शीतल चौहान
मीडिया का निष्पक्ष होना किसी भी लोकतांत्रिक देश को और सुदृढ़ बनाने के लिए बहुत जरूरी है। मीडिया अगर जनता की समस्याओं को सरकार तक और सरकार के कामकाज को जनता तक बिना किसी लागलपेट बिना किसी एजेंडे के पहुंचाएगी तो उससे देश की एक वास्तविक तस्वीर भी सबके सामने बनेगी। लोकतंत्र में मीडिया की आजादी बहुत महत्वपूर्ण है, जिसके लिए हर मीडिया संस्थान, पत्रकार चाहता है और कहता है की उसकी आवाज को नहीं दबाया जाए, लेकिन पत्रकारों को इस आजादी की मांग के साथ ही अपनी जवाबदेही और कार्य के प्रति निष्ठा भी बढ़ानी होगी, तभी जाकर पत्रकारिता के मूल्यों को स्थापित किया जा सकेगा। लेकिन, दुर्भाग्य है पत्रकारिता आज एक व्यवसाय में परिवर्तित होता जा रहा है, जिसका उद्देश्य केवल लाभ कमाना है। इसका एक ताजातरीन उदाहरण है- कोबरापोस्ट द्वारा जारी की गई एक खोजी रिपोर्ट। दरअसल शुक्रवार को इंवेस्टिगेटिव मीडिया संस्था कोबरापोस्ट ने ऑपरेशन 136 चलाया और तमाम मीडिया संस्थानों पर दो भागों में एक स्टिंग ऑपरेशन किया। स्टिंग ऑपरेशन के पहले भाग में दिखाया गया कि मीडिया जगत के नामी संस्थान पैसे के बदले हिंदुत्व का एजेंडा अपने चैनल, अखबार के जरिए बढ़ाने को राजी थे। वहीं, इसके दूसरे हिस्से में भी वही बात सामने आई है। गौरतलब हो की कोबरापोस्ट के पत्रकार पुष्प शर्मा ने दैनिक जागरण, अमर उजाला, डीएनए, पंजाब केसरी, स्कूपव्हूप, इंडिया टीवी, रेडिफ और यूएनआई जैसे मीडिया संस्थानों का नाम इस रिपोर्ट में उजागर किया है।
सामने आए कुछ चौंकाने वाले सचः कोबरापोस्ट की ओर से जारी ताजा स्टिंग वीडियो में मीडिया के कुछ बेहद बड़े और प्रतिष्ठित नाम पकड़े गए हैं। इनमें टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडिया टुडे, हिंदुस्तान टाइम्स, ज़ी न्यूज़, नेटवर्क18, स्टार इंडिया, एबीपी न्यूज़, रेडियो वन, रेड एफएम, लोकमत, एबीएन आंध्रा ज्योति, टीवी5, दिनमलार, बिग एफएम, के न्यूज़, इंडिया वॉइस, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, एमवीटीवी और ओपन मैगज़ीन शामिल हैं। इस वीडियो को फेसबुक लाइव के जरिए जारी किया गया। कोबरापोस्ट हिंदी के फेसबुक पेज से यह प्रसारण हुआ। कोबरापोस्ट ने इससे जुड़ी एक कवर स्टोरी भी अपने वेबसाइट पर प्रकाशित की है। कोबरापोस्ट के यूट्यूब चैनल पर इस स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित कुल 50 वीडियो डाले गए हैं, जिनमें मीडिया जगत की कई जानी मानी हस्तियां मोल-तोल करते हुए रिकॉर्ड हुई हैं। माना जा रहा है की इनमें से कुछ वीडियो अभी भी पब्लिक होने बाकी है।
दैनिक भास्कर ने ली कोर्ट की शरणः
आपको बता दें, कोबरापोस्ट के दूसरे हिस्से को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारी किया जाना था। लेकिन, इस स्टिंग ऑपरेशन में शामिल मीडिया समूह दैनिक भास्कर ने दिल्ली हाईकोर्ट की शरण ले ली। उन्होंने स्टिंग को प्रसारित करने पर रोक लगाने की मांग की। भास्कर ने कोर्ट में अपील की कि इस स्टिंग के प्रसारण से उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचेगी। इस पर कोर्ट ने स्टे जारी कर दिया है। कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी। कोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए 25 मई की कवर स्टोरी में कोबरापोस्ट ने लिखा है कि “हमें 24 मई, 2018 की शाम माननीय दिल्ली हाईकोर्ट से एक स्टे ऑर्डर मिला है। इसमें हमें हमारे इंवेस्टिगेशन से दैनिक भास्कर समूह को अलग रखने का आदेश मिला है। माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने दैनिक भास्कर के पक्ष में यह आदेश हमारा पक्ष सुने बगैर जारी किया है। लिहाजा हम अदालत के इस आदेश को सच्चाई और न्याय के हित में चुनौती देते हैं.”। न्यायालय का आदेश जो भी हो, लेकिन इस क्षेत्र में जुड़े लोगों को यह समझना होगा कि आदर्शविहीन, नैतिकताविहीन, लोभकारी पत्रकारिता से देश को बहुत हानि हो रही है मीडिया के इस रवैये के कारण आज देश को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें पत्रकारिता के भविष्य को खतरे में डालना नहीं चाहिए।
(यह लेख कोबरापोस्ट द्वारा जारी किए गए स्टिंग पर आधारित है)
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