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अतिथि शिक्षकों के मानदेय में 50 फीसदी बढ़ोतरी, लाखों शिक्षकों को मिलेगा लाभ

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव ने देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य, मानद विश्वविद्यालयों के अलावा वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों के कुलसचिव को सर्कुलर भेजा है। सर्कुलर में अतिथि शिक्षकों (गेस्ट टीचर्स) को दिए जाने वाले मानदेय को 50 फीसदी की बढ़ोतरी किये जाने का प्रावधान है। इससे देशभर के लाखों शिक्षकों में खासकर डीयू के काफी शिक्षक लाभान्वित होंगे।

विद्वत परिषद सदस्य ने भी लिखा था पत्र

ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन के नेशनल चेयरमैन व विद्वत परिषद के सदस्य प्रो.हंसराज ‘सुमन ‘ने बताया है कि उन्होंने यूजीसी के चेयरमैन को अतिथि शिक्षकों के मानदेय बढ़ाने के लिए दो बार पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने मांग की थीं कि सातवें वेतन आयोग में जिस तरह स्थायी शिक्षकों का वेतन बढ़ाया गया उसी तरह अतिथि शिक्षकों के मानदेय में भी आयोग बढ़ोतरी करे। यूजीसी ने 10 दिसम्बर 2018 को अपनी बैठक में अतिथि फैकल्टी के मानदेय में संशोधन करते हुए बढ़ोतरी का फैसला किया। उनका कहना है कि यूजीसी ने अतिथि शिक्षकों के मानदेय की बढ़ोतरी के संदर्भ में पुनः संशोधित दिशा निर्देश 28 जनवरी की जारी कर लागू करने के निर्देश दिए हैं।

यूजीसी द्वारा भेजे गए सर्कुलर में कहा गया है कि सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अंतर्गत विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में कार्यरत अतिथि फैकल्टी के मानदेय में बढ़ोतरी के संदर्भ में यूजीसी ने जो फैसला किया है उनमें अतिथि फैकल्टी के मानदेय को प्रति लेक्चर 1000 से बढ़ाकर 1500 करते हुए प्रति माह अधिकतम 50,000 कर दिया गया है। उनका कहना है कि अतिथि शिक्षकों को पहले 25,000 हजार रुपये मिलते थे और प्रति लेक्चर 1000 दिए जाते थे।

अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बनाएं नियम

प्रो. सुमन ने बताया है कि अतिथि फैकल्टी की नियुक्ति विभाग में स्वीकृत पदों के आधार पर की जाएगी, हालांकि विश्वविद्यालयों में जहां स्वीकृत पद शैक्षिक वर्कलोड को ध्यान में रखते हुए अपर्याप्त है वहां अतिथि फैकल्टी की नियुक्ति स्वीकृत पदों के 20 प्रतिशत या उससे अधिक हो सकती है। साथ ही ऐसे शिक्षकों की योग्यता का निर्धारण विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में यूजीसी के अनुसार नियुक्त नियमित शिक्षकों के बराबर ही होगी।

चयन समिति में कौन-कौन होगा

उन्होंने यह भी बताया है कि इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया उसी तरह होगी जिस प्रकार से नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए होती है जबकि नियुक्तियों के लिए बनी चयन समिति में कुलपति/या उसके द्वारा नियुक्त नॉमिनी चयन समिति का चेयरपर्सन होगा। इसमें विषय से संबंधित विषय विशेषज्ञ जो कि कुलपति द्वारा नामित होगा।इसके अतिरिक्त विभाग से संबंधित डीन, जहां आवश्यक हो। उन्होंने बताया है कि चयन समिति में विभाग प्रभारी/इंचार्ज भी होगा। चयन समिति में एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक/महिला/अन्य रूप से सक्षम श्रेणियों के संदर्भ में एक प्रतिनिधि नामित अकादमिक अधिकारी जो कि कुलपति या कार्यकारी कुलपति की ओर से नामित होगा। यदि इन सदस्यों में कोई अभ्यर्थी हो तो वह इस श्रेणी में नहीं आयेगा। इस संदर्भ में कुल चार सदस्य होंगे जिनमे बाहरी विषय एक्सपर्ट कोरम की पूर्ति करेगा।

चुनाव का नहीं होगा अधिकार

प्रो सुमन का कहना है कि जो सर्कुलर यूजीसी ने जारी किया है उसमें चुनाव के अधिकार के अंतर्गत अतिथि फैकल्टी को नियमित शिक्षक के रूप में नहीं माना जायेगा न ही वह विश्वविद्यालय की किसी विधायी समिति या किसी समिति के लिए नियुक्त किया जायेगा।

70 साल तक रखा जा सकता है ऐसे शिक्षकों को

उन्होंने बताया है कि वयोवृद्ध शिक्षकों को भी सेवानिवृत्ति के बाद 70साल की उम्र सीमा के भीतर अतिथि फैकल्टी के रूप में ही समझा जाएगा। उन्होंने बताया है कि अतिथि फैकल्टी को किसी प्रकार के भत्ते का लाभ नहीं होगा, न ही पेंशन, ग्रेच्युटी या छुट्टी दी जाएगी जैसा कि नियमित शिक्षकों के लिए लागू होती है। उनका कहना है कि ये तमाम दिशानिर्देश यूजीसी ने अपने सर्कुलर में जारी किए हैं और इस सर्कुलर के जारी होने की तिथि से ही मान्य और लागू होंगे।

चिंता जताई

प्रो. सुमन ने यह चिंता जताई है कि जिस तरह से यूजीसी ने अतिथि फैकल्टी के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं इससे लगता है कि तदर्थ/अस्थायी सिस्टम को समाप्त कर उसके स्थान पर केंद्र सरकार अतिथि शिक्षकों लगाकर विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति नहीं करना चाहते। साथ ही यह भी चिंता है कि तदर्थ नियुक्तियां बंद कर/या छंटनी कर उसके स्थान पर अतिथि शिक्षक रखकर काम चलाना चाहते हैं।

अतिथि शिक्षकों का साक्षात्कार स्थायी की तरह

प्रो. सुमन का कहना है कि जब विश्वविद्यालय/कॉलेज अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में विश्वविद्यालय व यूजीसी के नियमों के अनुसार पूरा मानदंड पूरा कर रहा है तो उसके स्थान पर स्थायी नियुक्ति के साक्षात्कार क्यों नहीं कराना चाहते, ऐसे में अतिथि फैकल्टी का नया शिगूफा क्यों लाया जा रहा है।

एसओएल/एनसीवेब /इग्नू पर भी लागू हो

उन्होंने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के अंतर्गत लगभग 5000 शिक्षक कक्षाएं ले रहे हैं, एनसीवेब में 1200 शिक्षक शनिवार और रविवार को कक्षाएं लेते हैं ठीक इसी तरह से इग्नू में 200 से अधिक पीसीपी/एकेडेमिक काउंसलर क्लास ले रहे हैं। इनके मानदेय में भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए ताकि एक जैसी प्रक्रिया विश्वविद्यालयों/सेंटरों पर शुरू हो।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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