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बेटी होने का आशीर्वाद कब मिलेगा?

आज देश में नारी के ऊपर इतने अत्याचार हो रहे हैं, शायद किसी और सदी में नारी की यह स्थिति नहीं थी। आये दिन हमें बलात्कार, शोषण, छेड़-छाड़, उत्पीड़न, दुष्कर्म, हत्या आदि ख़बरें नारी के विषय में मिलती रहती हैं और फिर बाद में सांत्वना, कैंडल मार्च, रैली, अनशन, आन्दोलन, उपवास आदि होते हैं ताकि आगे ऐसा न हो। लेकिन, क्या इन सबके करने से नारी पर अत्याचार रुक जायेंगे? हममें से बहुत से लोग फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, सोशल मीडिया आदि पर ऐसा दिखावा करते हैं जैसा हाथी अपने दांतों का करता है खाने के और दिखाने के और। एक बार आपको मेरी बातें आपको गलत लगेंगी। लेकिन, आप एक बार अपने मन से पूछिए आप कितने नारी की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार हैं।

आपने अभी तक कितनी स्त्रियों को शोषण से बचाया है या इन्साफ दिलाया है। मेरा मानना है हममें से लगभग 98 फीसद लोग ऐसे हैं जो बातें तो बहुत ऊँची-ऊँची करते हैं लेकिन, वास्तविकता में शायद वह कुछ करते ही नहीं। मैं आपसे मना नहीं करता आप कैंडल मार्च निकालो, करो अनशन, आन्दोलन, उपवास लेकिन, अगर इनके बजाय हर व्यक्ति ये ठान ले कि मैं जब भी किसी स्त्री को संकट में देखूंगा तो मैं तुरंत कार्यवाही करूँगा और स्त्री को बचाऊंगा। अगर हर व्यक्ति बड़े-बड़े पोस्टरों, भाषणों के बजाय जमीनी स्तर पर कार्य करे तो निश्चित ही नारी सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और नारी सुरक्षित महसूस करेगी। आज नारी के लिए न जाने कितने एनजीओ, स्कीम चल रही हैं लेकिन, सबका काम है नाम कमाना, फोटो खिंचवाना, आय का स्रोत तैयार करना। शायद ही किसी का काम सिर्फ नारी सुरक्षा व उत्थान हो।

आज देश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, नारी भ्रूणहत्या रोको, लाडली योजना आदि कार्यक्रम चलाए तो जा रहे हैं लेकिन ये कितने लोगों तक पहुँच रहे हैं व इनसे कितने लोग जागरूक हुए हैं इसका प्रमाण आज आपके सामने है। क्यों आज इतनी दरिंदगी फ़ैल रही है? क्या कारण है कि आज नारी असुरक्षित है? क्यों हम नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं? सवाल बहुत हैं और जवाब भी। लेकिन, बस एक चीज़ में परिवर्तन नहीं है वो है मानसिकता। आज तक मैंने ऐसा कोई आशीर्वाद नहीं सुना, जिसमें यह कहा जाता हो कि लड़की हो। लड़के होने का आशीर्वाद सभी देते हैं और दे रहे हैं। लेकिन, अगर मैं गलत हूँ तो आप बताइए गर्भवती महिला को क्यों सभी लड़का पैदा होने का आशीर्वाद देते हैं कोई क्यों लड़की पैदा होने का आशीर्वाद नहीं देता? यही कारण है कि कभी भी किसी को लड़की पैदा होने का आशीर्वाद नहीं दिया जाता। क्योंकि मानसिकता ही यही बनी हुई है कि लड़की पराया धन है, लड़की कमजोर है, लड़की बोझ है।

जब तक लड़की पैदा होने का आशीर्वाद समाज में प्रचलित नहीं होगा तब तक नारी सदैव असुरक्षा में रहेगी। क्योंकि मानसिकता तभी बदलेगी जब हम उसे बदलना चाहेंगे। आज भी अधिकतर लोगों के मन में यह मानसिकता बनी हुई है कि लड़का होना अनिवार्य है। क्योंकि वही कुलदीपक होता है वही कुल को आगे बढ़ाने वाला होता है। इसलिए जब तक लड़का नहीं हो जाता लोग बच्चे करते रहते हैं। आज न जाने हम किस सोच में जी रहे हैं। एक तरफ हम कहते हैं लड़का-लड़की एक समान सबकी हों बस दो संतान। लेकिन, वहीं हम दूसरी तरफ लड़के के चक्कर में लगातार बच्चे पैदा करते जाते हैं और ऐसे उदाहरण देखने के लिए आपको कहीं ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं है।

आपके आस पड़ोस या रिश्तेदारी में कोई ऐसा व्यक्ति जरूर होगा। जिसके लड़के के चक्कर में कई संतानें होंगी। आज हमें अगर नारी को वास्तव में सुरक्षित करना है तो सबसे पहले हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा उसके बाद आप देखेंगे कि सब अपने आप बदलना शुरू हो गया है। बेटी को आप किसी से कम मत समझो आज बेटियाँ खेल, शिक्षा, सौंदर्य, व्यापार, रोजगार, संस्कार आदि सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं आज बेटियाँ किसी से कम नहीं है वह आज पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। कोई नारी कभी भी किसी पुरुष के बिना कभी कलंकित नहीं हो सकती, न ही चरित्रहीन हो सकती। नारी की हर स्थिति के लिए कहीं न कहीं पुरुष जिम्मेदार है। हम जानते हैं भारत कन्या पूजन का देश है जहां नारी भक्ति है, शक्ति है, देवी है, माँ है लेकिन फिर भी नारी पीड़ित है, शोषित है। आखिर क्यों ?
मुझे मेरी एक कविता की दो पंक्तियाँ याद आती हैं कि

तुम कहते हो बदल गए हालात

लेकिन, हमें तो कुछ बदलता नजर नहीं आया

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ फैला तो खूब

लेकिन, खुद के घर नहीं आया

मुझे कहीं न कहीं यही लगता है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे को सिर्फ लिखने से या कहने से कुछ नहीं होगा। इसे हमें अपने जीवन में, अपने परिवार में और अपने समाज में अपनाना भी होगा जिससे नारी के अधिकारों का हनन ना हो और वह खुले आसमान में उड़ सके और अपने सपनों को पूरा कर सके और खुद को सुरक्षित महसूस कर सके।

(नोटः प्रस्तुत लेख में लेखक के निजी विचार हैं। लेख संबंधी किसी भी प्रकार की आपत्ति के लिए फोरम4 जिम्मेदार नहीं होगा।) 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

दीपक वार्ष्णेय
राष्ट्रीय युवा कवि, लेेखक, समीक्षक

1 Comment on "बेटी होने का आशीर्वाद कब मिलेगा?"

  1. Satish Kumar | March 4, 2019 at 2:48 AM | Reply

    You are absolutely right no one is here to work on the earth for women empowerment most of NGO are working on paper and making money but there is an active NGO ASL Foundation Trust have been working in many sectors & helping specially underprivileged people their motive is to see educated India so that these crime can be stopped forever… 9818693445

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