यूजीसी की अवर सचिव सुषमा राठौर ने दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर कहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय तथा संबद्ध कॉलेजों में गैर शैक्षणिक (नॉन टीचिंग) में ओबीसी कर्मचारियों के पदों के सेवा विस्तार योजना के अंतर्गत उनका विस्तार एक और वर्ष 31मार्च 2019 तक कर दिया जाए। बता दें कि ओबीसी कर्मचारियों के गैर शैक्षणिक पदों को कॉलेजों द्वारा 31 मार्च 2018 तक उन्हें भरना था, लेकिन अधिकांश कॉलेजों में इन पदों के विज्ञापन ही नहीं निकाले गए थे उसके बाद ओबीसी कर्मचारियों के संगठनों ने यूजीसी को पत्र लिखा था।
31 मार्च तक सेवा विस्तार
यूजीसी ने अपने पत्र में लिखा है कि डीयू से जो उन्हें पत्र मिले हैं, जिसमें 23 मार्च 2018 एवं अन्य कई पत्र/रिप्रजेंटेशन जो डीयू एवं संबद्ध कॉलेजों की ओबीसी कर्मचारियों द्वारा प्राप्त हुए हैं। उसके संदर्भ में ओबीसी कर्मचारियों के पदों के सेवा विस्तार 31 मार्च 2019 कर दिया गया है। यह योजना डीयू एवं संबद्ध कॉलेजों के लिए निर्धारित है।
मनमानी नियुक्तियां की गईं
दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 77 कॉलेज हैं, इसमें दिल्ली सरकार के 28 कॉलेज है। इन कॉलेजों में पिछले 15महीनों से दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी नहीं थी। कॉलेजों के प्राचार्य बिना गवर्निंग बॉडी के गैर शैक्षणिक पदों पर ओबीसी पदों की आड़ में 31 मार्च 2018 तक पद अपनी मनमर्जी से भरते रहे जबकि इन कॉलेजों में ट्रंकेटिड गवर्निंग बॉडी थी बावजूद इसके इन कॉलेजों ने आनन फानन में लिखित परीक्षा कर उन्हें भर लिया गया। यह पूरी तरह से असवैधानिक था, लेकिन गवर्निंग बॉडी न होने का लाभ इन कॉलेजों ने उठाया और मनमर्जी से नियुक्तियां की ।
दिल्ली सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलसचिव को 30 अगस्त 2017 को 10 माह पूर्व पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली सरकार द्वारा पोषित 28 कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी की नियुक्तियों में संतुलित प्रतिनिधित्व होना चाहिए। साथ ही दिल्ली सरकार के अपने कॉलेजों में जब तक पूर्ण गवर्निंग बॉडी नहीं बन जाती तब तक उन कॉलेजों में तदर्थ (एडहॉक) या स्थायी नियुक्तियों (परमानेंट) चाहे वह शिक्षकों की हों या गैर शैक्षणिक, न की जाएं। बावजूद इसके दिल्ली सरकार के कॉलेजों ने उस आदेश को न मानते हुए गैर शैक्षणिक पोस्ट में ओबीसी पदों को भर लिया।
दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद के सदस्य प्रो हंसराज सुमन व डूटा के सचिव डॉ विवेक चौधरी ने बताया है कि कॉलेजों को गैर शैक्षणिक पोस्ट में ओबीसी के पदों को भरने के लिए यूजीसी व कॉलेजों ने 31मार्च 2018 तक भरने के निर्देश दिए हुए हैं। कॉलेजों ने पिछले 1 साल तक इन पदों को भरने के लिए कोई तत्परता नहीं दिखाई। ओबीसी पदों की आड़ में सामान्य वर्गो के पदों को भर लिया गया,जबकि ये पद पिछले एक दशक से कॉलेजों ने नहीं भरे थे।
डीयू और सरकार की आपसी लड़ाई में पिस रहे शिक्षक व कर्मचारी
दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय की आपसी लड़ाई के बीच तदर्थ शिक्षक और कर्मचारियों का बहुत बड़ा नुकसान हुआ। दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में अक्टूबर 2016 से गवर्निंग बॉडी नहीं थी। सरकार के एक दर्जन से अधिक कॉलेजों में पिछले कई वर्षों से प्राचार्य के पद खाली पड़े हुए थे जो आज भी खाली पड़े हुए हैं। दिल्ली सरकार के कॉलेजों में प्राचार्यों के स्थाय़ी न होने से तदर्थ शिक्षक न तो स्थायी किए जा रहे न ही उन्हें प्रमोशन मिल रहा।
अब जल्द भरे जाएं पद
प्रो सुमन व विवेक चौधरी ने बताया कि दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में से 24 कॉलेजों में अब गवर्निंग बॉडी बन चुकी है। अब जितना जल्दी हो सके ओबीसी की गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के पदों को तुरंत भरना चाहिए। साथ ही जिन कॉलेजों ने अपना रोस्टर व पदों का विज्ञापन नहीं निकाला है वे जल्द ही पदों को विज्ञापित कर भरने के निर्देश दिए जाएं। प्राचार्यों की मंशा है कि ओबीसी कोटे की सीटें ना भरी जाए और बाद में इन्हें सामान्य पदों में परिवर्तित किया जा सके, ऐसा न होने पाए। उन्होंने दिल्ली सरकार से मांग की है कि वे लंबे समय से रुके हुए 28 कॉलेजों में स्थायी प्राचार्यों की नियुक्तियां, लगभग दो हजार तदर्थ शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति, सैंकड़ो शिक्षकों की प्रमोशन और कर्मचारियों की नियुक्ति व पदोन्नति के न होने से कॉलेज एडहॉकीजम पॉलिसी पर चल रहे हैं। उनका कहना है कि जल्द ही 24 कॉलेजों में जहां पर गवर्निंग बॉडी बन चुकी है, वहां स्थायी नियुक्तियों व प्रमोशन का कार्य शुरू हो ।
पत्र लिखकर की मांग
डूटा के सचिव डॉ विवेक चौधरी ने दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा निदेशक व शिक्षा मंत्री को लिखे पत्र में मांग की है कि वे दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले 28 वित्त पोषित कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र लिखकर कहा जाए कि यूजीसी द्वारा भेजा गया डीयू के रजिस्ट्रार को पत्र के आधार पर ओबीसी कर्मचारियों की नियुक्ति करे।
ओबीसी कोटे के इन पदों को भरने के लिए यूजीसी ने 31 मार्च 18 की तिथि को बढ़ाकर 31 मार्च 2019 तक का समय दे दिया गया है अब डीयू व कॉलेजों का दायित्व बनता है कि वह जल्द से जल्द ओबीसी कर्मचारियों के पदों को भरवाये ताकि सामाजिक न्याय का सार्थक सिद्ध हो सके, क्योंकि अब वह बहाना भी नहीं बना सकते हैं कि गवर्निंग बॉडी नहीं है।
विवेक चौधरी ने यह भी मांग की है कि दिल्ली सरकार के जिन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी नहीं थीं, वहां ट्रेंकेटिड गवर्निंग बॉडी के होते हुए कॉलेजों के प्राचार्यों ने जल्दबाजी में ओबीसी पदों को भर लिया, यूजीसी ऐसे प्राचार्यों की भी जांच शुरू करें, जिन्होंने भारत सरकार की आरक्षण नीति का और रोस्टर की अवहेलना करते हुए इन पदों को भरा है। दिल्ली सरकार भी अपने कॉलेजों के खिलाफ जांच शुरू करे कि बिना पूर्ण गवर्निंग बॉडी के उन्होंने कैसे ओबीसी पदों को भर लिया? क्या उन्होंने दिल्ली सरकार से इन पदों को भरने के लिए अनुमति मांगी थी।
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