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फोरम फोर की खबर का हुआ असर, डीयू सेंट्रल पुल से सेवानिवृत्ति से पहले कर्मचारियों को दी गई पदोन्नति

दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारी वर्षों से पदोन्नति ना होने के कारण उन्हें सेवानिवृत्त किया जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में यह पहला अवसर है जब 31 दिसम्बर को सेंट्रल पूल से 6 कर्मचारियों को बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त किया जा रहा था लेकिन जैसे ही डीयू की विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ को पता चला उन्होंने इस मुद्दे को प्रशासन के सामने उठाया और 27 दिसम्बर को दैनिक समाचार पत्रों में भी खबर छपी कि “बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे हैं कर्मचारी”। फोरम फोर व समाचार पत्रों में छपी खबर का असर यह हुआ कि प्रशासन ने पदोन्नत होने वाले सभी कर्मचारियों की फाइलें मंगा ली और 31 दिसम्बर को 10 वरिष्ठ सहायक से इन्हें अनुभाग अधिकारी (सेक्शन ऑफिसर) बनाया गया है। इनमें दो वे महिलाएं हैं जो 31 दिसम्बर को बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रही थीं।

दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से शैक्षिक व गैर शैक्षिक पदों पर स्थायी नियुक्तियां व पदोन्नतियां ना होने के कारण सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 31 दिसम्बर 2018 को सेंट्रल पुल से 6 कर्मचारियों को बिना पदोन्नति दिए सेवानिवृत्त किया जा रहा था। 26 दिसम्बर को कुछ कर्मचारियों ने आकर उन्हें बताया कि पदोन्नति ना होने पर उन्हें सेवानिवृत्त किया जा रहा है, प्रशासन से बात हुई और 27 दिसम्बर को समाचार पत्रों में खबर छपी। प्रो. सुमन ने समाचार पत्रों के संवाददाताओं को नव वर्ष की बधाई के साथ-साथ कर्मचारियों की खबर को प्रमुखता दी जिससे उनकी समय पर पदोन्नति हो गई।

प्रो. सुमन ने बताया है कि जिन 10 कर्मचारियों की पदोन्नति हुई हैं उनमें श्री राजीव शर्मा, करुणा उपाध्याय, पान सिंह बिष्ठ, अंजु पासवान, ओमप्रकाश शर्मा, प्रदीप कुमार कुंद्रा, स्वामी नाथ, मधुबाला अरोड़ा, अनीता सब्बरवाल और रीमा बैरी आदि थी। इनमें अनीता सब्बरवाल और रीमा बैरी 31 दिसम्बर को ही सेवानिवृत्त होने वाली थीं। यदि कर्मचारियों की समय पर पदोन्नति हो जाती तो उनमें बहुत से ऐसे कर्मचारी हैं जो वरिष्ठ सहायक से अनुभाग अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होते लेकिन वर्षो से पदोन्नति ना होने के कारण कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे हैं जबकि पदोन्नति समय पर होती हैं तो उन्हें सर्विस में कई लाभ मिलते हैं।

डीयू को अपनी तीन दशक से अधिक तक अपनी सेवाएं देने के बावजूद वे बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इनकी डीपीसी जनवरी 2018 से देय थी लेकिन इनके कुलपति नॉमिनी ना होने के कारण जो अनुभाग अधिकारी बन सकते थे। शैक्षिक व गैर शैक्षिक कर्मचारियों की समय पर पदोन्नति हो जाती है तो वह अपने संस्थान/कॉलेज में बेहतर तरीके से काम करते हैं लेकिन ना जाने डीयू प्रशासन ने क्यों पदोन्नति रोक रखी है जिसका खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है।

प्रो. सुमन का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय व उससे सम्बद्ध कॉलेजों में कार्यरत्त कर्मचारियों की समय पर पदोन्नति होती है तो सेवानिवृत्ति के बाद इनकी पेंशन, ग्रेजुवटी,अर्जित अवकाश की भुगतान आदि पर असर पड़ता लेकिन डीपीसी ना होने से बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त किया जा रहा है। 2 जनवरी 2019 को हो रही एकेडेमिक कांउन्सिल की मीटिंग में शैक्षिक व गैर शैक्षिक कर्मचारियों की लंबे समय से पदोन्नति ना होने का मुद्दा उठाएंगे। साथ ही जिन कर्मचारियों का प्रमोशन देय है उनकी समय पर पदोन्नति हो, पदोन्नति पाना उसका अधिकार है लेकिन प्रशासन उससे सदैव वंचित रखता है। इसी तरह से पेंशन योजना के अंतर्गत पिछले पांच साल से शिक्षक व कर्मचारी डीयू में आ-आकर परेशान हो चुके हैं, कुछ की मृत्यु हो गई और कुछ बीमारियों से ग्रस्त हैं लेकिन डीयू प्रशासन और सरकार के कानों में जूं नहीं रेंग रही है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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