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वीडियोः दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में लगा दिवाली मेला

-संध्या

दिल्ली विश्वविद्यालय में कई कॉलेजों की ओर से  दीवाली मेले का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कहीं दिवाली को लेकर शिक्षक व छात्र एक दूसरे को जागरूक करते देखे गए तो कहीं गंदी बस्तियों से आए हुए बच्चे इस अवसर पर आनंद लेते देखे गए। दिवाली मेला में छात्र-छात्राएं कई सारे खेल में भाग लेते भी देखे गए। साथ ही अलग-अलग प्रतियोगिता में भाग लेने को लेकर बच्चों में काफी उत्साह देखने को मिला। इनमें से एक दिया मेंकिग कॉम्पटीशन था। झुग्गी बस्तियों से आए बच्चे एनजीओ और कॉलेज में शुरू किए प्रोग्राम की तरफ से दिया को लेकर सजाने में लगे रहे। मेला सुबह 11 बजे से शुरू हुआ और देर शाम तक चलता रहा। मेले में स्ट्रीट फूड के स्टॉल भी लगाए गए थे।

देखें वीडियोः

रामानुजन कॉलेज ने दिवाली मेले को नवाज़िश का नाम दिया वहीं, कालिंदी कॉलेज ने तेजस्व का आयोजन करके छात्रों का दिल जीत लिया। रामानुजन कॉलेज में गुरुवार को हुए दीवाली मेले के इस खास आयोजन में बच्चों ने रंगोली बनाई और लोगों को पटाखा न छोड़ने का भी संदेश दिया।

कालिंदी कॉलेज में तेजस्व ने शुक्रवार को बहुत सारे प्रतियोगिता का आयोजन किया। इनमें गायिकी, दिया सजावट, रंगोली, पोस्टर मेकिंग और तमाम खेल शामिल रहे। रामानुजन कॉलेज की ओर से आयोजित इस मेला को आयोजित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए छाया ने बताया कि यहां अलंकार एनजीओ व पाठशाला की ओर से तमाम छोटे असहाय झुग्गी बस्तियों में रहने वाले बच्चों को आमंत्रित किया गया है। इस मेले का खास उद्देश्य इन बच्चों को दिवाली मेले के माध्यम से मनोरंजन कराने के साथ जागरूक करना भी है। स्लम क्षेत्र में रहने वाले बच्चों ने ग्रीटिंग कार्ड, दिया सजावट आदि प्रतियोगिताओं में भाग लिया और आयोजन को सफल बनाया। वहीं कालिंदी कॉलेज की ओर से आयोजित मेले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली छात्रा मुस्कान ने भी सभी को जागरूक करने के लिए क्रैकर फ्री दीवाली मनाने का संदेश दिया। मुस्कान ने बताया कि इस अवसर पर छात्राओं को जागरूक करने के लिए एक रैली भी निकाली गई। फोरम4 की टीम ने दोनों ही कॉलेजों में पहुंचकर मेले की गतिविधियों के बारे में छात्र व शिक्षकों से बातचीत किया। ज्यादातर लोगों ने दीवाली मेले को लेकर काफी खुशी जताई और कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से हम सभी नए-नए चीजों के बारे में जागरूक होते हैं। साथ ही एक संदेश यह भी जाता है कि दीवाली खुशियों का त्योहार है और इसके लिए पटाखा छोड़ना इसलिए उचित नहीं है क्योंकि यह प्रदूषण का मुख्य कारण है। दीवाली में हम सब दीप जलाएंगे। आखिर में निष्कर्ष यही आया कि पटाखों वाली दीवाली नहीं खुशियों वाली दीवाली मनाई जानी चाहिए।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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