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वीडियोः डीयू में ‘पिंजरा तोड़’ झूठी सुरक्षा के खोल दे पोल के नारे क्यों हो रहे बुलंद, जानिए

तस्वीर साभारः पिंजरा तोड़ के ट्विटर अकाउंट से

सोमवार देर शाम को दिल्ली विश्वविद्य़ालय (डीयू) के नॉर्थ कैंपस में पिंजरा तोड़ ने कर्फ्यू को लेकर अनिश्चितकालीन प्रदर्शन की शुरुआत कर दी। छात्राओं की मांग है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और उससे जुड़े सभी कॉलेजों के महिला छात्रावासों से समय और अन्य बंदियों के सभी नियम तुरंत हटाए जाएं। दिव्यांग छात्राओं के लिए नया महिला छात्रावास निर्मित किया जाए। छात्राओं के लिए सुरक्षित भेदभाव रहित आवास मुहैया कराया जाए। कॉलेज में लाइब्रेरी 24 घंटे खुली रहे, महिलाओं के लिए शौचालय, छात्रावास सीट का आवंटन जरूरत के आधार पर किया जाए न की योग्यता के आधार पर। साथ ही एससी, एसटी, ओबीसी और पीडब्ल्यूडी आरक्षण को सभी महिला छात्रावास में पूरी तरह लागू किया जाए।

पिंजरा तोड़ के फेसबुक पेज से मिली जानकारी के अनुसार कल 1 बजे दोपहर फिर आर्ट्स फैकल्टी में प्रदर्शन होगा।

आर्ट्स फैकल्टी के पास सड़क जाम करतीं सैकड़ों छात्राएं। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोक्टर और डिप्टी प्रोक्टर से बातचीत असफल रहने पर छात्राएं सड़क पर बैठ गईं। तस्वीर आभारः पिंजरा तोड़ ट्विटर

विभिन्न विश्वविद्यालयों की सैकड़ों छात्राओं ने कला संकाय से शांतिपूर्ण तरीके से मार्च भी निकाला। इस दौरान छात्राओं ने छात्रावास के समय में आजादी, झूठी सुरक्षा की खोल दे पोल, पिंजरा तोड़, चलो महिलाओं की स्वतंत्रता की ओर, पिंजरा तोड़, पिंजरा तोड़, कैद से समझौता करना छोड़ के नारे लगाए। छात्राओं के मुताबिक पूरी रात ये प्रदर्शन हुआ। उनकी मांग है कि सुरक्षा के नाम पर उनके साथ दोहरा बर्ताव न हो।

देखें वीडियो

तीन साल से चल रहा अभियान, क्या है पिंजरा तोड़

दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया व डीयू के विभिन्न कॉलेजों में छात्राएं पिछले तीन सालों में कई बार कैंपस के भेदकारी नियम-क़ानून और कर्फ़्यू टाइम अर्थात छात्रावास में आने-जाने के समय को लेकर पाबंदी के ख़िलाफ़ लगातार अभियान चलाती रहीं है। इस तरह यह अभियान छात्राओं सुरक्षा के नाम पर लगे पाबंदियों से जुड़ी है।

इस अभियान को ‘पिंजरा तोड़’ अभियान दिया गया है। यह अभियान अब देश के दूसरे राज्यों के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पहुंच चुका है।
यूजीसी के नियमों का पालन करने की मांग

पिंजरा तोड़ की मांग है कि विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न के अंत के लिए पारित यूजीसी के दिशा निर्देशों का पालन किया जाए।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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