देश के चहेते बन चुके लीडर व राजनीतिज्ञ मनोहर पर्रिकर को कई नामों से जानते हैं जैसे स्कूटर वाले सीएम, आईआईटी वाले सीएम व सर्जिकल स्ट्राइक वाले मंत्री आदि।
कहते हैं कि भारत की राजनीति इतनी दूषित हो चुकी है कि युवा पीढ़ी किसी को भी न तो राजनेता के रूप में अनुसरण करना चाहती है और न ही एक व्यक्ति के रूप में। किंतु मनोहर पर्रिकर यहां एक अपवाद के रूप में सिद्ध हुए। वे जितने साधारण, सभ्य शालीन एवं ईमानदार अपने व्यक्तिगत जीवन में थे उसके एकदम विपरीत राजनीतिक जीवन में तीव्र, प्रखर, स्पष्टवादी एवं कूटनीतिक निर्णय लेने वाले निर्भय इंसान थे। आईआईटी संस्था से निकलने वाले वे पहले व्यक्ति थे।
मनोहर पर्रिकर का जन्म 13 दिसंबर 1944 को मापुसा, गोवा में हुआ। उनका पूरा नाम मनोहर गोपाल कृष्ण प्रभु पर्रिकर था। गोवा से 12 वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आईआईटी मुंबई में इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और 1978 में ग्रेजुएशन पूरा किया। उनका विवाह 1981 में मेधा पर्रिकर के साथ हुआ। उनके दो बच्चे हैं, जिनमें से एक इंजीनियर है और एक का अपना कारोबार है। मतलब बच्चों का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है जोकि भारतीय राजनीति में अलग सी बात लगती है।
पर्रिकर अपने स्कूल के दिनों से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शामिल हो गए थे, उन्होंने इसकी युवा शाखा के लिए काफी काम किया। सन् 1994 में गोवा की पणजी सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तरफ से पहली बार चुनाव लड़ा और जीता। लेकिन बीजेपी चुनाव में कुछ खास नहीं कर सकी और पर्रिकर ने गोवा विधानसभा में विपक्ष नेता की भूमिका निभाई। साल 2000 में पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उससे ठीक एक साल बाद पत्नी ने इस दुनिया से अलविदा कह दिया। अतः उन्होंने गोवा के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ अपने बच्चों की जिम्मेदारी भी अच्छी प्रकार से निभाई।
उन्होंने कुल चार बार गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया । 2014 में जब बीजेपी ने केंद्र में सरकार बनाई तो उनको रक्षा मंत्री के रूप में पदभार संभालने का मौका भी मिला।
गोवा के मुख्यमंत्री पद पर होने के बावजूद पर्रिकर के रहन सहन में कोई बदलाव नहीं था। वह राज्य की विधानसभा खुद स्कूटर चला कर जाय़ा करते थे। यहां तक कि उन्होंने अपना घर भी नहीं छोड़ा एवं सरकार की ओऱ से दिए गए आवास को भी नहीं अपनाया।
पर्रिकर को लेकर एक घटना काफी चर्चित है “रास्ते में उनका स्कूटर एक गाड़ी से टकरा गया। गाड़ी से बाहर निकलकर एक लड़के ने गुस्से में पर्रिकर को डांटा कि तुम्हें पता नहीं है मैं कौन हूं?” मैं पुलिस वाले का बेटा हूं। पर्रिकर ने शांत मन से उत्तर दिया कि “मैं गोवा का मुख्यमंत्री हूं।” कहने का आशय यह है कि भारतीय समाज जहां सरकारी कर्मचारी भी इतना रोब झाड़ते हैं वहां राज्य के मुख्यमंत्री को इतना शांत व शालीन पाना बहुत आश्चर्य की बात है।
गोवा के सीएम और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कई महीनों से कैंसर से परेशान होने के बावजूद अपना मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला। 17 मार्च 2019 को इन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
राजनीति की बात होते ही भ्रष्टाचार एवं सत्ता का दुरुपयोग होना ही सामने आता है। मनोहर का जीवन इसमें सकारात्मक बदलाव एवं उम्मीद के जैसा था जिसका अनुसरण करके राजनीति में भी साफ सुथरा जीवन जिया जा सकता है।
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