SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

पुस्तक मेला- संजय भास्कर की कविता

जा तो नहीं सका हूँ अभी तक

किसी भी पुस्तक मेले में

पर जब भी पुस्तक मेला लगता है

तो सोचा जरूर करता हूँ

इतना सारा ज्ञान का भंडार

एक साथ

जब लोग देखते होंगे

खो जाते होंगे पुस्तकों के जंगल में

जहां एक से बढ़कर एक

ज्ञान, भूमिका और चिंतन

से भरे काव्य उपलब्ध हो जाते हैं

जंगल रूपी पुस्तकों के मेले में

उम्र का चाहे

कोई भी पड़ाव हो

हर पड़ाव के लिए शामिल है

पुस्तकें

इस शब्दों के साम्राज्य रूपी

पुस्तकों के मेले में

-संजय भास्कर

(रचनाकार संजय भास्कर कवि और अच्छे समीक्षक हैं)

इनकी और भी कविताएं पढ़ें

कुछ रिश्ते अनाम होते हैं (कविता)

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

1 Comment on "पुस्तक मेला- संजय भास्कर की कविता"

  1. संजय एक अच्छे इंसान भी हैं। आपको नही मालूम, पर मैं जानती हूं। बहुत प्यारा इंसान हैं वो

Leave a Reply to Indu puri goswami Cancel reply

Your email address will not be published.


*