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डीयू के जुबली हॉल में लगा साहित्य का मंच, प्रेम और साहित्य पर खुलकर हुई चर्चा

कार्यक्रम में उपस्थित साहित्यकार प्रवीण कुमार, विमलेश त्रिपाठी और अमिताभ राय (बाएं) शिक्षकों, व छात्रों की भारी भीड़ (दाएं)

-सुकृति गुप्ता

जुबली हॉल छात्रसंघ औऱ फोरम4 की ओर से व्याख्यान और पुस्तक परिचर्चा का आयोजन किया गया।

बुधवार 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में एकदिवसीय साहित्यिक संगोष्ठी (व्याख्यान व पुस्तक परिचर्चा) का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का आयोजन फोरम4 और जुबली हॉल के छात्रसंघ के सहयोग से किया गया। दो भागों में आयोजित कार्यक्रम में सबसे पहले “वर्तमान परिदृश्य और मुक्तिबोध” विषय पर व्याख्यान हुआ। इसके लिए मुख्य वक्ता के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामलाल कॉलेज के सहायक प्रोफेसर “डॉ. अमिताभ राय” को बुलाया गया था। दूसरे भाग में सत्यवती कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रवीण कुमार के कहानी संग्रह “छबीला रंगबाज़ का शहर” और कोलकाता से आए लेखक विमलेश त्रिपाठी के उपन्यास पर “हमन हैं इश्क मस्ताना” पर परिचर्चा की गई। कार्यक्रम में काफी दूर से आये हुए सैकड़ों छात्रों ने भी हिस्सा लिया।

अमिताभ राय ने मुक्तिबोध पर व्याख्यान देते हुए अपनी पुस्तक सभ्यता की यात्राः अंधेरे में का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “वर्तमान परिदृश्य में मुक्तिबोध” पर जब हम बात करते हैं तो इसका अर्थ है कि हम मुक्तिबोध को अपनी ओर खींचकर लाना चाहते हैं या खुद को उन तक ले जाना चाहते हैं। मुक्तिबोध से जुड़े कई पक्षों पर उन्होंने बात की। “अंधेरे में” का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उम्दा व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई और उम्दा कवि मुक्तिबोध के लेखन में कई समानताएँ देखने को मिलती हैं। उन्होंने उनके यूटोपियाई पक्ष पर भी बात की, पर साथ ही कहा कि प्रेमचंद की तरह वे भी प्रासंगिक हैं।

छबीला रंगबाज का शहर और हमन हैं इश्क मस्ताना

लेखक प्रवीण कुमार ने अपने लेखन और किताब “छबीला रंगबाज़ का शहर” पर खुल कर बात की तथा कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थियों के प्रश्नों के जवाब दिए। छबीला रंगबाज़ का शहर” उनकी चार लंबी कहानियों का संग्रह है। उन्होंने कहा कि उनकी कहानियों में उनके शिक्षकों का बहुत प्रभाव रहा है। प्रवीण कुमार से छबीला रगबाज का शहर पर फोरम4 की ओर से श्रेया उत्तम मौजूद थीं। श्रेया के द्वारा पूछे गए कई सवालों के जवाब में प्रवीण ने खुलकर बात की और कहा जल्द ही उनकी दूसरी पुस्तक भी आने वाली है।

“हमन हैं इश्क मस्ताना” के लेखक विमलेश त्रिपाठी राजभाषा विभाग के वरिष्ठ अनुवादक हैं। परिचर्चा के लिए विमलेश त्रिपाठी के साथ फोरम4 की ओर से आकाश सिहं मौजूद थे। विमलेश त्रिपाठी ने अपने उपन्यास पर बेबाकी से बात करते हुए “प्रेम” के पक्ष पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि उनका यह उपन्यास प्रेम में निश्चितता को तोड़ने की कोशिश करता है। नायक जो प्रेम विवाह के पश्चात भी अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं है। वह तनहाई में है इसलिए किसी अन्य प्रेम की तलाश में है। उपन्यास के किरदार से आज के युवा खुद को जोड़ पाते हैं इसलिए यह उपन्यास उनको बाँधें रखने में सक्षम है। उन्होंने अपने पाठकों की प्रतिक्रियाओं का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि उनके कई पाठकों ने उनके इस उपन्यास को उत्तर उत्तर आधुनिक बताते हुए कहा कि वे इसे पढ़ तो लिए लेकिन पचा नहीं पा रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उनका यह उपन्यास स्त्री विमर्श पर भी गंभीर रूप से बात करता है तथा उसकी नायिकाओं की नज़र से स्त्री के प्रेम-पक्ष को भी प्रकट करता है।

कार्यक्रम का शुभारंभ जुबली हॉल के छात्र संघ के अध्यक्ष चंदन कुमार ने किया। उन्होंने कार्यक्रम का परिचय देते हुए साहित्य और शिक्षक की भूमिका पर बात की। उन्होंने कहा, “शिक्षक का समाज और व्यक्तित्व के विकास में अहम योगदान होता है तथा साहित्य समाज का दर्पण होता है।” इसके बाद जुबली हॉल के वार्डन डब्ल्यूबी पांडेय ने कार्यक्रम आय़ोजन के संबंध में आने के लिए सभी आभार व्यक्त करते हुए आगे भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित कराने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई। कार्यक्रम में बुलाए गए सभी साहित्यकारों का जुबली हॉल छात्रसंघ और फोरम4 की ओर से स्मृति चिह्न देकर भेंट भी किया गया। मंच का संचालन आशीष और लिशा ने किया।

पत्रकारों और युवा लेखकों ने भी की शिरकत

कार्यक्रम में स्ट्रगल ऑफ स्टार एंड ब्यूटीफुल लव स्टोरी के युवा लेखक अनुराग सहित कई अन्य लेखक भी मौजूद थे। साथ ही अलग अलग संस्थानों से आए पत्रकारों ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम का समापन करते हुए फोरम4 की ओर से संपादक प्रभात और जुबली हॉल छात्रसंघ की ओर से रासिख ने कार्यक्रम में आने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के न केवल हिंदी विभाग के बल्कि अलग-अलग विभागों के विद्यार्थियों ने शिरकत की। कार्यक्रम में अलग-अलग संस्थानों के पत्रकारों ने भी हिस्सा लिया, जिनमें चंदा, कोमल, लक्ष्मी आदि प्रमुख थे। कार्यक्रम के दौरान राजपाल प्रकाशन और हिंद युग्म प्रकाशन के द्वारा किताबों की स्टॉल भी लगाई गई थी। राजपाल प्रकाशन द्वारा ही दोनों किताबें प्रकाशित की गई हैं। कई साहित्य प्रेमियों ने किताबें भी खरीदीं। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के कई विभागों खासकर एमए हिंदी के छात्र और स्नातक के अलग-अलग कॉलेजों में पढ़ रहे छात्र व जुबली हॉल के छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में आबिद, जयदीप, प्रभाकर, सुमित, आशुतोष, आकाश, जावेद, धनंजय़, जितेंद्र, देव प्रभाकर पांडेय, अमृताश, रतन, रवि , अजित चंपारन, प्रदीप आदि का विशेष योगदान रहा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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