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फोरम ने अध्यक्ष को लिखा पत्र, एसी सदस्यों को त्यागपत्र देने के लिए डूटा जारी करे व्हिप

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस ने डूटा अध्यक्ष को पत्र लिखकर मांग की है कि वह सभी 26 एकेडेमिक कांउन्सिल मेम्बर्स को व्हिप जारी करे कि यदि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन हाई पावर्ड कमेटी द्वारा की गई सिफारिशों व सुझावों को सदन में नहीं रखते हैं तो एसी मेम्बर्स अपना त्यागपत्र दें। जब तक यूजीसी रेगुलेशन-2018 को सदन में नहीं रखा जाए, सदन न चलने दें।

फोरम के चेयरमैन व एकेडेमिक कांउन्सिल मेम्बर प्रो. हंसराज सुमन ने पत्र में यह भी मांग की है कि एकेडेमिक कांउन्सिल की हो रही 2 जनवरी को बैठक के बाहर कुलपति ऑफिस के निकट डूटा अध्यक्ष के नेतृत्व में डूटा पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्य व ईसी के सदस्य कुलपति कार्यालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठे।

प्रो. सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से ना तो कोई स्थायी नियुक्ति हुई है और ना ही शिक्षकों की पदोन्नति ही। इसके अलावा सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को पेंशन भी नहीं मिल रही है, इसी तरह लगभग दस वर्षों से विश्वविद्यालय में जबरदस्त निष्क्रियता और अव्यवस्था है। वर्तमान उपकुलपति का कार्यकाल आधे से अधिक से अधिक बीत चुका है लेकिन, लंबे समय से लंबित इन व्यापक मुद्दों के समाधान की दिशा में जरा भी कार्य नहीं हुआ है यहां तक कि उन्होंने अपनी टीम तक नहीं बनाई है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय में आधे से अधिक शैक्षिक व गैर शैक्षिक कर्मचारी एडहॉक, टेम्परेरी, कंट्रक्चुअल हैं इसके कारण भी पठन और पाठन प्रभावित हो रहा है।

प्रो. सुमन ने पत्र में लिखा है कि विश्वविद्यालय के प्रत्येक तबके में गहरी निराशा, असंतोष, आक्रोश और बेचैनी है। डूटा को शिक्षकों की समस्याओं का तत्काल संज्ञान लेकर इस दिशा में अपने संघर्ष को तेज करना चाहिए ताकि जिन समस्याओं का समाधान विश्वविद्यालय स्तर पर निकल सकता है उनका तत्काल समाधान निकल सके।

उन्होंने जताते हुए कहा है कि डूटा को जंतर मंतर, मंडी हाउस व संसद मार्च की ओर से ध्यान हटाकर कुछ समय तक विश्वविद्यालय के स्तर पर संघर्ष और आंदोलन करना चाहिए तभी समस्याओं का समाधान निकलेगा इसलिए डूटा को सभी एकेडेमिक कांउन्सिल मेम्बर्स को व्हिप जारी करना चाहिए कि वे 2 जनवरी को होने वाली आगामी एसी मीटिंग में अपना त्यागपत्र देकर सदन की कार्यवाही को बाधित करें। साथ ही डूटा अध्यक्ष अपने नेतृत्व में सभी डूटा पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्यों और ईसी मेम्बर्स के साथ 2 जनवरी से कुलपति कार्यालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठें। जब इस प्रकार की गम्भीर आंदोलनात्मक कार्यवाही की जाएगी तभी विश्वविद्यालय से लेकर संसद तक शिक्षकों की आवाज और समस्याओं को सुना जायेगा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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