यह गणित फिट करने में लगे हुए हैं कि किन विभागों में सीटों की ज्यादा बढ़ोतरी होगी और कब तक यूजीसी इन सीटों को भरने के निर्देश जारी करता है ताकि आगामी शैक्षिक सत्र-2019–20 के प्रवेश से पूर्व शिक्षकों/कर्मचारियों की नियुक्तियों का निपटारा कर लिया जाए।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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