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फर्जी खबरों व न्यू मीडिया में रोजगार के बारे में वरिष्ठ पत्रकार कुमार राजेश क्या कहते हैं, जानिए

सांकेतिक तस्वीरः गूगल साभार

-धर्मेश गोस्वामी

वर्तमान में न्यू मीडिया धीरे-धीरे विकास कर रहा है। लोगों के मन में इसके प्रति विभिन्न धारणाएं हैं। कुछ लोग मीडिया के इस बदलते स्वरूप को स्वीकार रहे हैं, वहीं कुछ लोग इससे इत्तेफाक नहीं रखते। ऐसे लोगों का मानना है कि न्यू मीडिया अभी भरोसे के काबिल नहीं हैं। उन्हें पारंपरिक मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक)  पर न्यू मीडिया की तुलना में ज्यादा यकीन है। हालांकि इन दोनों क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों का नजरिया न्यू मीडिया के प्रति अलग है। उनका मानना है कि तकनीक के इस दौर में न्यू मीडिया भी अपना वजूद बना रहा है। इसका अपना अलग पाठक वर्ग है। पत्रकारिता का भविष्य न्यू मीडिया ही है।

इस मुद्दे पर पत्रकारिता के क्षेत्र में कई वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे वरिष्ठ पत्रकार “कुमार राजेश” से विस्तृत बातचीत हुई। प्रस्तुत है इसके मुख्य अंश…

 

सवालः- क्या आपको लगता है कि न्यू मीडिया फर्जी खबरों का प्रचार ज्यादा करता है, जबकि पारंपरिक मीडिया अभी भी इससे बचा हुआ है ?

जवाबः- भ्रम फैलाने वाले ज्यादा दिन तक नहीं चल सकते। ये वो पोर्टल हैं, जो मीडिया के नाम का प्रयोग अपना हित साधने के लिए करते हैं। ऐसे पोर्टल अपने अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं। ऐसे पोर्टल्स बहुत दूर तक नहीं जा पाएंगे। पाठक का जुड़ाव इनसे नहीं होगा। ये आप पर निर्भर करता है कि आप कितना आगे जाना चाहते हैं। अगर आप लगातार अखबार पढ़ेंगे तो पाएंगे कि अखाबार भी गलत खबरों से अछूते नहीं है। कई बार वे गलती होने के बावजूद माफीनामा तक नहीं छापते। कई बार माफीनामे को ऐसी जगह छापते हैं, जहां पाठकों की नजर नहीं पड़े। स्पष्ट है कि सारा मामला साख का है।

सवालः- आपके अनुसार समाचार को लेकर पोर्टल और अखबार में खास अंतर क्या है ?

जवाबः- वैसे ज्यादा अंतर तो नहीं है। लेकिन एक बड़ा अंतर ये है कि पोर्टल में आपके पास खबर हटाने का अधिकार होता है, लेकिन अखबार में ये मौका नहीं होता। जो एक बार छप गया वो छप गया। आप खबर का खंडन कर सकते हैं, माफी मांग सकते हैं। लेकिन ये नहीं हो सकता कि आप सभी प्रकाशित प्रतियों में से उसे हटा दें। इसलिए अखबार में आपको ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता होती है।

सवालः-  क्या आप मानते हैं कि पारंपरिक मीडिया न्यू मीडिया से ज्यादा विश्वसनीय है?

जवाबः-  नहीं, मैं ये नहीं मानता। अखबार का नशा आपके दिमाग पर है। न्यू मीडिया को आप अभी तक अपना नहीं पाए हैं। मैंने कई सालों तक अखबार में काम किया है। अनुभव के आधार पर बता रहा हूं कि एक रिपोर्टर, जिसके हाथ में माइक और कैमरा होता है। लोग उसे तरजीह देते हैं।  लोगों की भीड़ आस-पास जमा हो जाती है। उसके पास कैमरा होने पर लोगो को विश्वास होता है कि वह व्यक्ति मीडिया से है। वहीं, किसी अखबार का रिपोर्टर हो, तो भीड़ आपको नहीं दिखेगी। आम आदमी अखबार से ज्यादा टीवी के प्रति आकर्षित हैं। देखिए, विश्वसनीयता अपने हाथ में है। अखबार भी अपनी विश्वसनीयता खोता है। कई बार ऐसा होता है कि अखबार भी जानते हुए गलत खबर छापता है और बाद में माफीनामा छाप देता है। विश्वसनीयता एक दिन में नहीं बनती। उसके लिए बड़ी मेहनत करनी होती है। चाहे पारंपरिक मीडिया हो या न्यू मीडिया। आप विश्वसनीयता के मामले में दोनों में अंतर नहीं कर सकते। जो लोग ऐसा सोचते हैं, उन्हें अपनी आंखें खोलकर दुनिया को देखाना चाहिए।

सवालः-  बड़े-बड़े पोर्टल्स को भी चलाने के लिए पैसे चाहिए। ऐसे में पोर्टल पारंपरिक मीडिया की तुलना में कमजोर नजर आते हैं। क्या आपको लगता है कि पोर्टल्स के सामने वित्तीय कमी के चलते अपना अस्तित्व बचाने को लेकर खतरा है?

जवाबः-  मैं इसे ऐसे नहीं देखता। न्यू मीडिया अभी अपनी बाल्यवास्था में है। उसे अभी अपना अस्तित्व बनाना हैं जबकि पारंपरिक मीडिया के सामने ये चुनौतियां हैं कि वह न्यू मीडिया से सामने अपना अस्तित्व को बचाए रखे। रही बात रैवन्यू की तो उसके जिम्मेदार आप स्वयं हैं। कुछ पोर्टल्स हैं जो विशेष धारा के पक्ष की ही खबरें चलाते हैं। पत्रकार पक्षकार की भूमिका में हैं। उसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ेगा। खबरें हर तरह की दी जानी चाहिए पर आप एक ही धारा पर चलाना तय कर लेंगे तो निश्चित रूप से उसका हश्र बुरा होगा। सूचना क्रांति के इस दौर में आप लोगों को अपने एजेंडे के तहत खबरे दिखाकर मूर्ख नहीं बना सकते हैं। कितने ही ऐसे पोर्टल्स के उदाहरण हैं जो पत्रकारिता के मूल्यों को अपनाए हुए हैं और लोग उनसे जुड़ते हैं।  लोग उन्हें पसन्द करते हैं। ये आप पर निर्भर है कि आपको क्या करना है। बाजार के इस दौर में सबकुछ बाजारवाद का शिकार हो रहा है। लेकिन हम पत्रकारों की ये जिम्मेदारी है कि पत्रकारिता को इस बाजारवाद से दूर रखें, जो अभी नहीं हो रहा है।

सवालः-  न्यू मीडिया कैसे पारंपरिक मीडिया को चुनौती दे रहा है?

जवाबः- आज लोगों के पास समय की कमी है। हर व्यक्ति व्यस्त है। ऐसे में हर मिनट दुनिया में कुछ-न-कुछ होता रहता है। अखबार आपको ये जानकारी 24 घंटे बाद ही दे सकते हैं। न्यू मीडिया के माध्यम से हर पल की गतिविधि की सूचना आपको मिलती रहती है। हर मिनट आपके पास खबरों का अपडेट आता है। कम समय में ज्यादा और पूर्ण खबर आपको मिलती हैं।

सवालः-  नए पत्रकारों के लिए मीडिया में क्या संभावनाएं है ?

जवाबः-  निश्चित तौर पर न्यू मीडिया में ही भविष्य है। पत्रकारिता के शुरुआती दौर में प्रिंट मीडिया था। फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आया। नए नए चैनल खुले। इस क्षेत्र में रोजगार की बहुत संभावनाएं बनी। यह अब भी जारी है। प्रिंट में भी संभावनाएं हैं। हालांकि न्यू मीडिया का फैलाव बहुत तेजी से हो रहा है। इसमें रोजगार की अधिक संभावनाएं फिलहाल दिख रही हैं। कितने पारंपरिक मीडिया घरानों ने अपना स्वरूप बदला है। लगभग सभी चैनल, अखबार न्यू मीडिया में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में रोजगार के नए द्वार खुल रहे हैं। ऐसे में नए पत्रकारों के लिए न्यू मीडिया बेहतर विकल्प है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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