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विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में आम्बेडकर को किया जाए शामिलः हंसराज सुमन

केंद्रीय एवं राज्यों के विश्वविद्यालयों में आम्बेडकर चेयर स्थापित करने की भी मांग

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम के नेतृत्व में डीयू के शिक्षकों ने गुरुवार को भारत के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर के 63 वें परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर संसद भवन में लगी बाबा साहेब की प्रतिमा पर जाकर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर प्रो. हंसराज ‘सुमन’, प्रो. केपी सिंह, श्री प्रदीप कुमार आर्यन, डॉ. अनिरुद्ध कुमार सुधांशु, डॉ. मुकेश कुमार आदि मौजूद रहे।

पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद अपने संबोधन में फोरम के चेयरमैन व विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने कहा कि बाबा साहेब ने सदैव वंचित, शोषितों और पिछड़े वर्गों के हकों की लड़ाई लड़ी थी, आज उनके योगदान को लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता है। इसके लिए जरूरी है कि सभी केंद्रीय एवं राज्यों के विश्वविद्यालयों में आम्बेडकर चेयर स्थापित हों और आम्बेडकर स्टडी सेंटर खोले जाएं। इसमें विशेष रूप में आम्बेडकर पर अनुसंधान कराया जाए। उन्होंने आगे बताया कि डॉ आम्बेडकर अर्थशास्त्री ,विधिवेत्ता के साथ-साथ खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में एक स्थापित पत्रकार थे, जिन्होंने अपने जीवन में 35 वर्षों तक बिना किसी वित्तीय सहायता के अखबार निकाला।

मीडिया विशेषज्ञ डॉ. अनिरुद्ध कुमार सुधांशु ने कहा कि आम्बेडकर के विचारों को केवल किसी विशेष समुदायों से नहीं बल्कि समग्रता में समझने की जरूरत है, उनके विचारों ने ना केवल समाज के पिछड़े, वंचितों के अधिकारों की बात की बल्कि महिलाओं की मुक्ति का संघर्ष भी चलाया और वैश्विक पटल पर उनके अधिकारों के लिए विधेयक भी लेकर आए।

फोरम के महासचिव डॉ केपी सिंह ने कहा कि डॉ आंबेडकर किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं है बल्कि संस्था का नाम है जिन्होंने भारत का नाम केवल उपमहाद्वीप में नहीं बल्कि वैश्विक पटल पर स्थापित किया। उन्होंने आगे कहा कि जब विदेशों में डॉ आंबेडकर को पढ़ाया जाता है तो भारत के विश्वविद्यालयों में आम्बेडकर स्टडी सेंटर खोलकर क्यों न उनके विचारों को भारत के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाया जाये।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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