अगर प्रेम पर कुछ अलग सा पढ़ना चाहते हों, जो सबकी कहानी हो लेकिन कोई लिख न पाया हो तो यह पढ़ सकते हैं। आइए जानते है इस उपन्यास के बारे में बहुत कुछ
क्या कहते हैं लेखक
कभी-कभी अपनी जिंदगी की कहानी को इमैजिन करना जीने का सबसे बेहतरीन तरीका होता है, क्या पता कल वही सच हो।
आप कभी भी कहानी नहीं लिखते कहानियां आपको लिखती हैं। हर खुशियों की कहानी होती है, हर आंसू की कहानी होती है। इंसान कभी-कभी किसी को अपनी जिंदगी ही मान बैठता है। कुछ उसे जान नहीं पाते, तो कुछ जता नहीं पाते। हर कहानी में एक नायिका होती है, कुछ जान देने वाले दोस्त होते हैं। इन कहानियों के गजब ही मोड़ होते हैं। कहानियों का कभी अंत नहीं होता, हर दिन हर कहानी की एक नयी शुरुआत होती है।
मैं बस वैसी ही कहानियाँ लिखना चाहता हूँ।
कहानी में क्या है?
ये कहानी एक मिस्टर इरिटेटिंग की कहानी है। जिसे आज तक नहीं पता चला की आखिर वो इरिटेटिंग क्यों है। क्या उसका किसी को प्यार करना इरिटेटिंग हैं? क्या उसका किसी चेहरे को खुदा मान लेना इरिटेटिंग है?
ये कहानी इस संसार में किसी की भी हो सकती है। किसी भी मिस्टर इरिटेटिंग की जो अपनों की तलाश में हो। ये कहानी किसी भी एक दोस्त की हो सकती है, जो चंद गलतफहमियों की वजह से अपनों दोस्तों से दूर हो जाये।
इस कहानी में एक उम्मीद है, ये दुनियां उम्मीद पर ही तो चलती है। ऊँचा उठने की उम्मीद, कुछ कर गुजरने की उम्मीद, किसी रूठे हुए को मनाने की उम्मीद, किसी खास को अपना बनाने की उम्मीद।
हाँ ये एक मिस्टर इरिटेटिंग की कहानी है। एक तरफ वो एक लड़की को पहली नज़र में अपना बना चुका है, जो इसे बस एक इरिटेटिंग लड़का समझती है। और दूसरी तरह एक लड़की जो उससे उम्र में तो बड़ी है, पर वो उस लड़के के लिए सबसे लड़ जाती है। यहाँ से शुरू होती है प्यार की एक अनोखी कश्मकश
उसके कुछ सवाल हैं।
क्या किसी को प्यार करना ही काफी नहीं होता?
क्या पहला प्यार कभी नहीं मिलता?
क्या प्यार में उम्र की कोई सीमा होती है?
आपके सामने पेश है, सच्चे प्यार की एक सच्ची दास्तान। इसे पढ़कर निश्चत रूप से आप इन सवालों का उत्तर सहज ही पा सकेंगे।
कौन हैं ‘मिस्टर इरिटेटिंग’ राइटर निलेश शर्मा
निलेश शर्मा उत्तर प्रदेश के बनारस के रहने वाले हैं। अपनी 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने बनारस के ही स्कूल से पूरी की है। बचपन से ही उनका इंजीनियर बनने का सपना था। वह कहते हैं कि उन्होंने सुन रखा था कि अगर जिंदगी में कुछ सीखना है, तो इंजीनियर बनो। एक इंजीनियर अपनी लाइफ में बहुत-चढ़ाव देखता है और बहुत कुछ सीखता है। बस तभी से उन्होंने इस फील्ड में आने की ठान ली। इसके लिए उन्होंने लखनऊ के बाबू बनारसी दास कॉलेज में बीटेक में एडमिशन लिया।
निलेश कॉलेज में ही बन गए थे जूनियर चेतन
कॉलेज में छोटी-मोटी रैगिंग होना तो नार्मल बात है, पर ये रैगिंग निलेश के लिए प्रॉब्लम नहीं बल्कि अच्छी ही साबित हुई थी। एक दिन उनके सीनियर्स ने आधी रात को एक हॉल में बुलाया और उनके सभी दोस्तों को फनी-फनी टास्क दिया। पर उनकी भोली सूरत को देखकर एक हिटलर टाइप सीनियर लड़की ने उन्हें अपनी तारीफ में कुछ सुनाने को कहा, इसपर निलेश ने भी उसे 4 लाइनें चिपका दीं। बस फिर क्या था पूरे कैंपस में वह ‘जूनियर चेतन भगत’ के नाम से मशहूर हो गए। इसके बाद से जब तक वह कॉलेज में रहे, किसी को कुछ भी लिखवाना होता, लोग उन्हीं के पास आते।
किताब कहां से पाएं
आप इस किताब को कोरियर से 160 रुपये में और अमेजन से ऑनलाइन 199 रुपये में मंगा सकते हैं।
Thanku so much.
I have read this book. There is no any other option of this book and also I think this story should be in theatres ASAP.