SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

महिलाएं कर रहीं कानून का दुरुपयोग, पुरुष आयोग बनाने की मांग

-सुकृति गुप्ता

कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में नेशनल कमीशन फॉर मेन के लिए प्रथम सम्मेलन का आयोजन

जिस प्रकार भारत नें महिलाओं के लिए महिला राष्ट्रीय आयोग बनाया गया है, उसी प्रकार पुरुषों के लिए भी पुरुष राष्ट्रीय आयोग बनाया जाना चाहिए। दो बीजेपी सांसद ने इस आयोग की मांग की है। इनमें से एक हैं घोसी, उत्तर प्रदेश से हरिनारायण राजभर और दूसरे हैं हरदोई से अंशुल वर्मा। इनका मानना है कि औरतें कई दफ़ा कानून का गलत इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में पुरुष इसके शिकार होते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है, इसलिए वे पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग की मांग कर रहे हैं। रविवार, 23 सितंबर को कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया में पुरुष राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Men) के लिए प्रथम सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का मकसद लोगों को पुरुषों पर हो रहे अत्याचारों से अवगत कराना था। दरअसल एसआइएफ और एसआइएफएफ जैसे कई संगठन हैं जो पुरुषों के अधिकारों के लिए काम कर रहे हैं।

सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर हरिनाराययण राजभर को बुलाया गया था। इसके अलावा सांसद अंशुल वर्मा और बॉलीवुड अदाकारा और लेखिका पूजा बेदी भी मौजूद थीं। इन्होंने पुरुष आयोग की ज़रूरतों पर अपनी राय रखी।

आपको बता दें कि इस संदर्भ में अंशुल वर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि धारा 498A का बहुत अधिक गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें संशोधन किए जाने की ज़रूरत है। यह वही धारा है जिसके अंतर्गत किसी भी शादीशुदा औरत के ससुराल वालों के प्रति क्रूरता का अपराध दर्ज होता है। उन्होंने कहा कि पुरुष आयोग इसलिए ज़रूरी है क्योंकि पुरुषों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए कोई मंच नहीं है जहाँ वे अपनी बात रख सकें।

देखें वीडियो-

 

पुरुषों की समस्याओं से जुड़े कई विषयों पर की गई बात

सम्मेलन में पुरुषों की समस्याओं से जुड़े कई विषयों पर बात की गई। इनमें पुरुषों पर लगने वाले झूठे आरोप, पुरुषों का पिता के अधिकारों से वंचित रहना, पुरुषों के साथ यौन शोषण, प्रोस्टेट कैंसर, पुरुष-आत्महत्या, पुरुष बाल श्रम, पुरुषों के लिए समानता, गरिमा और स्वततंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन पर मुख्य तौर पर बात की गई।

इसके अलावा यूरो-जेनिटल सर्जन डॉ सुधीर रावल, लेखक राहुल ईश्वर, बाल अधिकारों के विश्लेषक डॉ राकेश कपूर, गंदी बात डॉक्यूमेंट्री के निर्माता शिवप्रिय आलोक, पुरुष अधिकारों के कार्यकर्ता व एक्सपर्ट शौनी कपूर तथा सेव इंडियन फैमिली के सह-संस्थापक अनिल कुमार भी वक्ता के तौर पर मौजूद थे।

पुरुषों का बच्चों पर महिलाओं की अपेक्षा कम अधिकार

सम्मेलन में डॉ. राकेश कपूर ने अपनी बात रखते हुए परिवार में पिता की भूमिका पर बात की। उनका कहना था कि पुरुषों का अपने बच्चों पर कानूनन उतना अधिकार नहीं होता जितना औरतों का होता है। इस संदर्भ में उन्होंने कानून और समाज द्वारा पिताओं को पेरेंटल एलिएनेशन (Parental alienation) में रखने की बात कही।

प्रोस्टेट कैंसर योनि कैंसर से ज्यादा खतरनाक

डॉ सुधीर रावल ने प्रोस्टेट कैंसर के विभिन्न आयामों की बात की। पुरुषों के शरीर पर इसका कितना भयानक प्रभाव पड़ता है, इसके बारे में उन्होंने बताया। उन्होंने इसकी तुलना महिलाओं में होने वाले सरवाइकल और योनि कैंसर से की। उनका कहना था कि प्रोस्टेट कैंसर योनि कैंसर से ज़्यादा खतरनाक होता है। इसलिए सरकार को इसके लिए अलग से फंड भी दिया जाना चाहिए। यह उन पुरुषों के लिए मददगार साबित होगा जो इसके इलाज का खर्च नहीं उठा सकते। उनका कहना था कि प्रोस्टेट कैंसर के मामले सबसे ज़्यादा दिल्ली में हैं। इनमें 35 प्रतिशत शुरुआती स्तर पर हैं जबकि 65 प्रतिशत मामले एडवांस स्टेज के हैं। इसका कारण उन्होंने प्रोस्टेट कैंसर के प्रति क्रूरता को बताया। उन्होंने कहा कि पुरुष साइलेंट सफरर हैं। उनके अनुसार पुरुषों की उम्र महिलाओं की तुलना में 4.9 वर्ष कम है, यानी वे महिलाओं की तुलना मे 4.9 वर्ष पहले ही मर जाते हैं। उन्होंने इसका मुख्य कारण परिवारिक तनाव को बताया है।

महिलाएं भी पुरुषों का करती हैं यौन शोषण

स्वतंत्र लघु फिल्म निर्माता शिवप्रिय आलोक ने इस अवसर पर अपनी डॉक्यूमेंट्री गंदी बात का ट्रेलर दिखाया। डॉक्यूमेंट्री के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह छोटे लड़कों और और पुरुषों के साथ होने वाले यौन शोषण के बारे में है। उन्होंने कहा कि समाज ये सोचता है कि लड़को का यौन शोषण नहीं हो सकता। जबकि कई इसके शिकार होते हैं, पर समाज की ऐसी धारणा के कारण कह नहीं पाते। डॉक्यूमेंट्री पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे खुद भी यौन शोषण का शिकार हुए हैं। उनका कहना था कि उनके साथ कुछ पुरुषों ने यौन शोषण किया था। पर, उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएँ भी पुरुषों का यौन शोषण करती हैं। उनके संगठन में कई पुरुषों का कहना है कि महिलाओं ने उनका यौन शोषण किया है। उन्होंने कहा कि ठीक तरह से इसके आंकड़े निकाले जाने चाहिए। यदि आंकड़े निकाले जाएंगे तो यह 50-50 फीसद होगा।, मतलब कि यौन शोषण करने वालों में 50 फीसद पुरुष होंगे और 50 फीसद महिलाएँ होंगी। उन्होंने 2007 के किसी आंकड़े की बात करते हुए कहा कि यदि छोटे बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की बात की जाए तो इनमें 54 फीसद लड़के और 46 फीसद लड़कियाँ हैं।

पुरुषों पर होते हैं अत्याचार

अनिल कुमार ने पुरुष-आत्महत्या पर बात करते हुए कहा कि महिलाओं की तुलना में पुरुष ज़्यादा आत्महत्या करते हैं। इसका मुख्य कारण पारिवारिक तनाव है। इस संदर्भ में आर्थिक कारणों से की गई आत्महत्याओं की संख्या बहुत कम है। उनका कहना था कि इस पर गहन शोध किए जाने की ज़रूरत है जिसके लिए सरकार को फंड दिया जाना चाहिए। उनका कहना है पुरुषों के प्रति करुणा के भाव में भी कमी है, इसीलिए उन पर तमाम अत्याचार हो रहे हैं।

पुरुष आयोग का समर्थन करने वाली सम्मेलन में डॉ इन्दू सुभाष भी मौजूद थीं। उनका कहना था कि कई औरतें पुरुषों पर झूठे आरोप लगाती हैं, यहाँ तक कि रेप के भी। मेरिटल रेप के संदर्भ में उन्होंने कहा कि जो औरतें अपने पतियों के साथ चार सालों से रह रही हैं, वो कैसे अपने पतियों पर रेप का आरोप लगा देती हैं! साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “दुष्ट स्त्री का केवल एक ही समाधान, कड़े से कड़े दण्ड का प्रावधान।”

क्या है इनकी मांगे

इनकी मुख्य मांग पुरुषों के लिए अलग से राष्ट्रीय आयोग बनाए जाने को लेकर है। इसके अलावा इनकी मांग है कि जिस प्रकार हर वर्ष 8 मार्च को देश में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, उसी प्रकार हर वर्ष 19 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाना चाहिए। इसके लिए पुरुषों को सम्मान भी दिया जाना चाहिए। पुरुषों के लिए एक नेशनल हेल्पलाइन हो। प्रोस्टेट कैंसर और पुरुषों द्वारा की जा रही आत्महत्या के लिए स्पेशल कैंपेन आयोजित किया जाए। यौन शोषण को लेकर जेंडर न्यूट्रल कैंपेन आयोजित किया जाए। पुरुषों पर भी घरेलू हिंसा होती है, इसलिए इसके लिए भी उचित प्रावधान हो। वे पुरुष जिन्हें समाज ने ठुकरा दिया है उनके आवास और कौशल के विकास के लिए सरकारी मदद मिले। वे पुरुष जो जेल में हैं या जिन पर केस चल रहे हैं उनके लिए अच्छा वातावरण स्थापित किया जाए। उन सभी कानूनों का जो कि स्त्री-केंद्रित और पुरुष-विरोधी हैं, पुनर्निरीक्षण किया जाए और उनमें उचित संशोधन किए जाएँ।

नोट: यह रिपोर्ट महज़ इस पर है कि पुरुष आयोग की मांग करने वालों की क्या राय है। इसमें लोगों के द्वारा जो बातें जैसी कही गई उसे लेखिका ने वैसे ही पेश कर दिया है।  

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

5 Comments on "महिलाएं कर रहीं कानून का दुरुपयोग, पुरुष आयोग बनाने की मांग"

  1. Arjun kumar ahire | April 27, 2019 at 2:05 PM | Reply

    Please help me sir mai aur meri wife entercast vivah kiye the ham logo ke shadi ko 1saal ho gaye Jskd pet me 3 mahine ka bachcha bhi hai aur meri wife ko uske ghar wale bahla fualaker wapish le gaye hai aur mai apne biwi ke bina rah nahi sakta isliye maine faisla kiya hai ki mai atmahatya karunga ya fir mujhe meri biwi wapis chahiye
    Sirismeaapkikyarayhai

  2. अपना मोबाइल नं दीजिए। हम सभी आपके साथ हैं।

  3. आप का यह लेख लिखने के लिए, और हमारी प्रमुख मांगों को ये मंच प्रदान करने के लिए धन्यावाद, बेशक कुछ बिंदु पर चर्चा नही हो पाई, जैसे कि धारा 497 के पुनर्गठन पर चर्चा?

Leave a comment

Your email address will not be published.


*