जा तो नहीं सका हूँ अभी तक
किसी भी पुस्तक मेले में
पर जब भी पुस्तक मेला लगता है
तो सोचा जरूर करता हूँ
इतना सारा ज्ञान का भंडार
एक साथ
जब लोग देखते होंगे
खो जाते होंगे पुस्तकों के जंगल में
जहां एक से बढ़कर एक
ज्ञान, भूमिका और चिंतन
से भरे काव्य उपलब्ध हो जाते हैं
जंगल रूपी पुस्तकों के मेले में
उम्र का चाहे
कोई भी पड़ाव हो
हर पड़ाव के लिए शामिल है
पुस्तकें
इस शब्दों के साम्राज्य रूपी
पुस्तकों के मेले में
-संजय भास्कर
(रचनाकार संजय भास्कर कवि और अच्छे समीक्षक हैं)
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संजय एक अच्छे इंसान भी हैं। आपको नही मालूम, पर मैं जानती हूं। बहुत प्यारा इंसान हैं वो