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सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला-समलैंगिकता अपराध नहीं अधिकार

तस्वीरः गूगल साभार

-आशीष

आज़ादी मिलने के बाद भी हमारे देश में एक ऐसा वर्ग था, जो अपने हक के लिये काफ़ी संघर्ष कर रहा था। इनको हम सब अलग समझते थे। इन्हें इंसान की श्रेणी में नहीं मानते थे। इसका दोष सबसे ज्यादा हमारे समाज का है क्योंकि हमारे समाज ने इनको कभी इंसान का दर्जा नहीं दिया था। लेकिन, आज उसकी रूप रेखा बदल दी गई है। जो 150 वर्ष पहले का कानून था वो अब जाकर सफ़ल हुआ है। इससे बड़ी खुशी की क्या बात हो सकती है। दरअसल बात यह है कि धारा 377 को मान्यता प्राप्त हो गई है।

आखिर मामला क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर ‘दो बालिग सहमति से कमरे के अंदर शारीरिक संबंध बनाते हैं तो यह अपराध नहीं है। इसके बाद से देशभर के LGBT (समलैंगिकों) में उत्साह है और वो खुशी मना रहे हैं।

सलैंगिकता का मतलब है कि किसी भी व्यक्ति का समान लिंग के व्यक्ति के प्रति यौन आकर्षण। साधारण भाषा में किसी पुरुष का पुरुष के प्रति या महिला का महिला के प्रति आकर्षण। ऐसे लोगों को अंग्रेजी में ‘गे’ या ‘लेस्बियन’ भी कहा जाता है। अब कुछ लोग ऐसे लोग भी हैं जो समान लिंग और विपरीत लिंग, दोनों के प्रति आकर्षित होते हैं। इन सभी के बीच ऐसे फर्क कर सकते हैं।

LGBT (L – लेस्बियन, G – गे, B -बाईसेक्सुअल, T- ट्रांसजेंडर)

लेस्बियनः एक महिला या लड़की का समान लिंग के प्रति आकर्षण।

गेः जब एक आदमी को एक और आदमी से ही प्यार हो तो उन्हें ‘गे’ कहते हैं।

बाईसेक्सुअलः जब किसी मर्द या औरत को मर्द और औरत दोनों से ही प्यार हो और यौन संबंध भी बनाते हों तो उन्हें ‘बाईसेक्सुअल’ कहते हैं।

ट्रांसजेंडरः वह इंसान जिनका शरीर पैदा होते समय कुछ और था और वह बड़ा होकर खुद को एकदम उलट महसूस करने लगे।

क्वीयरः ‘क्वीयर’ के ‘Q’ को ‘क्वेश्चनिंग’ भी समझा जाता है यानी वो जिनके मन में अपनी पहचान और शारीरिक चाहत पर अभी भी बहुत सवाल हैं।

देश को मिल रही नई दिशा

आज देश में ऐसा लग रहा है कि जैसे देश फिर एक बार दोबारा आज़ाद हुआ हो। धारा 377 ने आज एक नई ताकत दी है। इस वर्ग को नौकरी, शिक्षा संस्थानों में, समाज में एक अलग नज़रिये से देखा जाता था। इनसे भेदभाव किया जाता था। लेकिन, अब इतिहास में एक नई बड़ी जीत दर्ज की जाएगी। अब समलैगिंगकता कोई अपराध नहीं है। जैसे ही यह ख़बर आई वैसे ही पूरे देश में एक नई चमक देखने को मिली। जिस वर्ग ने इतने वर्षों से इतना दुःख व् कष्ट सहा उनसे हमें आज माफ़ी मांगनी चाहिए। इसमें सबसे बड़ी दोषी हमारी कानून व्यवस्था भी है, जिसने इसको सफ़ल बनाने में इतने वर्ष लगा दिए। लेकिन, अब हमें अपनी मानसकिता बदलनी होगी और एक अच्छे पग पर चलना होगा और समाज में इसको लेकर जागरूकता फैलानी होगी। इसी के साथ ही एक नई मानसकिता का निर्माण करना होगा और हमें समझना होगा की यह कोई बीमारी नहीं बल्कि हम सबका अधिकार है। हमें सोच बदलनी होगी। तथा हमें समझना होगा कि हम सब एक है। यह हमारा निजता का अधिकार है। इसी के साथ ही हमारे पुलिस प्रशासन व् सरकार को इसको लेकर जागरूकता फैलानी होगी औऱ इस ओर कार्य करना होगा। ताकि अब किसी को इस वजह से परेशान नहीं किया जाये। अब हमारा देश बदल रहा है। एक नई दिशा में जा रहा है। आज हम सबको समझना होगा।

(आशीष, राम लाल आनंद कॉलेज (डीयू) में छात्र हैं)

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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