दिल्ली विश्वविद्यालय की रेगुलेशन अमेंडमेंट कमेटी की गुरुवार को हुई अंतिम बैठक में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। ये दोनों ही निर्णय एडहॉक शिक्षकों की सेवा शर्तों से संबंधित हैं। ध्यातव्य है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और उससे सम्बद्ध कॉलेजों में 4500 से अधिक एडहॉक शिक्षक कार्यरत हैं जिनमे आधे से अधिक महिलाएं हैं।
उच्च स्तरीय कमेटी के सदस्य प्रो हंसराज ‘सुमन’ और डॉ. गीता भट्ट ने बताया है कि महिला एडहॉक शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश ना मिलना एक बड़ी समस्या रही है। इस सुविधा के ना होने के कारण हमारी महिला साथियों को बड़ी भारी समस्या का सामना करना पड़ता था, उन्हें उत्पीड़ित भी किया जाता था और कई बार उन्हें नौकरी से भी निकाल दिया जाता था जबकि मातृत्व किसी भी महिला का प्राकृतिक अधिकार और गौरव है उसके लिए उसे प्रताड़ना या दंड सहना पड़े यह दुःख और चिंता का विषय है। इसलिए हमने श्रम मंत्रालय के नियमों और यूजीसी के परिपत्र का हवाला देकर अपनी महिला साथियों को मातृत्व अवकाश दिलाने की पहल की है। यह एक ऐतिहासिक पहल है।
ये बदलाव होंगे
कमेटी के सदस्य डॉ. रसाल सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के ऑडिनेन्स 11 व12 में बदलाव होने पर प्रत्येक एडहॉक शिक्षक को शीत/ग्रीष्म कालीन अवकाश की सैलरी मिलना सुनिश्चित हो जाएगी। इन ऑडिनेंश में मौजूद “टर्म” और “विदआउट ब्रेक” शब्दों को “सेमेस्टर” और “विद नेशनल ब्रेक” शब्द से बदला जाएगा। साथ ही “टर्म” के प्रथम दिन को सेमेस्टर के प्रथम सप्ताह से बदला जाएगा। यह बदलाव होने के बाद किसी भी एडहॉक शिक्षक को किसी भी सूरत में छुट्टियों की सैलरी से वंचित नहीं किया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि प्राचार्य और विभागाध्यक्ष एनुअल सिस्टम के आधार पर बनाए गए प्रावधानों की आड़ में एडहॉक शिक्षकों को छुट्टियों की सैलरी देने में मनमानी करते आ रहे हैं।
प्रो. हंसराज सुमन ने बताया है कि एडहॉक शिक्षिकाओं के लिए मातृत्व अवकाश का प्रावधान 2007 के ईसी रेजुलेशन में बदलाव करके किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कमेटी की रिपोर्ट एसी और ईसी में पारित होकर इस वर्ष के अंत तक ऑडिनेन्स बनकर तैयार हो जाएगा और नए साल में सभी शिक्षक साथियों को अभूतपूर्व सेवा शर्तों और पदोन्नति मिलने के आसार हैं।
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