दिल्ली में संसद का घेराव व मंडी हाउस से संसद मार्ग तक आक्रोश मार्च के लिए 31 जनवरी को देश के कोने कोने से लोगों के पहुंचने की संभावना है। इस मुद्दे पर पूरे देश में आंदोलन चलाया जा रहा है। बता दें कि शिक्षकों की ओर से विश्वविद्यालयों में आरक्षण को खत्म करने को लेकर सरकार पर जो गुस्सा है उसी को लेकर यह प्रदर्शन पूरे देश के विश्वविद्यालयों में बहुजन छात्र व शिक्षकों की ओर से चलाया जा रहा है।
इसको लेकर डीयू एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम की एक आपात बैठक बुधवार को दक्षिणी परिसर में हुई। 31जनवरी को होने वाली मंडी हाउस से संसद मार्ग तक रैली निकाले जाने के संदर्भ में ही यह बैठक बुलाई गई थीं। इस बैठक की अध्यक्षता फोरम के महासचिव प्रो. केपी सिंह ने की। बैठक में आए शिक्षकों का कहना था कि फोरम एमएचआरडी, एससी, एसटी कल्याण संसदीय समिति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, विधि मंत्रालय और आदिवासी मंत्रालय पर दबाव बनाए ताकि संवैधानिक आरक्षण उच्च शिक्षा में नियमित रूप से लागू किया जा सके। साथ ही हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एसएलपी खारिज करने पर सरकार जल्द से जल्द पुनः विचार याचिका (रिव्यू पेटीशन) दाखिल कर पूर्ववती आरक्षण नीति का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे।
फोरम के चेयरमैन व अकादमिक परिषद के सदस्य प्रो हंसराज ‘सुमन’ ने अपने संबोधन में कहा कि पहले यूजीसी का 5 मार्च का पत्र और अब सरकार की एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर देने से शिक्षकों में भय और आक्रोश का माहौल बना हुआ है। नये आरक्षण फार्मूले से आगामी दिनों में एससी, एसटी और ओबीसी की भर्तियों में भारी कटौती होने वाली है। इस 13 प्वाइंट रोस्टर यानी विभागवार आरक्षण के तहत रिक्तियां विभागवार तय होंगी ना कुल रिक्तियों के आधार पर। उनका कहना है कि पहले कॉलेज को एक यूनिट मानकर वरिष्ठता के आधार पर 200 पॉइंट पोस्ट के आधार पर रोस्टर तैयार किया जाता था, जिसे 2जुलाई 1997 से बनाया गया था लेकिन, अब कॉलेजों का रोस्टर विभागवार व विषयवार बनाना पड़ेगा जिससे आरक्षित वर्गों की सीटों में भारी कटौती होना संभव है।
प्रो. सुमन ने कहा कि रिव्यू पेटीशन डालने से पहले सरकार को एक सलाह देते हुए कहा है कि वह एक कमेटी एससी, एसटी कल्याण संसदीय समिति के अंतर्गत गठित करे जिसमें एमएचआरडी, विधि मंत्रालय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, डीओपीटी और यूजीसी के प्रतिनिधि हों और जो सुप्रीम कोर्ट में पुनः विचार याचिका (रिव्यू पेटीशन) दोहरे बेंच में दाखिल कर सके।
डॉ.विनय कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि हाल ही में रोस्टर को लेकर जो पद्धति है उसमें एससी, एसटी और ओबीसी कोटे की कुल रिक्तियों को एक ईकाई माना गया है। इसका मतलब है कि किसी भी ग्रेड को यानी सहायक प्रोफेसर, उन सभी पदों को क्लब कर लिया जाता है उसके बाद आरक्षण कोटा निकाल लिया जाता है। अब नए फार्मूला में विभाग को एक इकाई माना गया है इससे तात्पर्य है कि हर एक ग्रेड में आरक्षित पद अलग से निर्धारित होंगे जो कि उस विभाग में सहायक प्रोफेसर के हिसाब से होंगे।
उन्होंने बताया कि मान लीजिए कि किसी विभाग में एक ही प्रोफेसर है तो वहां आरक्षण नहीं लागू होगा क्योंकि वहां एक सीट है, लेकिन सभी प्रोफेसरों के पदों को जोड़ लिया जाए तो विभिन्न विभागों से संबंधित है तब ज्यादा संभावना है कि सीटों को एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षित किया जा सकता है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. केपी सिंह ने कहा कि 5 मार्च के पत्र को सरकार गम्भीरता से ले उसे वापिस कराने के लिए यूजीसी व केंद्र सरकार रिव्यू पटीशन दोहरे बेंच में डाले साथ ही संसद में आरक्षण को 9 वीं सूची में डाले। उन्होंने कहा कि एसएलपी खारिज होने के बाद देशभर के विवि विभागवार रोस्टर को लागू करने के लिए तैयार है। यदि यह लागू होता है तो जो एडहॉक, टेम्परेरी व गेस्ट टीचर्स लगे हुए हैं वे इस सिस्टम से बाहर हो जाएंगे।
इस विषय पर डॉ. संदीप कुमार, अनिल कुमार, मनोज कुमार, रविन्द्र कुमार सिंह ,डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. शांतनु कुमार दास आदि ने भी अपने विचार रखें और अपील की सभी साथी 31 जनवरी को 11 बजे मंडी हाउस पहुंचे। उसके बाद यहां से मार्च करते हुए संसद पहुंचकर प्रदर्शन किया जाएगा। बाद में देश के राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री, एचआरडी मंत्री ,सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री आदि को ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें जल्द से जल्द आरक्षण पर अध्यादेश लाने की मांग की जायेगी।
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