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अमेरिका ने दिया कुछ इस तरह पाक को झटका, भारत को फायदा!

तस्वीरः गूगल साभार

-साहित्य मौर्या

अमेरिका ने पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों के खिलाफ एक्शन नहीं लेने पर उसे दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर  (तक़रीबन 2,130 करोड़) की सैन्य मदद रोक दी है। यह पाकिस्तान सरकार के लिए बड़ा झटका है। अमेरिका ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि उसने खतरनाक दोहरा खेल खेलते हुए अमेरिकी मदद के रूप में 2002 से अरबों डॉलर लिए। अमेरिका का सीधा आरोप है कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के ख़िलाफ़ कारवाई करने में विफल रही है। पाकिस्तान अपने यहाँ इन सभी आतंकी संगठन को खुले तौर पर पनाह दे रहा है। अमेरिका ने इसी साल की शुरुआत में 3,531 करोड़ की आर्थिक मदद दी जाने वाली सहायता राशि भी रोक दी है।

पाकिस्तान ये कभी नहीं छुपा सकता कि वो आतंकी संगठनो को पनाह नहीं देता, या इन आतंकी संगठनो पर कोई सैन्य प्रशासनिक कार्यवाही कर रहा है। इसका जीता जागता साक्ष्य भारत पर किए गए हमले हैं जो बताते हैं कि पाकिस्तान अब भी अपने देश में इन आतंकी समूहों को खुले तौर पर साथ दे रहा है और मदद कर रहा है। पठान कोट, उड़ी जैसे हमले इसके ज्वलंत उदाहरण है। लिहाज़ा पाकिस्तान को अपने नापाक हरकत से जल्द ही बाहर आने की ज़रूरत है और झूठे आँकड़े पेश करने से बचना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर और भी अंतराष्ट्रीय मंच के निशाने पर होगा। हालाँकि पाकिस्तान के साथ चीन और रूस हालिया दिनों में काफ़ी क़रीब आए हैं लेकिन, चीन की छवि ऐसी है कि पाकिस्तान भी जानता है, चीन कभी भी उसका साथ छोड़ सकता है और रूस भी ऐसा कभी भी कर सकता है।

अमेरिका के ताज़ा क़दम से पाक के ख़िलाफ़ भारतीय रणनीति को भी बल मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत लगातार साबित करने की कोशिश करता रहा है कि पाक आतंकवादियों को पनाह दे रहा है। अमेरिका ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद पर रोक लगा कर एक तरह से भारत के पक्ष को और भी मज़बूत किया है। भारत ने जिस तरह से पाक को पूरी दुनिया से अलग-थलग करने का अभियान चलाया है उसे इससे और भी बल मिलेगा। अभी कुछ महीने पहले ही पाकिस्तान में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) सम्मेलन का रद्द होना पाक आतंकी गतिविधियों का कारण ही रहा है। कुछ दिनों पहले ही नेपाल के काठमांडू शहर में हुए बिम्सटेक सम्मेलन में बिम्सटेक सदस्य देश भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और थाईलैंड ने संयुक्त रूप से मिलकर आतंकवाद से लड़ने के लिए पूर्ण सहमति बनाई है और इसका सीधा इशारा पाकिस्तान के तरफ़ ही था।

लिहाज़ा, पाकिस्तान को इन सभी विषयों और मुद्दों पर ख़ासा ध्यान देने की ज़रूरत है और अपने राष्ट्र और पाक जनता के प्रति विशेषकर, न कि आतंकी गतिविधियों और आतंकवादी पनाह पर। जिस तरह से वो पूरे विश्व से अलग-थलग हो रहा हैं इससे पहले पाक को अपनी शाख़ और छवि पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है नहीं तो पाकिस्तान की और भी दयनीय और बुरी हालात हो सकते हैं।

(साहित्य मौर्या जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली के छात्र हैं)

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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