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हाई पावर्ड कमेटी की सिफारिशों को एसी में रखने की मांग को लेकर घंटों तक होता रहा हंगामा

दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था विद्वत परिषद की बैठक लगभग 18 महीने के लंबे अंतराल के बाद बुधवार को निर्धारित समय के एक घण्टे बाद शुरू हुई। बैठक में वाइस चांसलर के बोलते ही सदस्यों ने उनका विरोध शुरू कर दिया, उनकी मांग थीं कि हाई पावर्ड कमेटी द्वारा यूजीसी रेगुलेशन 2018 में जो संशोधन व सिफारिशें की है उसे एजेंडे में शामिल किया जाए। उल्लेखनीय है कि बिना इस रिपोर्ट को रखे दिल्ली विश्वविद्यालय के 3000 हजार शिक्षकों का प्रमोशन और 5000 शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकती। वीसी की मनमानी, हठधर्मिता और नकारापन में विश्वविद्यालय के कामकाज को ठप्प कर दिया है, ना कोई स्थायी नियुक्ति हो रही है और ना ही पद्दोन्नति। लगभग 8 घण्टे तक वीसी ने इस पर चर्चा नहीं की। सभी सदस्यों में यूजीसी रेगुलेशन की संशोधित सिफारिशों को एजेंडे में शामिल करने की जोरदार मांग कर रहे थे।

डीयू विद्वत परिषद सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया है कि आज की बैठक से लग रहा था कि यूजीसी रेगुलेशन के पास हो जाने के बाद विश्वविद्यालय में परमानेंट अपॉइंटमेंट और प्रमोशन के रास्ते खुलेंगे लेकिन इस बैठक से सभी सदस्यों में गहरी निराशा, नाराजगी, आक्रोश व गुस्सा है क्योंकि पिछले एक दशक से अधिक समय से विश्वविद्यालय के शिक्षक नियुक्तियों व पदोन्नतियों का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद जगी थी कि अब उनके दिन बदलेंगे और लंबे समय से लंबित समस्याओं का समाधान निकलेगा लेकिन ढाई साल बीत जाने के बावजूद अभी तक किसी भी समस्या की दिशा में रत्तीभर भी प्रगति नहीं हुई है बल्कि बहुत सारी समस्याएं पैदा हो गई है जैसे टीचर्स को रिकवरी के लेटर भेजे जा रहे हैं जिससे विश्वविद्यालय में अफरा तफरी का माहौल है। नियुक्ति, पदोन्नति और पेंशन पहाड़ जैसी समस्या बन चुकी है।

विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बनाई गई रेगुलेशन अमण्डमेंड कमेटी तथाकथित हाई पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट को एसी बैठक के एजेंडे में शामिल ना करना शिक्षक समुदाय के साथ बहुत बड़ा धोखा है। सभी एसी मेम्बर्स ने इस धोखाधड़ी की जोरदार खिलाफत की और भूखे प्यासे रहकर वेल में धरने पर बैठकर इस ज्यादती का जोरदार प्रतिकार किया।

एसी मेम्बर्स द्वारा भूखे प्यासे रहकर लगातार कमेटी की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने की मांग के बावजूद वीसी ने कोई सुनवाई नहीं की।उनके इस अलोकतांत्रिक और तानाशाही रवैये से शिक्षकों और शिक्षक प्रतिनिधियों में गहरा आक्रोश व गुस्सा है। उम्मीद है कि डीयू के 3 हजार शिक्षकों की पदोन्नति, 5 हजार शिक्षकों की नियुक्ति और 1 हजार शिक्षकों की पेंशन से जुड़ा होने के कारण यह मुद्दा अत्यंत संवेदनशील व गम्भीर है इसके समाधान के लिए डूटा को विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ आरपार की लड़ाई लड़नी पड़ेगी।

एसी एजेंडा यूजीसी रेगुलेशन को जस का तस अडॉप्ट करना, एमफिल, पीएचडी रेगुलेशन में आंशिक परिवर्तन और रूटीन मामले थे जिसे चर्चा के बाद पास किया जाना था लेकिन कोई भी मामला एजेंडे पर नहीं आया और उसके बाद 6 बजकर 50 मिनट पर बैठक स्थगित कर दी गई ।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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