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पत्रकार और लेखक संघ की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय के 4 शिक्षकों को मिला सम्मान

काजल

अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार और लेखक संघ की ओर से पूर्व राष्ट्रपति स्व डॉ एस राधाकृष्णन की 131वी जयंती पर राष्ट्रीय शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इसमें शिक्षा, चिकित्सा, मीडिया, महिला एवं बाल कल्याण, पर्यावरण संरक्षण, ललित कला, कला और संस्कृति, साहित्त्य एवं संगीत के क्षेत्र में सराहनीय सेवाओं और उल्लेखनीय योगदान के लिए 75 विशिष्ठ शिक्षाविदों और मीडियाकर्मियों को सम्मानित किया गया।

सम्मान समारोह का आयोजन कंस्टीट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत स्कूली छात्रों के लोकगीत द्वारा किया गया। संघ द्वारा आयोजित यह 34 वां सम्मान समारोह था। मुख्य अतिथि के रूप में इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह मौजूद थे। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष डॉ. मनोज तिवारी ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। शिक्षकों के महत्व को स्पष्ट करने के बाद तिवारी ने कहा कि वह राधाकृष्णन की बड़ी मूर्ति दिल्ली में जल्द ही लगवाएंगे। संगीत के क्षेत्र में हिदुस्तानी शास्त्रीय गायक एवं संगीतज्ञ उस्ताद गुलाम अब्बास खान, विचित् वीणावादक संगीताचार्य श्री अनुराग सिंह, संगीतज्ञ, लेखक और क्रिटिक पंडित विजय शंकर मिश्रा विश्वविख्यात चित्रकार श्री रुपचंद, कला शिक्षाविद् श्री रविन्द्र कुमार तंवर ,शिक्षाविद् मृदु मारवाह, श्री ज्ञानसागर मिश्रा, विभा खोसला, हेमंत कुमार झा, डॉ. दीपाली भल्ला, डॉ. दीपिका शर्मा प्रमुख हैं जिन्हें शिक्षक सम्मान पुरस्कार दिया गया। विभा खोसला ने कहा कि शिक्षक का सम्मान बच्चों को इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि वे ऐसा चाहते हैं बल्कि जरूरी यह है कि शिक्षकों का सम्मान हो ताकि बच्चे कुछ सीख सकें जोकि आजकल कम ही देखने को मिलता है।

सबसे अहम बात यह रही कि दिल्ली विश्वविद्यालय के चार शिक्षकों को भी शिक्षक सम्मान दिया गया। इसमें शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ जसविंदर सिंह, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. स्वाति पॉल, आर्यभट् कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ मनोज सिन्हा, दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के सदस्य एवं अरबिंदो कॉलेज के प्रोफेसर हंसराज सुमन शामिल रहे।

फोरम4 से विशेष बातचीत में डीयू के सभी शिक्षकों ने मिले सम्मान पर प्रतिक्रिया स्वरूप काफी खुशी जताई और कहा कि इस तरह के पुरस्कार से हमें भी प्रेरणा मिलती है। शिक्षकों को अपना धर्म निभाना चाहिए।

डॉ स्वाति पाल ने इस सम्मान के लिए छात्रों के स्नेह और प्रेरणा को आधार बताया। जसविंदर सिंह ने शिक्षक दिवस पर गुरुओं को छात्रों के प्रति ईमानदारी से अपना धर्म निभाने को जरूरी बताया। वहीं हंसराज सुमन ने छात्रों को कभी-कभी शिक्षक और शिक्षक को छात्र बनकर सीखने को बल देते हुए कहा कि एक दिन हमारे छात्र भी शिक्षक बनेंगे।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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